Monday, May 2, 2016

नायिका के बगैर कैसी फ़िल्में?


हेमंत पाल 

  हिंदी फिल्मों का नायक कितना भी 'बड़ा' क्यों न हो, उसे पनाह नायिका के आगोश में मिलती है। हीरों को अपनी गलियों से लेकर पेड़ के इर्दगिर्द चक्कर लगवाने वाली नायिकाओं ने भी हिन्दी फिल्मों में राज करते हुए हर दौर के दर्शकों का भरपूर प्यार बटोरा! इन्हें देखकर वह आहें भरते हैं, सीटियां बजाते हैं और जब रात का अंधेरा पसरा होता है तो यही नायिकाएं पर्दे से उतर कर दर्शकों के सपने में आकर उनकी रातों को रंगीन भी बनाती हैं। समय के साथ नायिकाओं के चेहरे बदलते रहे हैं और उनके चेहते दर्शक भी बदलते रहे हैं। यदि कुछ नहीं बदला है तो वह है नायिकाओं का आकर्षण जिसकी कच्ची डोर में बंधे दर्शक एक सदी से उन्हें निहार रहा है।

   एक जमाना था जब दर्शक गौहर, देविका रानी, नसीम बानो और शोभना समर्थ के दीवाने थे। उसके बाद दूसरा दौर आया जब नूरजहां और सुरैया के दीवाने उनके घरों के सामने रात दिन खड़े होकर उनकी एक झलक पाने को बेताब रहते थे। लेकिन, नायिकाओं को सितारा दर्जा दिलवाने में मधुबाला और नरगिस का नाम सबसे आगे है। नरगिस का अल्हड़ सौंदर्य देखकर दर्शक जहां मुग्ध हो जाते थे। वहीं मधुबाला में सौंदर्य के साथ अभिनय का जो सुंदर मिलाप था, वह आज भी कहीं दिखाई नहीं देता है। उनकी मौत के 50 साल बाद भी मधुबाला की कोई होड़ नहीं है।
    हिन्दी फिल्मों को नायक देने में जहां पंजाब का नाम सबसे उपर है, वहीं नायिकाओं को स्थापित करने में दक्षिण भारत का नाम सबसे पहले आता है। शुरूआती दौर में हिन्दी फिल्मों में मधुबाला, मीना कुमारी, शकीला, कामिनी कौशल, नूतन, आशा पारेख के बाद जब वैजयंती माला के साथ दक्षिण की खूबसूरती ने पर्दे पर पदार्पण किया तो हलचल मच गई! इसी परम्परा को पदमिनी और रागिनी ने आगे बढाया। लेकिन, स्वप्न सुंदरी हेमामालिनी के आते ही हिन्दी सिनेमा की सारी नायिकाएं बौनी दिखाई देने लगी। आज भी अपने सौंदर्य और गरिमा के बल पर हेमा मालिनी लोकप्रिय है। उनसे पहले वहीदा रहमान भी साउथ से ही आयी थी। जयाप्रदा के सौंदर्य से भी दर्शक बेसुध रहे। वैजयंती माला और हेमा मालिनी की तरह सुंदरता और अभिनय के बल पर राज करने वाली नायिकाओं की इसी परम्परा को श्री देवी ने बहुत खुबसूरती से आगे बढ़ाया। सही मायने में हीरोइन को नम्बर वन की पहचान देने में हेमा और श्री देवी का ही सबसे बड़ा हाथ है।
   हिन्दी फिल्मों में बंगाल का जो जादू सुचित्रा सेन ने फैलाया उसे आगे बढ़ाने के लिए पहले शर्मिला टैगोर आई, जिसने पहले रोमांटिक और बिकनी गर्ल तक की भूमिका कर सनसनी फैलाई। लेकिन 'अमरप्रेम' और 'आराधना' के बाद शर्मिला का स्वरूप ही बदल गया! वे स्थापित अभिनेत्री बन गई। तभी बंगाल से जया भादुड़ी और राखी ने उस परम्परा को बढ़ाया, फिर काजोल ने शाहरूख के साथ जोड़ी जमाकर सिनेमा के पर्दे पर धूम मचा दी। रानी मुखर्जी और सुष्मिता सेन का सांवला सौंदर्य भी दर्शकों के दिलों में गहरे तक उतरा। पर एश्वर्या राय ने अपनी अलग ही छाप छोड़ी। सौंदर्य की इस प्रतिमूर्ति का जादू लम्बे समय तक दर्शकों के दिल पर छाया रहा। 
   हिन्दी सिनेमा में मधुबाला ने अपनी निश्च्छल हंसी से जो माहौल बनाया था उसमे माधुरी दीक्षित ने रंग भरे। मधुबाला के बाद वह माधुरी ही थी, जिसने दर्शकों को सबसे ज्यादा आकर्षित किया और भरपूर सफलता भी पाई। माधुरी के अलावा जिन मराठी नायिकाओं ने समय समय पर दर्शकों को अपने सौंदर्य या अभिनय से रिझाया उनमें नूतन, तनुजा और स्मिता पाटिल प्रमुख हैं। इनके साथ साथ सिनेमा को मुमताज, बबीता, साधना, परवीन बाबी, नीतू सिंह, जीनत अमान, टीना मुनीम, शबाना आजमी, रेखा, करिश्मा कपूर, करीना कपूर और विद्या बालन ने भी रोशन किया। 
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