Wednesday, September 17, 2025

कांवड़ यात्रा में मौत का तांडव, मुकदमा 'डीजे' पर

    सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में कांवड़ यात्रा में 7 लोगों की मौत हो गई। इन मौतों का कारण भगदड़ या हादसा नहीं, बल्कि दम घुटना था। लेकिन, प्रशासन ने मामला दर्ज किया सात डीजे संचालकों पर। यानी कांवड़ यात्रा में मौत इसलिए हुई कि डीजे जोर से बज रहा था। जबकि, सवाल उठता है कि प्रशासन ने बिना इंतजाम के लाखों की भीड़ क्यों इकट्ठा होने दी, जिससे यह बदइंतजामी हुई! सरकार भी चुप है, यहां तक कि किसी मंत्री ने भी इतनी बड़ी घटना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यह पहली बार नहीं हुआ जब कुबेरेश्वर धाम में ऐसी घटना हुई है। इससे पहले भी रुद्राक्ष वितरण में दो महिलाओं की दबने से मौत हुई थी। सरकार की खामोशी सवाल खड़ा करती है। सरकार का पं प्रदीप मिश्रा को इतना समर्थन क्यों और किससे मिल रहा है। क्या 7 लोगों की मौत का कारण डीजे ही था।
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- हेमंत पाल

    कांवड़ यात्रा श्रद्धालुओं की मौत का कारण बन जाए, अमूमन ऐसा नहीं होता। लेकिन, मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में बने भगवान शंकर के कुबरेश्वर धाम में यही हुआ, जब बदइंतजामी के कारण श्रद्धालुओं की मौत हुई। लाखों की भीड़ तो इकट्ठा कर ली, पर उनको संभालने के कोई इंतजाम नहीं थे। आश्चर्य की बात है कि प्रशासन ने भी इतनी भीड़ इकट्ठा करने की इजाजत क्यों दी! जबकि, यहां इतनी भीड़ के व्यवस्थित होने, रुकने और कावड़ यात्रा निकालने के कोई इंतजाम नहीं थे। यदि प्रशासन को इस बात का अंदाजा था, तो उसने आयोजकों से यह सवाल क्यों नहीं किया कि इस भीड़ को किस तरह व्यवस्थित किया जाएगा!
     इसी तरह का एक हादसा पहले भी हो चुका है, जब रुद्राक्ष वितरण को लेकर इंदौर-भोपाल मार्ग जाम हो गया था और दो महिलाओं की मौत हुई थी। अब मौतों की संख्या 6 हो गई। अभी भी पुलिस ने डीजे की आवाज को इन मौतों का कारण माना, जो आश्चर्यजनक है। न तो आयोजकों पर कोई कार्रवाई की गई और न किसी जिम्मेदार को गिरफ्तार किया गया! मुद्दा यह भी है कि इंदौर-भोपाल मार्ग पर यात्रा करने वालों का इस कावड़ यात्रा से कोई वास्ता नहीं था। फिर क्या कारण है कि प्रशासन ने उस मार्ग को इस यात्रा से मुक्त नहीं रखा। क्योंकि कावड़ यात्रा की वजह से इस मार्ग कर लोग घंटों परेशान हुए।
     मामला यह भी है कि जब मध्य प्रदेश में डीजे पर प्रतिबंध है और इस पर कई जगह सख्त कार्रवाई हो चुकी है। तो फिर इस आयोजन में देशभर के डीजे इकट्ठा करके इतना हो हल्ला करने पर नियंत्रण क्यों नहीं किया गया! प्रशासन को प्रदीप मिश्रा से भी इस मामले में पूछताछ करना चाहिए, जिनकी अपील पर लोग इकट्ठा हुए! आखिर, प्रशासन और पुलिस को कौनसा भय है जो 6 मौतों के बाद भी आयोजकों को बेदाग छोड़ दिया और डीजे संचालकों को दोषी माना जा रहा।
     शिव पुराण कथा वाचक प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम में मौतों का सिलसिला जारी है। कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष वितरण के दौरान मंगलवार को मची भगदड़ में 2 महिलाओं की मौत हुई। उसके बाद बुधवार को हुई तीन मौतें हुईं। जबकि, गुरुवार को एक और मौत के बाद तीन दिन में कुल 7 लोगों की मौत हो गई। वहीं कुछ लोग अस्पताल में भर्ती हैं। तीन दिन में हुई 5 मौतों के बाद गुरुवार सुबह भी उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले के बडा टोला निवासी 22 साल के युवक उपेंद्र की मौत हो गई। इसके बाद प्रशासन अब एक्शन मोड़ में आ गया। उसने कांवड़ यात्रा में कानफोड़ू संगीत बजा रहे डीजे पर कार्रवाई की है। दरअसल, ये सभी मौतें कुबरेश्वर धाम में बुधवार को निकाली गई कांवड़ यात्रा के दौरान हुईं, जिसमें शामिल होने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे। यात्रा की वजह से मंगलवार देर रात से ही यहां इंदौर-भोपाल हाईवे पर लंबा जाम लगा रहा।
प्रशासन की नींद देर से खुली
    कांवड़ यात्रा की भीड़ में लाखों लोगों के इकट्ठा होने के बाद हुई इन मौतों के बाद गुरुवार सुबह प्रशासन सख्त एक्शन मोड में आया। 7 डीजे वालों पर कोलाहल अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए 7 अलग-अलग एफआईआर दर्ज करने का निर्णय लिया गया। बुधवार को निकली कावड़ यात्रा में तेज आवाज में बजने वाले सात डीजे शामिल थे। यह डीजे भोपाल-इंदौर हाईवे पर 11 किमी लंबे रूट में लगाए गए थे। बुधवार को यात्रा के दौरान प्रशासन, पुलिस व अधिकारी भी मौजूद रहे। लेकिन, किसी ने डीजे पर कोई रोक नहीं लगाई। लेकिन, जब इन मौतों पर देशभर की मीडिया में खबरें छपी और मानवाधिकार आयोग ने स्वत संज्ञान लिया तो गुरुवार सुबह से प्रशासन ने सख्ती बरती।
डीजे पर सख्ती, तो कैसे बजने दिए
     मुख्यमंत्री बनते ही डॉ मोहन यादव ने डीजे पर सख्ती की थी। उन्होंने शपथ लेते ही तेज साउंड सिस्टम पर रोक लगाने के आदेश दिए थे। इसके बाद कई धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर भी उतारे गए थे। लेकिन, बुधवार की यात्रा में देशभर से मंगाए गए डीजे खुलेआम तेज आवाज में बजते रहे, जिनमें सीहोर का बाबा डीजे, झारखंड का सार्जन डीजे, यूपी का रावण डीजे, एमजे साउंड मेरठ, दिल्ली का कसाना डीजे, छत्तीसगढ़ का पावर जोन, महाराष्ट्र का प्रशांत डीजे और गुजरात का त्रिनेत्र डीजे शामिल थे।
       सीहोर जिले के कुबेरेश्वर धाम में निकाली जा रही कांवड़ यात्रा में शामिल होने देशभर से लाखो की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे है। कांवड़ यात्रा में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया कि कांवड़ यात्रा में आए हैं। भीड़ तो इतनी है कि पैर रखने की भी जगह नहीं है। यहां आने-जाने वाली गाड़ियों में लोग खचाखच भरे हुए हैं। इन गाड़ियों में सांस तक नहीं ले पा रहे।' इससे पहले यहां मंगलवार और बुधवार को 5 लोगों की मौत हो गई थी, वहीं 3 घायल लोगों का इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अब मामले को लेकर मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है और कुबेरेश्वर धाम की व्यवस्थाओं को लेकर सवाल पूछे हैं जिसका जवाब प्रशासन को 15 दिनों में देना होगा।
कांवड़ यात्रा या मौत का तांडव
     सीहोर में कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा आयोजित भव्य कांवड़ यात्रा बुधवार सुबह सीवन नदी के तट से शुरू हुई और 11 किलोमीटर चलकर कुबेरेश्वर धाम तक पहुंची। इस दौरान हेलिकॉप्टर से कांवड़ियों पर फूल बरसाए गए। बताया जा रहा है कि कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष वितरण के दौरान मंगलवार को भगदड़ मची थी, जिसमें 2 महिलाओं की मौत हुई, इसके बाद बुधवार को हुई तीन मौतें घबराहट और चक्कर आने के साथ हार्ट अटैक से बताई जा रही है। जबकि, गुरुवार को एक और मौत के बाद तीन दिन में कुल 6 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं कुछ लोगों का उपचार अस्पताल में चल रहा है।
इन श्रद्धालुओं की हुई मौत
      मंगलवार दोपहर भीड़ में दबने से दो महिलाओं की मौत हो गई थी। उनकी पहचान बुधवार को हुई। इनमें से एक मृतक ओम नगर राजकोट गुजरात की रहने वाली थीं। जिनकी पहचान जसवंती बेन (56 वर्ष) पति चंदू भाई के रूप में हुई। जबकि, दूसरी मृतक महिला फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश की रहने वाली थी और उनकी पहचान संगीता गुप्ता (48 वर्ष) पति मनोज गुप्ता के रूप में हुई है। वहीं बुधवार को कुबेरेश्वर धाम में जान गंवाने वाले तीन लोगों की पहचान चतुर सिंह (50 वर्ष) पिता भूरा निवासी पंचमहल गुजरात और ईश्वर सिंह (65 वर्ष) निवासी रोहतक हरियाणा के रूप में हुई है। एक अन्य मृतक की पहचान दिलीप सिंह (57 वर्ष) निवासी रायपुर के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि दिलीप सिंह की मौत हार्ट अटैक से हुई। वहीं दो अन्य व्यक्तियों में से एक की मौत कुबेरेश्वर धाम में अचानक चक्कर आकर गिरने से हुई, जबकि दूसरे व्यक्ति की मौत एक होटल के सामने खड़े-खड़े गिर जाने से हुई। गुरुवार सुबह गोरखपुर जिले के बडा टोला उत्तर प्रदेश निवासी उपेंद्र (22 वर्ष) की हुई है जिसका शव जिला अस्पताल पहुंचाया गया है।
    कुबेरेश्वर धाम में मची भगदड़ में दो महिलाओं की मौत के मामले में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष राजीव कुमार टंडन ने संज्ञान लिया और संबंधितों से जवाब मांगा। उन्होंने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से जांच कराकर भीड़ प्रबंधन की क्‍या व्‍यवस्‍था थी, घायलों के इलाज में क्या कार्यवाही की गई, मृतकों को क्या आर्थिक सहायता दी गई, इस संबंध में 15 दिनों में रिपोर्ट मांगी है।
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