भाजपा ने आज जो किया वह अप्रत्याशित ही कहा जाएगा। इसलिए कि जिस तरह की चुनावी तैयारियां भाजपा कर रही है, उसे देखते हुए यह सोचा नहीं गया था कि भाजपा इतनी जल्दी अपनी पहली लिस्ट जारी कर देगी। 39 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट इसलिए जारी की गई, ताकि घोषित उम्मीदवार अपने क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाकर जीत का माहौल बना सकें। लेकिन, इस लिस्ट में कई तरह की विसंगतियां हैं। इसलिए इस लिस्ट को देखकर लगता है कि कहीं न कहीं इसमें भाजपा की घबराहट भी छुपी है।
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- हेमंत पाल
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर गुरुवार को चौंकाने वाली खबर सामने आई। भले ही प्रदेश के विधानसभा चुनाव की अभी घोषणा नहीं हुई, पर भाजपा ने 230 में से 39 नाम का एलान करके सियासी माहौल गरमा दिया। घोषित किए 39 उम्मीदवारों में 11 एसटी, 11 ओबीसी एवं 9 सीटें सामान्य वर्ग की घोषित की गई। इस पहली सूची में 2018 में चुनाव हारे 14 चेहरों को फिर मौका दिया गया। इनमें चार पूर्व मंत्री ललिता यादव, लालसिंह आर्य, ओम प्रकाश धुर्वे और नाना भाऊ मोहोड़ भी शामिल है। इस लिस्ट में कई नाम ऐसे हैं, जो पिछला चुनाव हारे थे, फिर भी पार्टी ने उन पर भरोसा जताया। विधानसभा की ये वे सीटें हैं, जहां से पिछला चुनाव या लगातार दो चुनाव पार्टी हारी है। भाजपा की मंशा है कि ऐसे में इन उम्मीदवारों को प्रचार के लिए ज्यादा समय मिल सकेगा। 39 के बाद कुछ और सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की बात सामने आई है।
भाजपा संगठन लम्बे समय से विधानसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता बना रहा था। जिसमें पिछला चुनाव हारे नेताओं को टिकट न देने, 65 से ज्यादा उम्र वाले नेताओं को भी चुनाव से बाहर रखने और बेटों, बेटियों, रिश्तेदारों को टिकट न देने की बात कही गई थी। लेकिन, घोषित की गई लिस्ट में वे सभी नियम-कायदे खंडित हो गए। ज्यादातर हारे नेताओं पर ही भरोसा किया गया। कई उम्रदराज नेता फिर चुनाव मैदान में उतारे गए और बेटे, बेटी और बहू तक को उम्मीदवार बनाया। भाजपा से अनुशासनहीनता के लिए निष्कासित और फिर से पार्टी में लिए गए उमा भारती समर्थक प्रीतम सिंह लोधी को पिछोर से उम्मीदवार बनाया है।
सिंधिया समर्थक का पत्ता कटा
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए रणवीर जाटव को पार्टी ने टिकट नहीं दिया। उनकी गोहद सीट से लालसिंह आर्य को उम्मीदवार बनाया गया है। रणवीर जाटव को उपचुनाव में करारी हार मिली थी, इस कारण उनका टिकट काट दिया। जबकि, सिंधिया के साथ भाजपा में आए एदल सिंह कंसाना को सुमावली उपचुनाव हारने के बावजूद फिर उम्मीदवार बनाया है।
मालवा-निमाड़ की 11 सीटें घोषित
घोषित सूची में मालवा-निमाड़ इलाके की 11 सीटों के नाम घोषित हुए हैं। इस बार मालवा-निमाड़ पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपना ध्यान केंद्रित कर रखा है। कारण है कि भाजपा ने 39 में से 11 उम्मीदवार मालवा-निमाड़ के घोषित किए। ये हैं सोनकच्छ, महेश्वर, कसरावद, अलीराजपुर, झाबुआ, पेटलावद, कुक्षी, धरमपुरी, राऊ, तराना और घट्टिया विधानसभा सीट।
कुछ नाम गले उतरने वाले नहीं
भाजपा ने घोषणा की थी की सोनकच्छ से कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा के सामने इस बार कोई ताकतवर उम्मीदवार उतारा जाएगा। लेकिन, उनके सामने राजेश सोनकर को टिकट दिया गया। वे 2018 का चुनाव इंदौर की सांवेर सीट से तुलसी सिलावट से हारे थे। बाद में सिलावट के भाजपा में आने से वे इस सीट से वंचित हो गए। लेकिन, पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का इनाम देते हुए उन्हें सोनकच्छ से मैदान में उतारा गया है। अब सोनकच्छ में दोनों प्रमुख उम्मीदवार इंदौरी होंगे। इसी तरह झाबुआ से कांतिलाल भूरिया के सामने चुनाव हारे भानु भूरिया को एक बार फिर से उम्मीदवार बनाया गया जो अपेक्षाकृत कमजोर उम्मीदवार है। वे पिछला उपचुनाव कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया से हारे थे। पिछले चुनाव में पार्टी से बाहर किए गए राजकुमार मेव को इस बार भाजपा ने अधिकृत उम्मीदवार बनाया है। उन्हें महेश्वर से मैदान में उतारा है। जबकि, पिछली बार बाहरी होने से स्थानीय स्तर पर उनका विरोध हुआ था।
सिंधिया समर्थक का पत्ता कटा
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए रणवीर जाटव को पार्टी ने टिकट नहीं दिया। उनकी गोहद सीट से लालसिंह आर्य को उम्मीदवार बनाया गया है। रणवीर जाटव को उपचुनाव में करारी हार मिली थी, इस कारण उनका टिकट काट दिया। जबकि, सिंधिया के साथ भाजपा में आए एदल सिंह कंसाना को सुमावली उपचुनाव हारने के बावजूद फिर उम्मीदवार बनाया है।
मालवा-निमाड़ की 11 सीटें घोषित
घोषित सूची में मालवा-निमाड़ इलाके की 11 सीटों के नाम घोषित हुए हैं। इस बार मालवा-निमाड़ पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपना ध्यान केंद्रित कर रखा है। कारण है कि भाजपा ने 39 में से 11 उम्मीदवार मालवा-निमाड़ के घोषित किए। ये हैं सोनकच्छ, महेश्वर, कसरावद, अलीराजपुर, झाबुआ, पेटलावद, कुक्षी, धरमपुरी, राऊ, तराना और घट्टिया विधानसभा सीट।
कुछ नाम गले उतरने वाले नहीं
भाजपा ने घोषणा की थी की सोनकच्छ से कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा के सामने इस बार कोई ताकतवर उम्मीदवार उतारा जाएगा। लेकिन, उनके सामने राजेश सोनकर को टिकट दिया गया। वे 2018 का चुनाव इंदौर की सांवेर सीट से तुलसी सिलावट से हारे थे। बाद में सिलावट के भाजपा में आने से वे इस सीट से वंचित हो गए। लेकिन, पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का इनाम देते हुए उन्हें सोनकच्छ से मैदान में उतारा गया है। अब सोनकच्छ में दोनों प्रमुख उम्मीदवार इंदौरी होंगे। इसी तरह झाबुआ से कांतिलाल भूरिया के सामने चुनाव हारे भानु भूरिया को एक बार फिर से उम्मीदवार बनाया गया जो अपेक्षाकृत कमजोर उम्मीदवार है। वे पिछला उपचुनाव कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया से हारे थे। पिछले चुनाव में पार्टी से बाहर किए गए राजकुमार मेव को इस बार भाजपा ने अधिकृत उम्मीदवार बनाया है। उन्हें महेश्वर से मैदान में उतारा है। जबकि, पिछली बार बाहरी होने से स्थानीय स्तर पर उनका विरोध हुआ था।
बेटे और बहू को टिकट दिया
जबलपुर की पाटन सीट से पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह के बेटे नीरज सिंह ठाकुर को उम्मीदवार बनाया। छतरपुर की महाराजपुर सीट से में पूर्व विधायक मानवेंद्र सिंह भंवर के बेटे कामाख्या प्रताप सिंह को टिकट मिला है। सबलगढ़ विधानसभा सीट के पूर्व विधायक स्व मेहरबान सिंह रावत की बहू सरला रावत को पार्टी ने टिकट दिया।
जिन पर भरोसा नहीं, वे लिस्ट में
उज्जैन की घट्टिया विधानसभा सीट से 2013 में सतीश मालवीय जीते थे। उन्हें 2018 में टिकट नहीं दिया तो वहां से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इस बार फिर पार्टी ने सतीश मालवीय पर दांव लगाया है। मुलताई से चंद्रशेखर देशमुख को टिकट दिया गया है। उन्होंने 2013 में कांग्रेस के कद्दावर नेता सुखदेव पांसे को हराया, लेकिन 2018 के चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था और यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार फिर पार्टी ने चंद्रशेखर देशमुख पर भरोसा जताया है।
कई नाम चौंकाने वाले
चाचौड़ा सीट से दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह विधायक उनके सामने प्रियंका मीणा को टिकट दिया गया। वे अभी कुछ दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुई है। उनके पति राजस्व सेवा में अफसर हैं और अभी दिल्ली में कार्यरत हैं। बालाघाट की लांजी सीट से भाजपा ने राजकुमार कराये को टिकट दिया। राजकुमार ने हाल ही में 'आप' पार्टी से इस्तीफा दिया था। भाजपा की जारी लिस्ट में उनका भी नाम है। 'आप' से पहले भाजपा में थे। दो बार से टिकट की मांग कर रहे थे। अनूपपुर की पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट से भाजपा के जिला महामंत्री हीरासिंह श्याम का नाम घोषित किया गया। वे जनपद पंचायत के अध्यक्ष भी रहे हैं। जबकि, यहां से सांसद हिमाद्री सिंह को चुनाव लड़ाए जाने की चर्चा थी।
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जबलपुर की पाटन सीट से पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह के बेटे नीरज सिंह ठाकुर को उम्मीदवार बनाया। छतरपुर की महाराजपुर सीट से में पूर्व विधायक मानवेंद्र सिंह भंवर के बेटे कामाख्या प्रताप सिंह को टिकट मिला है। सबलगढ़ विधानसभा सीट के पूर्व विधायक स्व मेहरबान सिंह रावत की बहू सरला रावत को पार्टी ने टिकट दिया।
जिन पर भरोसा नहीं, वे लिस्ट में
उज्जैन की घट्टिया विधानसभा सीट से 2013 में सतीश मालवीय जीते थे। उन्हें 2018 में टिकट नहीं दिया तो वहां से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इस बार फिर पार्टी ने सतीश मालवीय पर दांव लगाया है। मुलताई से चंद्रशेखर देशमुख को टिकट दिया गया है। उन्होंने 2013 में कांग्रेस के कद्दावर नेता सुखदेव पांसे को हराया, लेकिन 2018 के चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था और यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार फिर पार्टी ने चंद्रशेखर देशमुख पर भरोसा जताया है।
कई नाम चौंकाने वाले
चाचौड़ा सीट से दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह विधायक उनके सामने प्रियंका मीणा को टिकट दिया गया। वे अभी कुछ दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुई है। उनके पति राजस्व सेवा में अफसर हैं और अभी दिल्ली में कार्यरत हैं। बालाघाट की लांजी सीट से भाजपा ने राजकुमार कराये को टिकट दिया। राजकुमार ने हाल ही में 'आप' पार्टी से इस्तीफा दिया था। भाजपा की जारी लिस्ट में उनका भी नाम है। 'आप' से पहले भाजपा में थे। दो बार से टिकट की मांग कर रहे थे। अनूपपुर की पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट से भाजपा के जिला महामंत्री हीरासिंह श्याम का नाम घोषित किया गया। वे जनपद पंचायत के अध्यक्ष भी रहे हैं। जबकि, यहां से सांसद हिमाद्री सिंह को चुनाव लड़ाए जाने की चर्चा थी।
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