दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित मलयालम फिल्मों के अभिनेता मोहनलाल ने अपने चार दशक के करियर में कई भाषाओं की फिल्मों में अभिनय किया। भारतीय सिनेमा पर मोहनलाल का प्रभाव बेजोड़ है। परदे पर वे अपनी प्रभावशाली मौजूदगी के लिए जाने जाते हैं। उनकी पहचान देश के सबसे सम्मानित अभिनेताओं में है। यहां तक कि उन्हें मलयाली फिल्मों का अमिताभ बच्चन कहा जाता है। ये समानता काफी हद तक सही भी है। अमिताभ की तरह उनकी संवाद अदायगी और भावनाओं का प्रभावी प्रदर्शन बेजोड़ होता है। मोहनलाल सिर्फ अभिनय ही नहीं करते, वे गीत भी गाते हैं, एक्शन में ही उन्हें महारत है और फिल्म निर्माण में भी उनका दखल है। मोहनलाल की खासियत यह भी है कि उन्होंने मलयालम सिनेमा को राष्ट्रीय पहचान ही नहीं दिलाई, वैश्विक स्तर पर भी प्रसिद्धि दिलाने में वे मददगार रहे। 000
- हेमंत पाल
केरल देश के छोटे राज्यों में है और यहां बोली जाने वाली मलयालम भाषा का दायरा भी सीमित है। इस भाषा में फ़िल्में भी बनती है। लेकिन, जब भी मलयालम की फिल्मों का जिक्र होता है, बात एक ही अभिनेता से शुरू होती है और उसी पर ख़त्म भी हो जाती है। ये हैं सर्वकालिक लोकप्रिय अभिनेता मोहनलाल, जिन्हें इस बार भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहेब फाल्के' से नवाजा गया। मोहनलाल वो कलाकार हैं जिन्होंने मलयालम सिनेमा को वैश्विक पहचान दी। उन्होंने न सिर्फ अभिनय के मामले में मलयालम सिनेमा को समृद्ध किया, बल्कि व्यावसायिक रूप से भी मलयालम फिल्म उद्योग को मजबूती दी। फिल्मों के जो दर्शक इस अभिनेता की प्रसिद्धि से वाकिफ नहीं हैं, उनके लिए इतना जानना ही काफी है कि मोहनलाल को मलयाली फिल्मों का अमिताभ बच्चन कहा जाता है। दक्षिण के एक छोटे से राज्य की भाषा के इस अभिनेता को सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान मिलना उनकी इसी अभिनय क्षमता का प्रमाण है। इस अभिनेता ने अपने चार दशक लंबे करियर में करीब 400 फिल्मों में काम किया। उन्होंने सिर्फ मलयालम ही नहीं, तेलगु और तमिल की फिल्मों में भी अपनी छाप छोड़ी है। मोहनलाल की खासियत उनकी सहज अभिनय शैली है, इस वजह से उन्हें देश में अब तक के श्रेष्ठ अभिनेताओं में गिना जाता है।
माना जाता है कि महान अभिनेता अपने अभिनय से किरदार के भीतर की उत्तेजना को वास्तविकता और संतुलित अंदाज से प्रस्तुत करते है। यही वजह है कि वे निर्देशकों की उम्मीदों से भी ऊपर प्रदर्शन करते हैं। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में भी मोहनलाल का योगदान महत्वपूर्ण माना जाता है। वे न केवल एक अभिनेता हैं, बल्कि फिल्म निर्माता, प्लेबैक सिंगर और मार्शल आर्ट की कुशलता वाले योद्धा भी हैं। अभिनय में उनकी असाधारण नैसर्गिकता और भावनाओं की गहराई दर्शकों को अंदर तक उद्वेलित करती है। कथकली और भरतनाट्यम जैसे शास्त्रीय नृत्यों का सहज प्रदर्शन उनकी अद्भुत प्रतिभा का संकेत है। उन्होंने परदे पर कलारी मार्शल आर्ट में अपनी दक्षता भी दिखाई।
उन्हें कई राष्ट्रीय और राज्य पुरस्कारों से नवाजा गया। उन्हें भारतीय सिनेमा में पहली बार मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि भी प्रदान की गई। मोहनलाल मलयाली सिनेमा के बहुमुखी कलाकारों में एक हैं। उनका अभिनय, सांस्कृतिक विविधता के साथ पेशेवर क्षमता में भी अद्वितीय है। उनकी यही विशेषता उन्हें भारतीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खास बनाती है। मलयाली सिनेमा में बेहतरीन फिल्में देने के लिए मोहनलाल को पांच बार नेशनल अवार्ड मिले। 1990 (किरीदम) के लिए स्पेशल ज्यूरी अवार्ड, 1992 में बेस्ट एक्टर (भारतम), 2000 में फीचर फिल्म (वनप्रस्थानम) के लिए, 2000 में बेस्ट एक्टर (वनप्रस्थानम) और 2017 में स्पेशल जूरी (जनता गैराज, मुन्थिरिवल्लिकल थलिर्ककुम्बोल, पुलिमुरुगन) के लिए उन्हें नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया। इसके अलावा इस मलयालम सुपरस्टार को 2001 में पद्मश्री और 2019 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
दादा साहेब पुरस्कार हासिल करने वाले मोहनलाल दूसरे मलयाली फ़िल्मी सितारे हैं। उनसे पहले मलयालम फिल्म निर्माता अदूर गोपालकृष्णन को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अदूर गोपालकृष्णन को 2004 में यह पुरस्कार मिला। यह पहली बार था, जब किसी मलयालम कलाकार को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया। अदूर की एलिप्पथायम, मुखामुखम, मतिलुकल और 'निजालकुथु' जैसी फिल्मों ने मलयालम सिनेमा के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा भी हासिल की। इसे संयोग ही माना जाना चाहिए कि मोहनलाल और अदूर गोपालकृष्णन दोनों एक ही जिले पथानामथिट्टा जिले से हैं, जो केरल की समृद्ध सिनेमा विरासत का प्रतीक है। एक ने अपने यादगार अभिनय से, तो दूसरे ने अपने अनोखे निर्देशन के जरिए सिनेमा के दर्शकों का दिल जीता। उनकी यह कला केरल की कलात्मक उत्कृष्टता को दर्शाती है।
सर्वोच्च सम्मान पाने के बाद मोहनलाल ने कहा कि मुझे यह प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान पाकर अपार गर्व का अनुभव हो रहा है। मलयालम सिनेमा का प्रतिनिधित्व करते हुए, मैं सबसे कम उम्र के पुरस्कार विजेता और सीमित साधनों से आने वाले दूसरे व्यक्ति के रूप में सम्मानित होने पर अत्यंत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह मेरा नहीं, बल्कि पूरे मलयालम सिनेमा समुदाय का सम्मान है। मोहनलाल ने इस पुरस्कार को मलयालम सिनेमा की विरासत, रचनात्मकता और सहनशीलता के प्रति एक सामूहिक सम्मान बताया। यह भी कहा कि यह सम्मान उनके लिए जादुई और पवित्र क्षण है। उन्होंने इसे मलयालम सिनेमा के सभी महान कलाकारों, उद्योग और केरल के दर्शकों को समर्पित किया, जिन्होंने वर्षों से उनकी कला को स्नेह और समझ के साथ पोषित किया। मोहनलाल ने कुमारन आशान की एक पंक्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि यह फूल केवल धूल में नहीं गिरा, बल्कि जीवन को सुंदरता के साथ जिया। यह पुरस्कार उन सभी कलाकारों को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने अपनी प्रतिभा और मेहनत से सिनेमा में अमिट छाप छोड़ी।
अभिनय के मामले में मोहनलाल की तुलना अकसर अमिताभ बच्चन से की जाती है, जो सही भी है। अमिताभ बच्चन को हिंदी सिनेमा का एक ऐसा अभिनेता माना जाता है, जिनकी अभिव्यक्ति में गहराई, गंभीरता और अभिनय शैली की एक अलग छाप है। वे संवाद अदायगी और भावनाओं को बहुत प्रभावी ढंग से प्रदर्शित करते हैं। उसी तरह मोहनलाल में मेथड एक्टिंग के साथ स्टारडम का अद्भुत संयोजन है। वे ट्रेजेडी, कॉमेडी, मेलोड्रामा और रोमांस सभी तरह के कथानकों के साथ न्याय करते हुए सहजता से अभिनय करते हैं। उनकी भावनात्मक अभिव्यक्ति बेहद नैचुरल और प्रेरक कही जाती है। स्वयं अमिताभ बच्चन ने मोहनलाल की सहजता और गहरी भावाभिव्यक्ति की क्षमता की तारीफ की। यही वजह है कि मोहनलाल की गिनती सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं में होती है। जिस तरह अमिताभ बच्चन ने हिंदी सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, उसी तरह मोहनलाल को भी मलयालम फिल्म उद्योग में महानायक की तरह पूजा जाता है। देश की कई भाषाओं के दिग्गज कलाकारों ने मोहनलाल के अभिनय और उनके मलयालम सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के प्रयासों की सराहना की है। अमिताभ बच्चन ने भी मोहनलाल को बेमिसाल प्रतिभा और प्रेरणादायक कलाकार बताया, जिससे मोहनलाल का हिंदी फिल्मों में भी प्रभाव रहा है।
मोहनलाल की फिल्में जैसे 'दृश्यम' और 'एम्पुराण' ने मलयालम सिनेमा को वैश्विक स्तर पर अलग ही पहचान दिलाई है। दोनों कलाकारों ने फिल्मों में साथ भी काम किया है। 2010 में आई फिल्म 'कंधार' में इन दोनों महान कलाकारों ने साथ अभिनय किया। इसलिए कहा जाता है कि मोहनलाल मलयालम फिल्मों के अमिताभ बच्चन हैं। इसमें अमिताभ ने बिना फीस लिए कैमियो किया था, जो उनकी दोस्ती और सम्मान को दर्शाता है। अमिताभ बच्चन की स्टारडम व्यापक है और वे कई पीढ़ियों के लिए आइकन हैं। इसी तरह मोहनलाल भी केरल के सुपरस्टार हैं, जिनकी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड दर्ज किए हैं। उनकी लोकप्रियता मलयालम सिनेमा की सीमाओं से परे है। इस तुलना में दोनों कलाकारों के योगदान और प्रतिभा को उच्च सम्मान के साथ देखा जाता है। वे भारतीय सिनेमा के दो महान स्तंभ माने जाते हैं। उनके अभिनय के तरीके, दर्शकों के दिल में स्थान और फिल्म उद्योग में योगदान के आधार पर दोनों का अलग-अलग महत्व है, जो प्रशंसकों की पसंद पर निर्भर करता है। अमिताभ बच्चन ने मोहनलाल को बेहतरीन अभिनेता माना, जो दोनों के बीच सम्मान दर्शाता है।
मोहनलाल की लोकप्रियता का संकेत यह भी है कि उन्होंने हिंदी फिल्मों में भी काम किया। इनमें प्रमुख हैं 'कंपनी' (2002) जो मोहनलाल की पहली बॉलीवुड फिल्म थी, जिसके लिए उन्हें 'आईफा' और 'स्टार स्क्रीन अवार्ड' मिले थे। 'राम गोपाल वर्मा की आग' फिल्म 1975 की शोले की रीमेक थी, जिसमें मोहनलाल ने इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई। मोहनलाल की कई मशहूर मलयालम फिल्मों को भी हिंदी में डब किया गया, जिनमें 'क्रिमिनल लॉयर शिव-राम' और 'गीतांजली' को काफी पसंद किया गया। इसके अलावा, मोहनलाल की कुछ मलयालम फिल्मों के हिंदी रीमेक भी बनाए गए। जैसे 'किलुक्कम' का रीमेक 'मुस्कुराहट' और 'पूचक्कारु मूक्कुथी' का रीमेक 'हंगामा' है। इसके अलावा उनकी तमिल और मलयालम फिल्मों की हिंदी डब्ड भी लोकप्रिय रही। चार दशक की अभिनय यात्रा के बाद भी मोहनलाल थके नहीं हैं। उन्होंने सम्मान के बाद कहा भी कि वे अब और ज्यादा जिम्मेदारी से अपना काम करेंगे।
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