Friday, April 6, 2018

दिग्विजय की 'नर्मदा परिक्रमा' के बाद शुरू होगी असल राजनीति!


- हेमंत पाल 

  मध्यप्रदेश की राजनीति में इन दिनों ये सवाल काफी गंभीरता से पूछा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस खामोश क्यों है? कांग्रेस की सुप्तावस्था कब जागृत होगी और वो कौन सा नेता होगा जो पार्टी की नाव को चुनाव की वैतरणी में उतरेगा? सवाल अहम् है पर जवाब किसी के पास नहीं! जबकि, करीब सालभर से पार्टी में हलचल है कि किसी नेता को पार्टी की कमान सौंपी जा रही है! ऐसे असमंजस भरे माहौल में दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा यात्रा ने भी कई सवाल खड़े किए कि क्या दिग्विजय सिंह जैसे चाणक्य नेता को किनारे करके पार्टी कोई बड़ा फैसला करेगी? अब, जबकि 9 अप्रैल को नर्मदा परिक्रमा की पूरी हो रही है फिर से प्रसंग उठा है कि क्या पार्टी दिग्विजय सिंह का इंतजार कर रही थी? मध्यप्रदेश की राजनीति में दिग्विजय सिंह को हाशिए पर रखकर कांग्रेस कोई बड़ा फैसला करे, ये संभव नहीं लगता! इसलिए समझा जा सकता है कि प्रदेश में कांग्रेस की असल राजनीति का असल सूत्रपात नर्मदा परिक्रमा के बाद ही होगा।        
000 

   नर्मदा परिक्रमा के 6 महीने पूरे होने पर दिग्विजय सिंह ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने नर्मदा के घटते प्रवाह, नर्मदा के निर्मल जल में मिलते समुद्र के खारे पानी और खाली होते रेत के किनारों पर उंगली उठाई है। नर्मदा नदी को लेकर दिग्विजय सिंह की चिंता जायज भी है। पर, इसे प्रदेश में भविष्य की राजनीति का खाका भी समझा जाना चाहिए। इस पूरी यात्रा के दौरान दिग्विजय सिंह ने न तो कोई राजनीतिक बात की और न ऐसे किसी सवाल का जवाब ही दिया! लेकिन, अपनी यात्रा पूरी होने से पहले हनुमान जयंती के दिन जारी इस वीडियो में उन्होंने संकेत दे दिया कि विधानसभा के अगले चुनाव में कांग्रेस का एक प्रमुख एजेंडा नर्मदा नदी का संरक्षण भी होगा! प्रदेश की 320 में से करीब सौ सीटें ऐसी हैं, जिसका कोई न कोई सिरा नर्मदा नदी से जुड़ता है। नर्मदा नदी को लेकर इसके किनारों पर बसे गाँवों, कस्बों और शहरों के लोगों का आत्मीय जुड़ाव है। अपनी इस यात्रा से दिग्विजय सिंह ने लोगों की इसी आत्मीयता को कुरेदा है और अब वे इसे मुद्दा बनाकर शिवराज-सरकार को घेरें तो कोई आश्चर्य नहीं है।         
   मेहंदीखेड़ा में यात्रा के सौ दिन पूरे होने पर भी दिग्विजय सिंह ने नर्मदा नदी को लेकर अपनी संवेदना व्यक्त की थी। पवित्र पावन नर्मदा नदी की तीन हज़ार किलोमीटर से ज्यादा की परिक्रमा पर निकले कांग्रेस के इस नेता ने नर्मदा नदी के घटते स्वरूप और नदी में समुद्र के खारे पानी के मिलावट पर गंभीर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि  नदी में पानी का जलस्तर कम होने की वजह से लगभग 80 किलोमीटर इलाके में समुद्र का पानी भी नर्मदा के पानी में मिल गया। इस कारण नदी का मीठा पानी खारा हो रहा है। दिग्विजय सिंह का कहना है कि बड़े बांधों की वजह से नर्मदा नदी कई जगह सिकुड़कर रह गई। प्रदूषण और सफाई से ज्यादा हमें इस वक्त इस मुद्दे पर चिंता करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि मैंने अनुभूति के आधार इस परिक्रमा का संकल्प लिया और नर्मदा मैया की कृपा से अब ये यात्रा निर्विघ्न पूरी हो रही है। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता जताई कि इस यात्रा में सभी दल, धर्म और जाति के लोग शामिल हुए। उनकी इस यात्रा ने दलगत राजनीति को भी पीछे छोड़ दिया। इस कारण आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद और कई भाजपा नेता उनके स्वागत के लिए आगे आ गए। उनकी कार्यशैली दर्शाती है कि उनसे नेताओं के वैचारिक मतभेद भिन्न विचारधारा की वजह से हैं। 
    जब से दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा शुरू हुई, हर नेता की नजर इस पर लगी रही! सभी इस नर्मदा परिक्रमा के पीछे मायने ढूंढ रहे थे। लेकिन, किसी के हाथ ऐसा कोई सूत्र नहीं लगा, जिससे नर्मदा परिक्रमा की अबूझ तिजोरी को खोला जा सके! स्वयं दिग्विजय ने भी साफ़ कर दिया था कि यात्रा के दौरान राजनीति पर कोई बात नहीं होगी! यात्रा के दौरान तो कोई राजनीतिक बातचीत की भी नहीं! पर, अंदाजा लगाया जा रहा था कि परिक्रमा के बाद वे सरकार पर इसी यात्रा के निष्कर्षों को लेकर बड़ा हमला बोलेंगे! अब इस बात का इशारा भी मिलने लगा है। दिग्विजय सिंह की इस परिक्रमा यात्रा को प्रदेश की राजनीति में 'मास्टर स्ट्रोक' कहा जा रहा है। राजनीतिक हलकों में दिग्विजय सिंह लम्बे समय से खामोश हैं! लेकिन, इस बात को भी भुलाया नहीं जा सकता कि प्रदेश में कांग्रेस की सबसे बड़ी लॉबी आज भी उनके साथ है। उनके पास ही समर्थकों की बड़ी फ़ौज है।
 कांग्रेस मान रही है कि दिग्विजय की ये नर्मदा परिक्रमा भले ही निजी यात्रा हो, पर इससे पार्टी को ताकत तो मिलेगी। यदि दिग्विजय सिंह ने चुनाव प्रचार में अपनी यात्रा के अनुभवों को सुनाया तो चुनाव में पार्टी उभरकर सामने आएगी!  अपनी सियासी मुखरता के लिए चर्चित दिग्विजय सिंह ने परिक्रमा के दौरान ख़ामोशी रखी। मीडिया के राजनीति से जुड़े सवालों पर भी वे चुप ही रहे। लेकिन, उनका यही बड़े धमाके की तरफ इशारा कर रहा है। तय भी माना जा रहा है कि 9 अप्रैल को परिक्रमा पूरी होने के बाद वे खामोश नहीं रहेंगे! नर्मदा नदी को लेकर वे जो भी बोलेंगे निश्चित रूप से वो शिवराज सरकार के लिए परेशानी का कारण बनेगा। 9 अप्रैल को जब ये नर्मदा परिक्रमा सौ से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों की जमीनी हकीकत का जायजा लेकर बरमान घाट पर पूरी होगी, तब चुनाव की सही बिसात बिछेगी। इसके बाद जब दिग्विजय सिंह अपने वादे के अपने अनुभवों के खुलासे करेंगे। दिग्विजय सिंह ने स्पष्ट किया है कि वे खुद तो चुनाव नहीं लड़ेंगे, मगर चुनाव प्रचार के दौरान वे जो बोलेंगे उसके कुछ ठोस मायने होंगे।
   ये बात तो मानना पड़ेगी कि दिग्विजय सिंह ने इस नर्मदा परिक्रमा को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप देने में कोई कसर नहीं छोड़ी! यही कारण है कि उन्होंने कोई राजनीतिक भेदभाव भी नहीं रखा। भाजपा में घबराहट का एक कारण ये भी समझा जा सकता है। परिक्रमा के दौरान वे भाजपा के बड़े नेता प्रह्लाद पटेल के घर भी पहुंच गए! असंतुष्ट भाजपा नेता और पूर्व विधायक राणा रघुराजसिंह तोमर ने भी सिंगाजी में दिग्विजय सिंह का स्वागत किया। राणा फिलहाल भाजपा की सक्रिय राजनीति से दूर हैं, इसलिए उनकी दिग्विजय सिंह से मुलाकात को गंभीर समझा गया। परिक्रमा को लेकर संघ इसलिए तनाव में रहा कि हरिद्वार स्थित भारत माता मंदिर के संस्थापक और पूर्व शंकराचार्य ज्योर्तिमठ स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने दिग्विजय सिंह को पत्र लिखकर उनकी नर्मदा परिक्रमा की सराहना की। सत्यमित्रानंद को संघ के काफी नजदीक माना जाता है।
  दिग्विजय सिंह की छह महीने से ज्यादा लंबी नर्मदा परिक्रमा को पहले भाजपा ने गंभीरता से नहीं लिया था। ये तक कहा गया था कि दिग्विजय सिंह की राजनीतिक पारी अब पूरी हो गई है, इसलिए वे नर्मदा की परिक्रमा के लिए निकल पड़े हैं। लेकिन, भाजपा की इस नासमझी का सही जवाब 9 अप्रैल के बाद सामने आएगा जब दिग्विजय सिंह सियासत की शतरंज पर चाल चलेंगे। उनकी ये खामोश यात्रा सियासत को झकझोर भी सकती है। जैसे-जैसे परिक्रमा पूरी होने वाली है, उसके सियासी मकसद खोजे जाने लगे। दिग्विजय सिंह ने इसे नितांत धार्मिक यात्रा बताया, लेकिन, उनके हर इशारे को सियासत से जोड़कर देखा गया। अब इंतजार इस बात का है कि नर्मदा परिक्रमा के बाद कांग्रेस के एक चाणक्य नेता के रूप में दिग्विजय सिंह किस तरह के हमले करते हैं। क्योंकि, कांग्रेस की असली राजनीति तो 9 अप्रैल के बाद ही शुरू होगी। 
--------------------------------------------------------- 

No comments: