Friday, December 11, 2015

बेकाबू होते हालात और ढीला पड़ता ख़ुफ़िया तंत्र!


मध्यप्रदेश में सांप्रदायिक सद्भाव का दावा करने वाली सरकार का दावा कुछ कमजोर पड़ता नजर आ रहा है! पिछले करीब सालभर में प्रदेश के कई शहरों और कस्बों तनाव जैसे हालात बने! ऐसा इसलिए हुआ कि पुलिस का ख़ुफ़िया तंत्र अक्षम साबित हुआ! इंदौर में अचानक 15 हज़ार लोगों का सड़क पर उतरकर हिंसक हो जाना, धार में मौन रैली द्वारा नारेबाजी करना और पुतना जलना, भोपाल में भी कुछ ऐसे ही हालात बनना महज संयोग नहीं है! इस सबके पीछे कुछ समाज विरोधी तत्व सक्रिय नजर आ रहे हैं! धार में इस बार फिर बसंत पंचमी शुक्रवार को है, जो पुलिस और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है! लेकिन, फिर भी हालात संभालने की तैयारियां नजर नहीं आ रही! धार जिले में सालभर के अंदर आधा दर्जन बार जो तनाव उभरा है, वो भी सामान्य घटना मानकर नजर अंदाज  सकता!   
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- हेमंत पाल 
    सरकार और प्रशासन इस बात को आसानी से स्वीकार करे या न करे, पर ये सच है कि मध्यप्रदेश की कानून व्यवस्था में कसावट ढीली पड़ने लगी है! जो ढीलापन नजर आ रहा है, उसमें सुधार के माकूल इंतजाम होते भी नजर नहीं आ रहे! बीते एक साल में प्रदेश के 40 से ज्यादा शहरों या कस्बों में साम्प्रदायिक तनाव का उबरना इसी व्यवस्थागत कमजोरी का संकेत है! चिंता वाली बात ये है कि पुलिस का ख़ुफ़िया तंत्र बुरी तरह फेल हो रहा है! इस दौरान ऐसी कई घटनाएं हुई, जो समय रहते रोकी जा सकती थी, पर ऐसा नहीं हुआ! अपने बचाओ में पुलिस प्रशासन कोई भी तर्क दे, पर सांप्रदायिक तनाव का उबरना ही अपने आपने ख़ुफ़िया तंत्र के पटरी से उतरने की निशानी है। सिवनी, ग्वालियर, जावरा, भोपाल, इंदौर, धार, धामनोद, धरमपुरी, हरदा, नरसिंहगढ़, जबलपुर, जावद, खरगोन, खंडवा जैसे कई शहरों और कस्बों में सालभर के दौरान कुछ न कुछ हो चुका है। 
  हाल ही में हिंदू महासभा के अध्यक्ष द्वारा पैगंबर हजरत मोहम्मद पर दिए गए कथित बयान के विरोध में प्रदेश के कई शहरों और कस्बों में मुस्लिम समुदाय ने रैलियां निकाली। इंदौर, धार समेत कई जगह की रैलियों में शामिल मुस्लिम युवक उग्र हो उठे। इंदौर में तो पत्थरबाजी और मारपीट की घटना भी हुई! गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई। वाहनों को रोककर रीगल चौराहे की सारी सड़कें जाम कर दी गई। इस पूरे पूरे मामले में पुलिस का खुफिया तंत्र बुरी तरह नाकाम साबित हुआ! काफी देर तक पुलिस उपद्रवियों के सामने असहाय नजर आई! हालात को नियंत्रित करने के लिए एक्स्ट्रा फोर्स बुलाया गया, इसके बाद हालात सामान्य हुए! इस मामले में मुख्यमंत्री ने भी पुलिस प्रशासन से सवाल किए हैं कि इंदौर का ख़ुफ़िया तंत्र क्यों और कैसे फेल हुआ? पुलिस को समय पर खबर क्यों नहीं मिली कि हज़ारों की भीड़ रीगल पर जमा होकर हिंसक हो रहे हैं? इंदौर में हज़ारों की भीड़ ने बिना पूर्व सूचना के करीब डेढ़ किलोमीटर आकर रोड जाम करके, तोड़फोड़ की! शहर में करीब 15 हजार लोग यदि कहीं जमा हो रहे हैं, तो ये अचानक तो नहीं हुआ होगा? जबकि, सच्चाई ये है कि इसके लिए बकायदा पर्चे बांटे गए थे, लोगों को एक ख़ास स्थान पर आने का आह्वान किया गया था! क्या पुलिस के ख़ुफ़िया तंत्र के ये खबर नहीं थी, कि ऐसा हो सकता है?   
  दरअसल, ये सवाल सिर्फ इंदौर का नहीं है! हाल फिलहाल में ऐसे हालात प्रदेश के कई शहरों और कस्बों में बन चुके हैं! धार में भी इस मुद्दे पर निकले मुस्लिमों के जुलूस ने नारेबाजी की और पुतला जलाया! जबकि, ये मौन जुलूस था, पर उसमें नारे लगे! न तो जुलूस शामिल लोगों को नारेबाजी से रोक गया न पुतला दहन से! उस पर भी 24 घंटे तक कोई कार्रवाई नहीं की गई! बाद में पुलिस ने दबाव में आकर फरियादी की तरह मामला दर्ज किया और 9 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की!   
   इसी तरह का वाकया भोपाल में भी पिछले दिनों हुआ, जब प्रदेशभर से आए पाँच हजार से ज्यादा दलित आदिवासियों ने राजधानी में धरना दिया और प्रदर्शन किया। इसके बाद आंबेडकर प्रतिमा के आसपास जब रास्ता जाम हुआ तो पुलिस को खबर मिली! इस घटना की भी पुलिस के ख़ुफ़िया विभाग को कोई जानकारी नहीं थी! वो भी ऐसी स्थिति में जबकि दलित आदिवासी धरना प्रदर्शन करने के लिए ट्रेन से रवाना हुए थे! भोपाल स्टेशन पर ग्वालियर की और से आने वाले सैकड़ों कार्यकर्ताओं की भीड़ से भोपाल स्टेशन खचाखच भर गया था! इटारसी, हरदा एवं बैतूल की ओर से आने वाले सैकड़ों कार्यकर्ताओं की भीड़ से हबीबगंज स्टेशन पर अराजकता जैसे हालात बन गए थे! दोनों ही स्टेशनों पर व्यवस्था कुछ घंटों घंटे के लिए चरमरा सी गई थी!  
  पुलिस प्रशासन की कमजोरियों का ही नतीजा है कि पिछले कुछ महीनों में प्रदेश में कई जगह सांप्रदायिक तनाव उभरा और हालात असामान्य हुए! बाकी शहरों और कस्बों में तो सब कुछ काबू में आ गया, पर भोजशाला के कारण धार में आग सुलगती नजर आ रही है! धार में बीते सालभर में आए दिन छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद पैदा हो रहा है। नजर अंदाज की जाने वाली बातों को लेकर भी दोनों समुदाय आमने-सामने आ जाते हैं! एक मजार पर किसी अज्ञात बदमाश द्वारा शराब की खाली बोतल फेंक दी जाना, दो बाइक सवारों में टक्कर, एक युवक और युवती का घर से भाग जाना, जुलूस पर अज्ञात द्वारा पत्थर फेंक देना! ये ऐसी घटनाएं हैं जिन्हें असामान्य नहीं कहा जा सकता! लेकिन, ऐसी घटनाओं पर ही धार जिले में तनाव पनपने लगा है! धार के अलावा धरमपुरी, धामनोद, मनावर में भी दोनों समुदाय कई बार आमने-सामने आने लगे हैं! दिखने में ये घटनाएँ सामान्य हैं, पर देखा जाए तो ये सुनियोजित लगती हैं! 
   पिछले दो बार की तरह 2016 में बसंत पंचमी 12 फ़रवरी शुक्रवार को आ रही है! निर्धारित व्यवस्था के मुताबिक शुक्रवार को मुस्लिम समाज भोजशाला में नमाज अता करता है और बसंत पंचमी के कारण इसी दिन हिन्दू लोग भोजशाला में बने हनुमान मंदिर में दर्शन और पूजन करने जाएंगे! प्रशासन के लिए ये हालत संभालना बेहद मुश्किल होता है! दो बार धार में बसंत पंचमी के इसी दिन बड़ी घटनाएं हो चुकी है! इस साल चुनौती इसलिए बड़ी है कि उज्जैन में 'सिंहस्थ' में आने वाले साधू-संतों के धार आने की संभावना है। धार में इन दिनों कब, कौनसी छोटी सी घटना तनाव का रूप ले कहा नहीं जा सकता! आशंका ये भी है कि कहीं ये सब भोजशाला में किसी संभावित गड़बड़ी का हिस्सा तो नहीं है? कुछ बाहरी तत्व इन हालातों में अपनी 'कारगुजारी' कर सकते हैं! ये 'बाहरी तत्व' कौन से हैं, उनकी पहचान करना बहुत जरुरी है! फिलहाल के हालात देखकर लगता नहीं कि ख़ुफ़िया तंत्र कि कमजोरी उनके मंसूबों को रोक भी पाएगी! 
   पुलिस और प्रशासन की एक कमजोर ये भी है कि धार में भोजशाला के हालातों को समझने वाला कोई अधिकारी यहाँ तैनात नहीं है। धार की तासीर को समझना आसान नहीं है, पर लगता है प्रशासन मामले की गंभीरता से अनभिज्ञ है! इन दिनों पश्चिमी मध्यप्रदेश के कई शहर बारूद के ढेर पर बैठे हैं जहाँ अंदर ही अंदर आग सुलग रही है! इंदौर, धार के अलावा खरगोन, खंडवा, मंदसौर, नीमच में भी सब कुछ सामान्य नहीं है, जैसा दूर से नजर आ रहा है! यदि ख़ुफ़िया तंत्र की ढील पोल इसी तरह बरक़रार रही तो, सरकार के सामने दिन बड़ी मुश्किल खड़ी होना तय है!
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