- हेमंत पाल
फ़िल्मी गीतों की अपनी तासीर होती है। जिस मूड का गीत रचा जाता है, सुनने वालों पर भी वो उसी तरह अपना असर छोड़ता है। प्रेम गीत सुनकर जिस तरह अलग अहसास होता है। उसी तरह आजादी के तराने सुनकर जोश आ जाता है। आज भले ही फिल्मों के हर तरह के गीत पसंद किए जाते हैं, पर आजादी की जंग के कथानक वाली फिल्मों के गीतों का जलवा आज भी कायम है। जंग से जुड़ी नई फ़िल्में ही नहीं, पुरानी फिल्मों के गीत आज भी सुनने वालों को उस दौर की याद दिलाते हैं। हर दौर में ऐसी फिल्मों ने देशप्रेम के जज़्बे को बख़ूबी से अभिव्यक्त किया। आजादी के समय में रचे गए देशभक्ति के कई ऐसे फ़िल्मी गीत हैं, जो कभी पुराने नहीं हुए। 75 साल बाद आज भी इनकी लोकप्रियता बरक़रार है। हमारे यहां हर पर्व और त्यौहार एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। जिस तरह हर त्यौहार की रंगत फ़िल्मी गीतों के बिना अधूरी रहती हैं, वही स्थिति आजादी के तरानों की भी है।
इन कालजयी फ़िल्मी गीतों में कुछ ऐसे गीत भी हैं, जो हर भारतीय को वतन के प्रति अपनी मोहब्बत का इज़हार करने के लिए अल्फ़ाज़ देते हैं। ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आंख में भर लो पानी, अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं और 'आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की' ऐसे ही गीत हैं जो कभी पुराने नहीं लगते। देश को आजादी मिले 75 साल से ज्यादा हो गए। जब देश आजादी की जंग से जूझ रहा था, तब गीतकार जोश भरने के लिए अपनी शब्द रचना में जुड़े थे। देश का पहला देशभक्ति गीत 'जन गण मन अधिनायक जय हे' 1911-12 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने रचा था। इस गीत में भारत की भौगोलिक स्थिति के ज़रिए देशप्रेम की भावना व्यक्त की गई। बंकिमचंद्र चटर्जी की ओजस्वी रचना 'वंदे-मातरम' को फ़िल्म 'आनंद मठ' (1952) में लिया गया था।। 1950 में 'वंदे मातरम' को राष्ट्रगीत और 'जन गण मन' राष्ट्रगान के रूप में मान्यता दी गई। 1943 में आई फ़िल्म 'किस्मत' के लिए 'दूर हटो ऐ दुनिया वालों' लिखा गया, जिसका संगीत अनिल बिस्वास ने दिया था।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने वाले गीत 'दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल' भी स्वतंत्रता की अलख जगाने वाला ही गीत था। इसे 1954 में आई फिल्म 'जागृति' में उपयोग किया गया। इसे हेमंत कुमार ने संगीतबद्ध किया और उन्होंने ही आशा भोंसले के साथ गाया भी था। इसके गीतकार कवि प्रदीप थे। फ़िल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाले बाल कलाकार मास्टर रतन फिल्म की रिलीज के एक साल बाद ही पाकिस्तान में बस गए थे। वहां भी उन्होंने 'जागृति' जैसी ही फ़िल्म बनाई जो मोहम्मद अली जिन्ना पर आधारित थी। इसी गीत की ही धुन पर दूसरा गीत रचा था। देखा गया है कि देश प्रेम के ज्यादातर जोशीले गीत आजादी के बाद ही रचे गए। उन्माद और जोश से भरा गीत 'ये देश है वीर जवानों का' भी 1957 में आई बीआर चोपड़ा की फ़िल्म 'नया दौर' का था। इसे ओपी नैयर के संगीत में मोहम्मद रफी ने गाया और परदे पर भी इसे उतनी ही खूबसूरती से पेश भी किया गया। आज ये गीत राष्ट्रीय पर्वों का हिस्सा बन चुका है।
डॉ अलामा इक़बाल की लिखी कविता 'सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा' गीत को 'भाई-बहन' (1959) और 'धर्मपुत्र' (1961) जैसी फ़िल्मों में भी रखा गया था। देश प्रेम के गीतों वाली फिल्मों में 1961 की फ़िल्म 'काबुलीवाला' भी है। इस फिल्म के गीत 'ऐ मेरे प्यारे वतन' को मन्ना डे ने बेहद खूबसूरती से गाया था। देशभक्ति के गीतों की बात 'ऐ मेरे वतन के लोगों के बिना पूरी नहीं होती। इस गैर फ़िल्मी गीत को कवि प्रदीप ने 1962 में भारत-चीन युद्ध में मारे गए भारतीय सैनियों को श्रद्धांजलि देने के लिए रचा था। लता मंगेशकर ने इस गीत को कुछ ऐसे गाया था कि सुनने वालों की आंखें आज भी नम हो जाती है। 1964 की फिल्म 'हकीकत' के गीत 'अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों' भी देशभक्ति ओतप्रोत था। कैफ़ी आज़मी के लिखे इस गीत को मदन मोहन ने संगीत दिया और मोहम्मद रफी ने गाया था। 1965 में आई फिल्म 'शहीद' का जोशीला गीत 'ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी कसम' देश के स्वतंत्रता संघर्ष के अहम किरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत पर आधारित था। ये गीत हर राष्ट्रीय पर्व का हिस्सा बन गया है। 1967 में आई फिल्म 'उपकार' के गीत 'मेरे देश की धरती सोना उगले' भले ही आजादी के कई साल बाद जन्मा, पर इस गीत के बोलों में भविष्य के भारत का ताना-बाना मिलता है।
डॉ अलामा इक़बाल की लिखी कविता 'सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा' गीत को 'भाई-बहन' (1959) और 'धर्मपुत्र' (1961) जैसी फ़िल्मों में भी रखा गया था। देश प्रेम के गीतों वाली फिल्मों में 1961 की फ़िल्म 'काबुलीवाला' भी है। इस फिल्म के गीत 'ऐ मेरे प्यारे वतन' को मन्ना डे ने बेहद खूबसूरती से गाया था। देशभक्ति के गीतों की बात 'ऐ मेरे वतन के लोगों के बिना पूरी नहीं होती। इस गैर फ़िल्मी गीत को कवि प्रदीप ने 1962 में भारत-चीन युद्ध में मारे गए भारतीय सैनियों को श्रद्धांजलि देने के लिए रचा था। लता मंगेशकर ने इस गीत को कुछ ऐसे गाया था कि सुनने वालों की आंखें आज भी नम हो जाती है। 1964 की फिल्म 'हकीकत' के गीत 'अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों' भी देशभक्ति ओतप्रोत था। कैफ़ी आज़मी के लिखे इस गीत को मदन मोहन ने संगीत दिया और मोहम्मद रफी ने गाया था। 1965 में आई फिल्म 'शहीद' का जोशीला गीत 'ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी कसम' देश के स्वतंत्रता संघर्ष के अहम किरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत पर आधारित था। ये गीत हर राष्ट्रीय पर्व का हिस्सा बन गया है। 1967 में आई फिल्म 'उपकार' के गीत 'मेरे देश की धरती सोना उगले' भले ही आजादी के कई साल बाद जन्मा, पर इस गीत के बोलों में भविष्य के भारत का ताना-बाना मिलता है।
समय के साथ बहुत कुछ बदला, पर देशभक्ति वाले जोशीले गीत अभी भी रचे और पसंद किए जा रहे हैं। 1986 की फिल्म 'कर्मा' के गीत दिल दिया है जान भी देंगे, 'स्लमडॉग मिलियनेयर' (2008) के गाने 'जय हो' आज भी लोकप्रिय गीतों में शामिल है। जाने-माने संगीतकार और एआर रहमान ने दशकों पुराने गीत 'वंदे मातरम' को अपनी आवाज़ फिर से गाकर जोश भर दिया है। फिल्म 'राजी' (2018) का देशभक्ति गीत 'ऐ वतन ऐ वतन' के बोल दिल को छू लेने वाले हैं। इस गाने को सुनिधि चौहान ने अपनी आवाज़ दी है। वहीं शंकर एहसान लोय ने गाने में म्यूजिक दिया है। इसके बाद 2019 की फिल्म 'केसरी' के गीत 'तेरी मिट्टी' ने सबकी आंखे नम कर दीं। इस गीत के बोल सुनने वाले के दिल में देशभक्ति जगाता है।
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