Sunday, January 31, 2016

वक़्त के साथ बदलता रहा नायक


हेमंत पाल 

  समय, काल और परिस्थिति के मुताबिक फिल्मों ने भी अपने आपको बहुत बदला है। फिल्मों का रंग बदला, वो श्वेत-श्याम से रंगीन गई! कथानक में आधुनिकता आ गई! संगीत प्रयोग होने लगे! और जब फ़िल्में बदली तो सबसे पहले बदला फिल्मों का नायक! वो नायक जो फिल्म के केंद्र में होता है। फिल्म की कहानी इसी किरदार के आसपास घूमती है। फिल्म को दर्शकों की पसंद के अनुरूप ढालने में यही एक किरदार होता है, जो प्रमुख भूमिका में होता है। पुरुष प्रधान समाज की तरह फिल्मों में भी नायक ही कहानी को आगे बढ़ाता है। फिल्मों में नायक का उदयकाल चालीस के दशक में आजादी से पहले ही शुरू हो गया था। यही वो वक़्त था, जब फिल्मों में सेंट्रल केरेक्टर की तरह नायक यानी हीरो दिखाई देने लगा! इस परंपरा के पहले सितारे थे पृथ्वीराज कपूर! हिंदी फिल्मों में सबसे ज्यादा पारिश्रमिक एक लाख भी उन्होंने ही लिया था। इसके बाद मोतीलाल, चन्द्र मोहन और सोहराब मोदी को नायकत्व हांसिल हुआ! 

  पचास का दशक शुरू होने से पहले यानी आजादी के दौर में परदे पर आया सिनेमा का पहला सुपर स्टार अशोक कुमार! वे पहली हिट फिल्म 'किस्मत' से शिखर पर पहुँचे! दर्शकों ने उन्हें जिस तरह सर आँखों पर उठाया, उसके सामने उस काल के सारे सितारे टिमटिमाने लगे थे। इस परंपरा को आगे बढ़ाने वाले सुपर स्टार देव आनंद, दिलीप कुमार और राज कपूर भी अशोक कुमार के नक़्शे कदम पर चले! अशोक कुमार ने ही देव आनंद को अपनी फिल्म 'जिद्दी' में भूमिका देकर पहचान दिलाई थी। बाद में देव आनंद को एवरग्रीन हीरो कहा गया! वहीँ दिलीप कुमार ट्रेजेडी किंग बने! राजकपूर की सबसे अलग शैली ने उन्हें शोमैन बना दिया!
  हिंदी फिल्मों में हमेशा से ही नायकों का वर्चस्व रहा है। उनका रूतबा भी बड़ा होता है। कहानी भी उनके मुताबिक ही लिखी जाती है। सबसे ज्यादा पारिश्रमिक भी हीरो को ही मिलता है। फिल्म की सफलता का ज्यादा फ़ायदा भी हीरो खाते जाता है। श्वेत श्याम फिल्मों के बाद जब रंगीन फिल्मों का दौर शुरू हुआ तो देव आनंद, दिलीप कुमार और राज कपूर की आड़ में शम्मी कपूर, राजेन्द्र कुमार, राजकुमार, मनोज कुमार, धर्मेन्द्र, विश्वजीत और जीतेंद्र कि गाड़ी भी चलने लगी! लेकिन, किसी ने भी एक-दूसरे का रास्ता नहीं काटा! राजेन्द्र कुमार रोमांटिक हीरो बनकर जुबली कुमार बने! शम्मी कपूर ने मस्तमौला हीरो के रूप में पहचान बनाई! राजकुमार को उनकी ख़ास संवाद अदायगी ने दर्शकों में लोकप्रिय बनाया! अपनी बलिष्ठ काया के कारण धर्मेन्द्र परदे के पहले 'ही मैन' कहलाए! ... और अपनी देशभक्ति वाली इमेज के कारण मनोज कुमार बन गए भारत कुमार!  
 फिर आया सुपर-डुपर स्टार का जमाना, जिसकी नींव रखी राजेश खन्ना ने! सत्तर के दशक के मध्य में पहला सुपर स्टार बनकर उभरे इस हीरो ने लगातार 16 हिट फिल्में देकर बॉक्स ऑफिस को हिला दिया! कोई भी समकालीन हीरो राजेश खन्ना के सिंहासन के आस-पास भी नहीं आ पाया! रोमांटिक हीरो का जो क्रेज राजेश खन्ना का रहा, वो स्टारडम किसी और को हांसिल नहीं हुआ! जीतेंद्र, ऋषि कपूर, शशि कपूर, विनोद महरा और सुनील दत्त की भी फ़िल्में आती रही! हिट भी हुई, लेकिन जो दीवानगी राजेश खन्ना को लेकर थी वो किसी को नसीब नहीं हुई! दर्शकों के दिमाग पर रोमांटिक हीरो का जो भूत राजेश खन्ना ने चढ़ाया, उसे उतारा अमिताभ बच्चन ने! गुस्सैल नायक कि जो छवि अमिताभ ने परदे पर बनाई, दर्शकों के लिए बिल्कुल नया अनुभव था! 'जंजीर' से दर्शकों को 'एंग्री यंगमैन' के दर्शन हुए! बात व्यवस्था के विरोध की हो या किसी और मुद्दे की, अमिताभ हर रोल में फिट दिखे! परदे का ये ऐसा हीरो था, जो आज भी चाहने वालों का रोल मॉडल बना हुआ है!   
  90 के दशक के बाद से हीरो का चेहरा और मोहरा दोनों बदला! बड़े परदे पर तीन 'खान' का दबदबा कायम हो गया! रोमांटिक हीरो बनकर परदे पर छाए आमिर खान बाद में सामाजिक मुद्दों के पैरोकार बन गए! अपनी खास स्टाइल के कारण उन्हें वास्तविक अभिनेता माना जाने लगा! शाहरूख खान ने युवाओं में रोमांस का जादू भर दिया। जबकि, सलमान खान ने शर्मीले नायक की भूमिका से परदे पर अवतरित होने के बाद एक्शन हीरो को साकार किया! उनके समकालीन नायकों संजय दत्त, अजय देवगन और अक्षय कुमार ने भी एक्शन को अपनी पहचान बनाया! अमिताभ बच्चन के बाद खाली हुई जगह को भरने की असफल कोशिश की गई! लेकिन, फिर भी जब सिनेमा के परदे के सर्वकालीन नायक का जिक्र होगा तो सिवाए अमिताभ बच्चन के समकक्ष किसी का और का नाम लिखा जाएगा, ऐसा नहीं लगता! उनके सामने तो ट्रेजिडी किंग दिलीप कुमार की चमक भी भी मद्धम जाती है।   
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