Thursday, September 25, 2025

इंदौर की जमीन स्वच्छ, हवा भी शुद्ध

    देशभर में इंदौर का नाम 'सबसे स्वच्छ शहर' के रूप में है। इस शहर ने लगातार 8 बार देश के स्वच्छ शहर का राष्ट्रीय ख़िताब जीता। पर, इंदौर की चर्चा सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रही। अब इंदौर देश का सबसे साफ हवा वाला शहर भी बन गया। क्योंकि, 'स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025' में उसे 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में पहला स्थान मिला। यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत किया गया, जिसमें शहरों ने वायु प्रदूषण कम करने के लिए किए प्रयासों का मूल्यांकन किया। उसने स्वच्छता के मामले में भी नंबर वन होने के साथ अब साफ हवा के लिए भी यह सम्मान जीत लिया। 
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- हेमंत पाल
   
    जो शहर अभी तक कचरा उन्मूलन के मामले में पूरे देश में नंबर-वन है, वही शहर 'स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025' में भी शत-प्रतिशत अंक लेकर अव्वल रहा। इंदौर को मिला यह सम्मान शहर के इस क्षेत्र में किए गए प्रयासों जैसे वृक्षारोपण, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, ई-बसों को बढ़ावा देने और सड़कों की नियमित सफाई आदि के लिए दिया गया। यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है, कि कोई शहर लगातार 8 बार स्वच्छता में अव्वल रहा हो और धरातलीय स्वच्छता के साथ वायु गुणवत्ता में भी नंबर वन बन गया। शहर ने पहले ही स्वच्छता के क्षेत्र में अपना स्थान सुनिश्चित किया, फ़िर स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में अपनी जीत के साथ साफ हवा में भी अपनी बादशाहत कायम कर ली। माना जा सकता है कि यह सम्मान इंदौर की जनता की जागरूकता और सहभागिता का परिणाम है। एक साथ दो बड़े पुरस्कार मिलना इंदौर के लिए ख़ुशी से ज्यादा गर्व की बात है। 
     'स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025' में इंदौर की जीत को कई आधार पर श्रेष्ठ आंका गया। इंदौर ने 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में देशभर में पहला स्थान हासिल किया। अंकों की बात की जाए तो इंदौर को 200 में से पूरे 200 अंक मिले। इंदौर की इस उपलब्धि के लिए महापौर को ट्रॉफी और डेढ़ करोड़ रुपए का पुरस्कार मिला। यूनाइटेड नेशंस द्वारा इंदौर को वेटलैंड सिटी का भी दर्जा दिया गया। इसका पत्र भी पर्यावरण मंत्री ने महापौर को सौंपा। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्वच्छ वायु सर्वेक्षण के जो नतीजे जारी किए, उसमें इंदौर ने इतिहास रचते हुए नंबर वन का तमगा हासिल किया। इंदौर ने 10 लाख से ज्यादा आबादी के वर्ग में 47 शहरों को पछाड़ा। इसके तहत तीन श्रेणी में देश के 130 शहर हैं। इन्हीं में वायु सर्वेक्षण किया गया।
    स्वच्छ वायु सर्वेक्षण आठ बिंदुओं पर किया गया। इसमें पहला है कम से कम ठोस अपशिष्ट जलाना जिसके तहत इंदौर में कचरा जलाने वालों पर सख्ती कर जुर्माना लगाया गया। दूसरे बिंदु में सड़कों को धूल मुक्त बनाने की कार्रवाई के तहत दो दर्जन से ज्यादा स्वीपिंग मशीनों की मदद से 800 किमी लंबी सड़कों की रोज सफाई की जाती है। साथ ही सड़क किनारे मलबा डालने वालों पर भी चालानी कार्रवाई की गई। तीसरा बिंदु था निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट से धूल को नियंत्रित करना, जिसके तहत निर्माणाधीन भवनों पर ग्रीन नेट का उपयोग अनिवार्य किया गया। सड़क पर मलबा फेंकने वालों पर सख्त कार्रवाई की गई। इस मलबे से पेवर ब्लॉक बनाने की इकाइयां भी स्थापित की गईं। चौथा बिंदु था वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करना, जिसमें  इंदौर ने ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए शहर में चार्जिंग स्टेशन बनाए, कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ई-बसों के उपयोग को प्राथमिकता दी और 'सिग्नल आन-इंजन ऑफ' अभियान चलाया। इसका मतलब है रेड लाइट पर खड़े वाहनों को इंजन बंद करने के लिए प्रेरित करना। 
     इसके पांचवें बिंदु में था उद्योगों से होने वाले उत्सर्जन को कम करना। यहां के उद्योगों में सीएनजी और पीएनजी को बढ़ावा दिया गया। उद्योगों को अपने बॉयलर में कोयले या बायोकोल के बजाय सीएनजी, एलपीजी जैसे स्वच्छ ईंधन के उपयोग के निर्देश दिए गए। सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित करने के लिए उद्योगों को प्रेरित किया। छठे बिंदु में अन्य उत्सर्जन यानी शहर में कोयले से चलने वाली भट्टियों को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया। होटलों के लकड़ी से चलने वाले तंदूर बंद करवाए गए। नवाचार करते हुए ग्रीन वेस्ट से पैलेट, वेस्ट कपड़े से धागा बनाने जैसे संयंत्र स्थापित किए। जनजागरण इसका सातवां बिंदु था जिसमें लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए गए। स्वच्छ वायु रैलियां आयोजित की गई और पर्यावरण के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वालों को प्रोत्साहित किया गया। आठवां और अंतिम बिंदु था 'पीएम-10 घनत्व' कम करना। इसका आशय यह कि शहर में सतत पौधारोपण किया गया। इसका रिकॉर्ड यह है कि एक दिन में 12 लाख से ज्यादा पौधे रोपने का रिकॉर्ड बनाया। ग्रीन बेल्ट विकसित करने पर सतत काम किया और रोटरी डिवाइडर के साथ बगीचों में भी पौधरोपण किया गया।
      मध्यप्रदेश के मालवा इलाके का यह शहर लगातार 8 बार स्वच्छता के मामले में देश में अपना डंका पीट चुका है, जिसने 'रिड्यूस, रीयूज, रीसाइकिल' (कम करें, पुन: उपयोग करें, पुनर्चक्रण करें) मॉडल को अपनाकर 'शून्य लैंडफिल' शहर का दर्जा हासिल किया। शहर की इस उपलब्धि का श्रेय नगर निगम की प्लानिंग, उसके सफाई कर्मियों की कार्य क्षमता और जनता के साझा प्रयासों को जाता है। इसमें घर-घर कचरा संग्रहण और अपशिष्ट निपटान के सभी मानदंडों को पूरा करना शामिल है। इस बार इंदौर को 'सुपर लीग' में भी शामिल किया गया, जिसमें देश के उन 23 शहरों को जगह दी गई, जो अब तक के सर्वे में पहले, दूसरे या तीसरे स्थान पर रह चुके हैं। इस बार भारत सरकार ने इंदौर और ऐसे शहरों को अलग लीग में रखा और उसके अलावा के शहरों की रैंकिंग की। इस लीग में इंदौर अन्य शहरों में पहले भी सबसे ऊपर थे। इस लीग में आकर भी इंदौर का परिणाम सिरमौर का है। इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि 'इंदौर फिर सिरमोर' है।  
     देशभर के शहरों के लिए स्वच्छता का मॉडल बन चुका इंदौर नंबर 1 की प्रतियोगिता से बहुत आगे निकल चुका है। अब इंदौर मार्गदर्शक की भूमिका में है और अन्य शहरों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाएगा। केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण में 2017 से इंदौर पहले नंबर पर आ रहा है। इस शहर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि दूसरे शहर जब कुछ करने का सोचते हैं, तब तक इंदौर वह काम कर चुका होता है। यह बात स्वच्छता को लेकर भी सही साबित हुई। इंदौर के जनभागीदारी मॉडल की देशभर में तारीफ होती है। नवाचारों की सीरीज, आपसी समन्वय और कुछ नया करने का जज्बा हमें दूसरे शहरों से आगे रखता है। आज जब दूसरे शहर पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के लिए जद्दोजहद में लगे हैं। इंदौर लगातार 8 वर्ष अव्वल रहकर खास पायदान पर पहुंच चुका है।
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