रजनीकांत फिल्मों के वो सितारे हैं, जिनके सामने परदे का हर सितारा मंद पड़ जाता है। इसलिए नहीं कि वे बहुत हैंडसम हैं, बल्कि वे सिर्फ सिनेमा के परदे पर ही यह किरदार निभाते हैं। वे वो हीरो है जिसने कभी अपना असली चेहरा नहीं छुपाया। वे जैसे हैं, निजी जिंदगी में भी वही नजर आते हैं। वे हीरो सिर्फ परदे पर हैं, असल में नहीं। निजी जिंदगी में मेकअप करके नहीं रहते। उन्हें दर्शक जैसा परदे पर देखते हैं, वे असल में उससे बिल्कुल अलग हैं। इन दिनों उनकी फिल्म 'कुली' का जलवा है। वैसे कुली नाम से रजनीकांत का आज से नहीं बल्कि 5 दशक पुराना नाता है। वे फिल्मों में आने से पहले कुली गिरी भी करते थे और बस कंडक्टर थे। उन्हें सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहब फाल्के अवॉर्ड' से भी नवाजा का चुका है।
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- हेमंत पाल
देश की फिल्म इंडस्ट्री में दो ही ऐसे सितारे हैं, जो बेजोड़ हैं। उनके सामने हिंदी फिल्मों के सलमान खान, शाहरुख़ खान आमिर खान और दक्षिण के जूनियर एनटीआर, प्रभाष और पुष्पा का हीरो अल्लू अर्जुन भी बहुत पीछे हैं। ये हैं दक्षिण भारत की फिल्मों में सुपर स्टार रजनीकांत और हिंदी फिल्मों के अमिताभ बच्चन। लेकिन, यदि इन दोनों में से भी किसी एक को चुनना हो, तो निःसंदेह वो नाम होगा रजनीकांत का। वे बहुत कम फ़िल्में करते हैं, पर जब परदे पर आते हैं, तो मनोरंजन का धमाका हो जाता है। उनकी नई फिल्म 'कुली' ने भी कुछ ऐसा ही किया। इसका प्रमाण है कि दो सप्ताह में ही ये फिल्म 500 करोड़ क्लब में शामिल हो गई। 'कुली' के अलावा भी रजनीकांत की कई फिल्में 500 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी हैं।
2018 में आई रजनीकांत की फिल्म '2.0' में एमी जैक्सन और ऐश्वर्या राय अहम किरदार में नजर आए थे। इस फिल्म ने वर्ल्ड वाइड करीब 700 करोड़ की कमाई की और बॉक्स ऑफिस पर हंगामा कर दिया था। 2023 की फिल्म 'जेलर' भी रजनीकांत की बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। एक्शन और कॉमेडी से भरपूर इस फिल्म को दर्शकों ने खूब पसंद किया। फिल्म में जैकी श्रॉफ, तमन्ना भाटिया और मोहनलाल जैसे बड़े सितारे भी थे। इस फिल्म ने वर्ल्डवाइड 650 करोड़ से ज्यादा की कमाई की थी। रजनीकांत की नई फिल्म 'कुली' में उनके साथ आमिर खान ने इसमें खास कैमियो किया है। इस फिल्म ने दो सप्ताह में ही 500 करोड़ का बिजनेस कर लिया। खास बात ये कि रजनीकांत की फिल्मों का जादू सिर्फ साउथ तक सीमित नहीं है। दुनियाभर में उनके फैंस उनकी फिल्में देखने उमड़ते हैं।
रजनीकांत को फिल्मों में करीब 50 साल हो गए। इसके बाद भी उनकी पॉपुलैरिटी किसी से छिपी नहीं है। 1975 में फिल्म 'कथा संगम' से डेब्यू करने वाले रजनीकांत को उनके चाहने वाले भगवान के समान पूजते हैं। उनके मंदिर भी बने, जहां उनकी मूर्ति लगी है। उनकी फिल्मों का जलवा ये है कि उनके फैंस और दर्शक फिल्म की समीक्षा का इंतजार नहीं करते, बल्कि देखने पहुंच जाते हैं। इसके बावजूद रजनीकांत अपने सुपरस्टार स्टेटस को पचा नहीं पाते। वे जनता के बीच सामान्य आदमी की तरह दिखते हैं। सिनेमा की चमक दमक वाली दुनिया से दूर ही रहते हैं।
असल जिंदगी में उन्हें देखना, किसी आसपास के आम आदमी को देखने जैसा है। परदे पर वे जितने गुस्से में दिखते हैं अपने विरोधियों को अपने स्टाइल और एक्शन से धूल चटाते नजर आते हैं। लेकिन, असलियत में शायद ही किसी को उन्होंने थप्पड़ भी मारा हो। रजनीकांत अपनी सामान्य जीवनशैली और मासूमियत का चेहरा हैं। मुंबई के फ़िल्मी हीरो से रजनीकांत बहुत अलग हैं। वे आधे गंजे, कानों पर बालों का गुच्छा लिए, दाग वाली चमड़ी के साथ घूमते हैं। कभी अपना असली चेहरा छुपाने की कोशिश नहीं करते। वास्तव में तो रजनीकांत हीरो के उस चेहरे का अपवाद हैं, जो लोग बरसों से परदे पर देखते आए हैं। रजनीकांत ने बरसों से चली आ रही फिल्म इंडस्ट्री की उन वर्जनाओं को तोड़ा है, जो हीरो के लिए मानक थी। वे जब फिल्मों में हीरो बने, तब गोरे चिट्टे और स्मार्ट हीरो का ही जमाना था। ऐसे में सांवले हीरो को इसलिए स्वीकारा गया कि उनमें कुछ अलग स्वैग है। उन्होंने तब खुद को एमजी रामचंद्रन और शिवाजी गणेशन की लाइन में खुद को खड़ा किया। एमजी रामचंद्रन और रजनीकांत में एक बड़ा फर्क था।
एमजीआर अपनी परदे की छवि को असल ज़िंदगी में भी उतार लाए थे और वो लोगों को लुभाने की कोशिश करते, लेकिन रजनीकांत ने ऐसा कभी नहीं किया। उन्होंने खुद को दबे हुए लोगों का हीरो बना लिया। वे उस समाज के लोगों के लिए आवाज उठाते नजर आए जो दबे हुए थे। फिर चाहे वो 'रंजीत' का दलित हीरो 'काला' हो या विदेश में फंसे भारतीयों का मसीहा 'कबाली।' रजनीकांत की ज्यादातर फिल्मों के कथानकों में वे उनके साथ खड़े नजर आए जिनके साथ कोई नहीं था। दरअसल, वे सिनेमा के परदे के वो हीरो हैं, जिन्हें एक दमदार साथी की तलाश होती है। चार दशक से ज्यादा समय से वे सिनेमा का ये सबसे लोकप्रिय सितारा सिर्फ तमिल का सुपरस्टार नहीं है। 74 साल की उम्र में भी रजनीकांत बड़े परदे पर वो कारनामा कर रहे हैं, जिनके सामने उनसे कई साल छोटे हीरो भी दबे से नजर आते हैं। रजनीकांत नई फिल्म ‘कुली’ से परदे के सरताज बने हुए हैं।
नई फिल्म 'कुली' सिर्फ फिल्म का नाम नहीं है। बल्कि इस कुली शब्द से उनका संबंध 50 साल पहले भी रहा जब रजनीकांत कुली और बस कंडक्टर का काम कर रहे थे। यह काम करते हुए उन्हें कई बार लोगों की झिड़कियां भी सुनना पड़ती थी। एक बार उन्होंने एक शख्स का सामान टैंपो में रखा तो उन्हें दो रुपये मिले थे। अभिनेता के मुताबिक जिस शख्स का उन्होंने सामान रखा था वो उनका कॉलेज का दोस्त था, जिसे रजनीकांत बहुत चिढ़ाते थे। दोस्त ने रजनीकांत से कहा था कि तू ये क्या नौटंकी कर रहा है! इसके बाद रजनीकांत रोने लगे थे। बेंगलुरु में जन्मे रजनीकांत ने 1975 में पहली बार एक्टिंग में डेब्यू किया। उन्हें परदे पर लाने में रजनीकांत के दोस्त राज बहादुर में बहुत मदद की। दादा साहब फाल्के अवॉर्ड लेते वक्त भी रजनीकांत ने अपने दोस्त राज बहादुर को याद किया और धन्यवाद कहा। राज बहादुर ने ही रजनीकांत को मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने के लिए के लिए मोटिवेट किया। उनके लिए ऐसा कर पाना आसान नहीं था। तब ये और कुछ और दोस्त उनकी मदद के लिए आगे आए, जो उनकी ही तरह बस कंडक्टर थे। एक्टिंग सीखने के दौरान ही इन्होंने तमिल भी सीखी।
इसी बीच रजनीकांत की मुलाकात फिल्म डायरेक्टर के बालचंद्र से हुई। इन्होंने ही रजनीकांत को फिल्म 'अपूर्वा रागनगाल' में मौका दिया। इसमें कमल हासन और श्रीविद्या भी थीं। हालांकि, इसमें इनका छोटा-सा नेगेटिव रोल था। इसके बाद इन्हें शुरुआती दो-तीन साल तक ऐसे में ही रोल मिले। नेगेटिव कैरेक्टर प्ले करने के बाद रजनीकांत पहली बार अपनी विलेन की इमेज तोड़ते हुए फिल्म 'भुवन ओरु केल्विकुरी' में बतौर हीरो नजर आए थे। मुथुरमम और रजनीकांत की जोड़ी ऑडियंस को खूब पसंद आई और इन्होंने करीब 25 फिल्मों में काम किया।
1978 में आई रजनीकांत की 'बिल्ला' बहुत सफल हुई थी, जो अमिताभ बच्चन की हिट 'डॉन' की रीमेक थी। तमिलनाडु सरकार ने उन्हें पहली बार 'मुंदरू मूगम' के लिए साल 1982 में बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड दिया था। फिल्म 'बातशा' से रजनीकांत सुपरस्टार बने थे, जो साल 1995 में रिलीज हुई थी। इसने बॉक्स ऑफिस के कई रिकॉर्ड तोड़े थे। तमिल फिल्मों को इंटरनेशनल स्टेज तक पहुंचाने में भी रजनीकांत की बड़ी भूमिका रही। 'मुथू' जापान में रिलीज होने वाली पहली तमिल फिल्म थी। इसके बाद साल 2017 में इनकी 'चंद्रमुखी' तुर्की और जर्मन में रिलीज हुई थी। 'शिवाजी' इनकी पहली फिल्म है जो ब्रिटेन और साउथ अफ्रीका में बॉक्स ऑफिस पर टॉप पर थी।
अपने करियर के शुरूआती 10 सालों में ही रजनीकांत ने 100 फिल्मों का आंकड़ा पूरा कर लिया था। उन्होंने 100वीं फिल्म 'श्री राघवेंद्र' में हिंदू संत राघवेंद्र स्वामी की भूमिका निभाई थी। फिल्मों में आने से पहले रजनीकांत ने अभिनय की शुरुआत कन्नड़ नाटकों से की। इन्होंने दुर्योधन की भूमिका निभाई थी, जिससे ये बहुत लोकप्रियता मिली। पहली बार तमिल फिल्मों में एनिमेशन इंट्रोड्यूस करने का श्रेय भी इसी हीरो के खाते में दर्ज है। 'राजा चायना रोजा' पहली फिल्म थी, जिसमें एनिमेशन शामिल किया गया। रजनीकांत ने तमिल, हिंदी, मलयालम, कन्नड़ और तेलुगु के साथ एक बांग्ला फिल्म में भी काम किया है। बांग्ला फिल्म का नाम 'भाग्य देवता' था। इनकी पहली हिंदी फिल्म 'अंधा कानून' की जिसमें अमिताभ बच्चन हीरो थे।
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