इंदौर शहर की पहचान पूरे देश में साफ़ और स्वच्छ
शहर के रूप में है। इस शहर ने लगातार आठ बार स्वच्छता
का खिताब जीता। इसके अलावा यहां के स्वाद की भी
कुछ अलग पहचान हैं। लेकिन, कुछ फैक्टर ऐसे हैं,
जो उसकी इस छवि पर दाग लगने से बाज नहीं आए। उन्हीं में
से एक है दो महिलाओं की शातिर दिमाग की हरकतें।
संयोग माना जाना चाहिए की दोनों घटनाएं 12 दिन बाद
उजागर हुई। लेकिन, दोनों घटनाओं को जिस तरह दो
महिलाओं ने साजिश में गूंथा, वह अपने आप में आश्चर्य करने
वाली बात है। ये दोनों न तो अपराधी हैं और न उनका
बैकग्राउंड इस तरह का है, पर दोनों ही मामलों को खंगाला
जाए तो घटना हर कदम किसी अपराध फिल्म की स्क्रिप्ट
नजर आता है।
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- हेमंत पाल
इंदौर में करीब 3 महीने में दो ऐसी घटनाएं हुई, जिन्होंने पूरे देश में इंदौर की एक अलग छवि निर्मित की। यह छवि है आपराधिक कृत्य वाली और यह करने वाली भी दो महिलाएं हैं। जिनकी उम्र 30 साल की भी नहीं हुई। पहले सोनम रघुवंशी का नाम आया जिसकी 11 मई को राजा रघुवंशी से शादी हुई थी और उसने अपने प्रेमी के साथ शादी के पहले ही साजिश रचकर पति राजा रघुवंशी को हनीमून ट्रिप पर शिलांग में सुपारी देकर मरवा दिया। इसके बाद अर्चना तिवारी सामने आई। इस महिला ने परिवार के शादी के दबाव के आगे झुकने के बजाए खुद को परिदृश्य से गायब करने की चाल चली। राखी पर अपने घर कटनी जाते समय वे रास्ते में ट्रेन से बेहद शातिराना तरीके से गायब हो गई। उसके गायब होने की साजिश में एक लड़का सारांश सामने आया। रेलवे पुलिस परेशान रही। उसे नर्मदा और जंगल में तलाश किया गया। लेकिन, बाद में पुलिस ने लिंक जोड़कर 12 दिन बाद उसे भारत-नेपाल की सीमा पर पकड़ लिया।
पहले कटनी की रहने वाली और इंदौर में रहकर जज की तैयारी कर रही 29 साल की अर्चना तिवारी की गुमशुदगी और फिर यूपी-नेपाल बॉर्डर से बरामद होने की गुत्थी को समझा जाए। रेलवे पुलिस जांच में जो परतें सामने आई, उसने साफ कर दिया कि यह कोई अपहरण या हादसा नहीं, बल्कि खुद अर्चना की बनाई गई साजिश वाली कहानी थी। समाज में महिलाओं की एक अलग छवि है। इसलिए सहज भरोसा नहीं होता कि कोई मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की खुद को शादी से बचाने के लिए इतनी गहरी साजिश रच सकती है। इस घटना ने लोगों की इस धारणा खंडित तो किया है। अर्चना घर वालों के इस फैसले से नाराज थी कि उसकी शादी एक पटवारी से की जा रही है, जबकि वो सिविल जज बनने की तैयारी कर रही थी। सवाल उठता है कि उसने विरोध न करके अपने आपको परिदृश्य से गायब करने का षड़यंत्र क्यों और किसके कहने पर किया।
यदि पूरे घटनाक्रम पर नजर दौड़ाई जाए, तो एक बात साफ़ नजर आती है कि जिस तरह फुलप्रूफ षड्यंत्र रचा गया, वो किसी सामान्य लड़की के बस की बात शायद नहीं हो सकती, पर सच यही है सारी कहानी अर्चना ने ही बनाई। 7 अगस्त की रात अर्चना इंदौर से नर्मदा एक्सप्रेस ट्रेन से कटनी के लिए रवाना हुई थी। परिवार को उसने बताया था कि वे राखी पर कटनी आ रही हैं। लेकिन, वहां नहीं पहुंची। देर रात उसका मोबाइल बंद हो गया। परिवार ने भोपाल के रानी कमलापति जीआरपी थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। रेलवे पुलिस जांच में सामने आया कि अर्चना ने गुम होने की योजना पहले से बना रखी थी। वकील होने के नाते उसे कानून और जांच प्रक्रिया की बारीकियां पता थीं। उसने सोचा कि अगर मामला जीआरपी में दर्ज होगा, तो उस पर गहन जांच नहीं होगी।
इसी सोच के तहत इटारसी के पास जंगल में अर्चना ने अपना मोबाइल फोन फेंक दिया, ताकि लोकेशन ट्रेस न हो सके। उसने सारांश के साथी के साथ ट्रेन से उतरने के बाद ऐसा रास्ता चुना, जहां टोल टैक्स और सीसीटीवी कैमरे न हो। इस सफर में सारांश दूरी बनाकर उसके साथ रहा। इस पूरे घटनाक्रम में अर्चना के दो दोस्तों सारांश और ड्राइवर तेजेंद्र की अहम भूमिका रही। सारांश से अर्चना की पहचान इंदौर में पढ़ाई के दौरान हुई थी। तेजेंद्र ड्राइवर था, जो अर्चना को बाहर ले जाया करता था। उसी ने बीच रास्ते में ट्रेन में अर्चना को साड़ी और कपड़े दिए। तीनों ने मिलकर तय किया कि गुमशुदगी का नाटक करना आसान रहेगा। तेजेंद्र और सारांश की मदद से अर्चना इटारसी से निकलकर शुजालपुर पहुंची। वहां से उन्होंने लंबा रूट लिया ताकि किसी टोल प्लाजा या कैमरे में न आए।
शुजालपुर से इंदौर होते हुए वे बुरहानपुर गईं। वहां से हैदराबाद और फिर जोधपुर होते हुए दिल्ली पहुंची। इसके बाद सारांश के साथ 14 अगस्त को नेपाल चली गई। इस दौरान अर्चना ने नई सिम कार्ड या फोन भी मध्य प्रदेश से नहीं लिया, ताकि कहीं भी उनकी ट्रैकिंग न हो सके। आसानी से समझा जा सकता है कि ये किसी सामान्य लड़की के दिमाग की उपज नहीं हो सकती। जांच टीम ने सैकड़ों सीसीटीवी फुटेज खंगाले। बड़ा सुराग तब मिला, जब अर्चना की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) में एक नंबर पर लंबे समय तक बातचीत दर्ज हुई, वह नंबर सारांश का निकला। वहीं से पुलिस ने कड़ियां जोड़नी शुरू की। सारांश को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो पूरा राज खुल गया और अर्चना को नेपाल बॉर्डर से पकड़ा गया। अर्चना ने कहा कि सारांश के साथ उनके कोई प्रेम संबंध नहीं हैं। वह सिर्फ उनका दोस्त है, जिसने इस पूरी योजना में मदद की। यह भले ही अर्चना का पक्ष हो, पर कोई इस बात पर भरोसा नहीं कर रहा कि दोनों के बीच सिर्फ 'दोस्ती' का संबंध है।
सोनम रघुवंशी की कहानी
अब दूसरी लड़की सोनम रघुवंशी की कहानी, जिसने साजिश रचने में किसी जासूसी फिल्मों की कहानी को मात कर दिया। शुरुआत हुई 11 मई से जब राजा रघुवंशी और सोनम रघुवंशी की परिवार की राजी-मर्जी से शादी हुई। दोनों का परिवार खुश था। दोस्तों में भी उत्साह था। यह एक साधारण विवाह था, पर क्या पता था कि कुछ ही दिनों में यह शादी देशभर में सुर्खी बन जाएगी। इंदौर से हनीमून के लिए मेघालय के शिलांग गए इस नवविवाहित जोड़े राजा और सोनम की कहानी ने पूरे देश को झकझोर दिया। एक सपनों भरा हनीमून, जो खुशी और उत्साह का प्रतीक होना चाहिए था, भयानक त्रासदी और रहस्यमयी हत्याकांड में बदल गया। शादी के 9 दिन बाद ही यह जोड़ा हनीमून के लिए पश्चिम बंगाल रवाना हुआ। फिर अचानक शिलांग पहुंच गया। दिलचस्प बात यह कि हनीमून की प्लानिंग सोनम ने खुद की। टिकट से लेकर होटल बुकिंग तक सब कुछ सोनम के नाम से हुआ। पुलिस को यहीं से साजिश की नींव रखी नजर आई।
राजा और सोनम मेघालय के शिलांग में डबल डेकर लिविंग रूट ब्रिज, नोंग्रियाट गांव घूमने गए। यही वह जगह थी, जो इस हत्याकांड का साइलेंट गवाह बना। उसी दिन दोनों अचानक लापता हो गए। फिर न राजा का पता चला, न सोनम का, जिसके बाद परिवार परेशान हो उठा। उनकी किराए की स्कूटी एक सुनसान जगह पर लावारिस मिली। लापता नव विवाहित दंपत्ति पर केस दर्ज किया गया। दोनों का कोई सुराग नहीं था। मीडिया ने इस मामले को लापता कपल के रोमांचक एंगल से रिपोर्ट करना शुरू कर दिया।
2 जून को राजा का शव एक खाई में मिला। शव की हालत बुरी तरह खराब थी कि पहचान करना मुश्किल था। लेकिन, राजा के हाथ पर गुदे 'राजा' टैटू ने उसकी पहचान पक्की कर दी। पोस्टमार्टम में हत्या की पुष्टि हो गई। राजा की मौत सिर में गहरी चोट और धक्का देने से हुई थी। राजा का शव मिलने के बाद सोनम के गायब होने के शक को अलग एंगल से देखा गया। पर, किसी ने यह नहीं सोचा था कि इस पूरी साजिश की मास्टरमाइंड सोनम है और इसके पीछे उसकी चाल राजा से पीछा छुड़ाना और अपने प्रेमी राज कुशवाह से शादी करना है। 9 जून को सोनम गाजीपुर में नाटकीय परिस्थिति में पकड़ी गई। उसे एक ढाबे से गिरफ्तार किया गया।
लेकिन, तब तक पुलिस ने साजिश के सारे पत्ते खोल दिए और ऐसी स्थिति में सोनम ने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया। उसने पुलिस के सामने जो खुलासे किए, वो चौंकाने वाले थे। हनीमून ट्रिप पर पति की हत्या करवाने की उसकी साजिश उसने इस तरह रची थी कि किसी को भरोसा नहीं हो रहा था कि शादी के 10 दिन बाद वो ऐसा खौफनाक कारनामा कर सकती है। ये दो घटनाएं बताती है कि जमाना बदल रहा है। षड्यंत्र रचकर कोई बड़ी वारदात करना अब सिर्फ आपराधिक सोच वाले लोगों की बपौती नहीं रह गया। अबला और कोमलांगी समझी जाने वाली मध्यमवर्गीय परिवार की पढ़ी-लिखी लड़कियां भी साजिश रचकर उसे बड़ी घटना कर सकती हैं।
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