Monday, March 5, 2018

साउथ जैसा नहीं है बॉलीवुड सितारों का जलवा






- हेमंत पाल  

   हिंदी फिल्मों की खूबसूरत हीरोइन श्रीदेवी नहीं रही। उनकी मौत को लेकर चार दिन तक कयास लगाए जाते रहे! लेकिन, इस मौत को लेकर सवाल अभी भी खड़े हैं! इस हीरोइन की अंतिम यात्रा में लाखों लोग सड़क पर आ गए, ट्रैफिक जाम हो गया! अंतिम यात्रा से पहले ही श्रीदेवी के घर के बाहर उनके चाहने वालों की लंबी कतारें लग गई थीं। उनके अंतिम दर्शन के लिए चेन्नई और हैदराबाद से 40 बसों में सवार सैकड़ों लोग मुंबई पहुंचे थे। टीवी के परदे पर जब तक श्रीदेवी की अंतिम यात्रा के दृश्य दिखाए जाते रहे, लोग कैमरे के सामने आते रहे। लेकिन, किसी के चेहरे पर दुःख, दर्द के भाव नहीं थे! दरअसल, ये हुड़दंगी भीड़ थी, जो श्रीदेवी की अंतिम यात्रा में शामिल होने आए फ़िल्मी सितारों को नजदीक से देखने और मौका मिलने पर उनके साथ सेल्फी लेने आई थी। यही बड़ा फर्क है साउथ और बॉलीवुड के एक्टर्स के चाहने वालों में! 
  साउथ के फिल्मीं कलाकारों के प्रति उनके चाहने वालों की जो दीवानगी है, उसकी तुलना में मुंबई के फ़िल्मी कलाकार से नहीं कही जा सकती! साउथ में जो हैसियत एमजी रामचंद्रन, करुणानिधि, जयललिता, एनटी रामाराव, रजनीकांत और कमला हसन की है, ऐसी दिलीप कुमार, राजेंद्र कुमार, देवानंद, राज कपूर, हेमा मालिनी, रेखा या अमिताभ बच्चन की कभी नहीं बन पाई। ये दीवानगी इस हद तक है कि लोग अतिरेक में आत्मदाह तक कर लेते हैं। तमिल फिल्मों की हीरोइन से नेता बनी जयललिता की बीमारी और उसके बाद निधन के सदमे से 77 लोगों ने अपनी जान दे दी थी! उनके चाहने वाले कुछ लोगों ने आत्महत्या कर ली, कुछ ने आत्मदाह और सदमा लगने से दिल का दौरा आने से भी लोग मरे। जयललिता जब अस्पताल में भर्ती थी, तब मदुराई में उनका एक प्रशंसकइरुलन्दी नुकीले कांटों पर लेटकर जयललिता की सेहत में सुधार के लिए प्रार्थना करता रहा। ये स्थिति शायद शायद कभी बॉलीवुड में नहीं आएगी।     बॉलीवुड में सिर्फ देव आनंद, राजेंद्र कुमार और राजेश खन्ना ऐसे कलाकार याद आते हैं, जिनको चाहने वालों में लड़कियां ज्यादा थीं। 1969 से 1974 तक राजेश की लोकप्रियता बहुत ज्यादा थी। शक्ति सामंत की ‘आराधना’ से उनका जो दौर शुरू हुआ तो  एक समय ऐसा भी आया जब उनकी लगातार 14 फिल्मों ने जुबली मनाई! लड़कियां उनकी कार तक चूमने से बाज नहीं आती थीं। राजेश खन्ना को मुंबई फिल्म इंडस्ट्री का पहला सुपर स्टार कहा गया। उस दौर में युवा लड़कियां राजेश खन्ना की इतनी दीवानी थीं कि उनकी एक झलक के लिए पागल हो जाती थीं। माता-पिता की नाराजगी से डरी कुछ लड़कियों ने अपनी जांघ पर उसका नाम गुदवा लिया था। राजेश खन्ना की शादी की खबर के बाद कई युवतियों ने दु:खी होकर जान देने की कोशिश की थी। देव आनंद को लेकर एक किस्सा अकसर कहा जाता है कि उनको काले लिबास में देखकर मुंबई की एक युवती ने घर से छलांग लगाकर जान दे दी थी। तब एक कोर्ट ने आनंद को हिदायत दी कि भविष्य में वह पूरा काला लिबास पहनकर जनता के बीच नहीं जाएं।
 ऐसा जुनून इस मानसिकता का अहसास कराता है कि किसी कलाकार को उसके द्वारा निभाए गए किरदार जैसा ही मान बैठता है। रील और रीयल लाइफ के बीच का फर्क लोगों को खुद ही समझना होगा। साउथ की फिल्मों में अपने हीरो को परदे पर विलेन से पिटते देख कई लोग सिनेमा हॉल में ही जार-जार रोने लगते हैं। रजनीकांत शायद साउथ का अकेला ऐसा एक्टर है, जिसके चाहने वाले कुछ भी करने से बाज नहीं आते! मजदूरी करने वाले तक रजनीकांत की फिल्मों के लिए दो सौ रुपए का टिकट खरीदने संकोच नहीं करते!
 ऐसा जुनून इस मानसिकता का अहसास कराता है कि किसी कलाकार को उसके द्वारा निभाए गए किरदार जैसा ही मान बैठता है। रील और रीयल लाइफ के बीच का फर्क लोगों को खुद ही समझना होगा। साउथ की फिल्मों में अपने हीरो को परदे पर विलेन से पिटते देख कई लोग सिनेमा हॉल में ही जार-जार रोने लगते हैं। रजनीकांत शायद साउथ का अकेला ऐसा एक्टर है, जिसके चाहने वाले कुछ भी करने से बाज नहीं आते! मजदूरी करने वाले तक रजनीकांत की फिल्मों के लिए दो सौ रुपए का टिकट खरीदने संकोच नहीं करते! बॉलीवुड और साउथ की फिल्मों और फैन्स के बीच बहुत अलग रिश्ता है। जहाँ बॉलीवुड फिल्म कलाकार महज स्टार होते हैं, वहीं साउथ में उन्हें भगवान की तरह पूजा जाता है। सितारों के नाम पर मंदिर तक बनवाए गए हैं। साउथ के सितारों प्रति दीवानगी इतनी ज्यादा है कि इनके प्रशंसक सोशल मीडिया पर भी आपस में ही भिड़ते रहते हैं। इसके अलावा, एक फोरम भी बनी हुई है, जिसमें मेगाफैन्स अपनी दीवानगी जाहिर करते हैं। साउथ के फैन्स अपने चहेते सितारों के लिए मरने मारने तक को तैयार रहते हैं। लेकिन, ऐसी दीवानगी शायद कभी बॉलीवुड के सितारों को नसीब न हो!
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