Tuesday, December 24, 2019

माफिया की अनदेखी करने वाले नौकरशाह अब बुलडोजर पर सवार!

  
मध्यप्रदेश में इन दिनों माफिया पर सरकार बहुत सख्त है। यहाँ माफिया का आशय सिर्फ भूमाफिया नहीं है! बल्कि, हर कारोबार में ऐसे धंधेबाजों ने अपनी पैठ बनाई है जिनकी नैतिकता संदिग्ध होती है। लेकिन, सरकार के कहने पर नौकरशाही का बुलडोजर अवैध इमारतों को ही ज्यादा ढहा रहा। सरकार ने साफ़ कह दिया कि अब प्रदेश में माफिया को पनपने नहीं दिया जाएगा। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अफसरों को हिदायत दी कि अब भूमाफिया का राज नहीं चलेगा। इस काम में किसी तरह का राजनीतिक दबाव सहन नहीं होगा। यह पहला मौका है, जब सरकार ने कथित मीडिया माफिया को भी नहीं बख्शा! उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में महाराष्ट्र के 'मकोका' जैसा कानून लागू किया जाएगा। इस सख्ती के राजनीतिक कारणों को तलाशा जाए तो इशारा मिलता है कि माफिया को भाजपा राज में पनपने का मौका ज्यादा मिला, जिसने नौकरशाही के हाथ बांध रखे थे। अब, जबकि कमलनाथ सरकार ने उन जड़ों को उखाड़ने की कोशिश की, तो वे बिलबिला उठे! सरकार ने उन अफसरों को भी सबक सिखाया, जिन्होंने माफिया की हरकतों को अनदेखा किया! सिर्फ इंदौर में ही कार्रवाई के लिए 11 तरह के माफियाओं को चुना गया है। 
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हेमंत पाल

   ध्यप्रदेश में इन दिनों माफिया पर कार्रवाई का हल्ला है! हर छोटा-बड़ा माफिया सरकार के टारगेट पर दिखाई दे रहा है! प्रदेशभर के 590 माफियाओं की सूची बनाई गई है, जो अभी तक सरकार को चुनौती देते रहे हैं। बड़े माफियाओं के अलावा हजारों छोटे माफिया भी हैं, जिनकी शिकायतें मिल रही है। इंदौर के माफिया सरगना जीतू सोनी पर हुई कार्रवाई ने इस मंशा को साफ कर दिया कि सरकार किसी के दबाव में नहीं है। कमलनाथ की योजना के तहत पहले बड़े माफिया का सफाया किया जाएगा, उसके बाद जिन छोटे माफियाओं पर कार्रवाई होगी। यानी पहले माफिया की जड़ों को काटा जाए, फिर डालियों की छंटाई हो! बड़े शहरों के अलावा जिलों में सक्रिय संगठित माफिया भी निशाने पर है। लेकिन, इस सबके पीछे राजनीति करने वाले भी चुप नहीं है! भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने इसे भेदभाव की कार्रवाई बताकर अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया। उनका कहना है कि सरकार माफिया मुक्त प्रदेश की जगह अराजकता के हालात बना रही है। भाजपा और सरकार विरोधियों पर कार्रवाई की जा रही है। सरकार भय और खौफ पैदा करना चाहती है। जबकि, कांग्रेस नेताओं का दावा है कि इस कार्रवाई का सीधा फायदा जनता को मिलेगा। सरकार के प्रति जनता में विश्वास पैदा होगा और जनता की गाढ़ी कमाई पर अपना अवैध कारोबार खड़ा करने वाले माफिया पर लगाम लगेगी। 
   हर क्षेत्र में माफिया को पनपने का मौका इसलिए मिला कि पिछले 15 सालों में इस पर किसी ने इन पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं की, या यूँ कहिए कि सब कुछ जानकर भी अनदेखी की गई! नौकरशाही का संस्कार है कि वो सत्ता की मंशा को समझकर अपनी लाइन तय करता है। वैसे तो हर अधिकारी का अपना नजरिया होता है और कहीं न कहीं वो दिखता भी है। कोई चरित्र से कमजोर होता है, कोई सिक्कों की खनक से प्रभावित होता है! जब तक सरकार की तरफ से इशारा नहीं होता, ये अधिकारी अपनी कमजोरियों को अपने कर्त्तव्य से आगे रखकर काम करते हैं! लेकिन, जब उन्हें लगता है कि सरकार का मुखिया उन्हें समझकर अपने नजरिए से चलाना चाहता है, तो उनका बदला रूप दिखाई देने लगता है। फिलहाल जो कार्रवाई चल रही है, उसे इसी नजर से देखा जाए तो स्पष्ट होता है कि जिस नौकरशाही की आँखों पर पट्टी चढ़ी थी और उन्हें माफिया दिखाई नहीं दे रहा था, अब वही अधिकारी ढूंढ ढूंढकर खामियां खोज रहे हैं। ऐसे में सरकार को उन अधिकारियों को भी निशाने पर लेना चाहिए जिनके रहते या जिनकी शह पर प्रदेश में माफिया को पनपने पनपने का मौका मिला। देखा जाए तो प्रदेश में आज भी वही नौकरशाही है, जो पिछली सरकार के समय थी! लेकिन, सरकार के तेवर देखकर उनका लक्ष्य भी बदल गया! जो अधिकारी इन माफियाओं की महफ़िल में बैठकर झूमते थे, वही आज उनके अवैध धंधों के खिलाफ डंडा लेकर खड़े हैं!   
   इंदौर में माफिया सरगना जीतू सोनी पर हुई कार्रवाई की जमकर प्रशंसा हुई! महिलाओं ने भी इसे सराहा कि पहली बार किसी ने ऐसे असामाजिक, अवैध कारोबारी और हर गैरकानूनी काम में संलग्न गिरोह को तोड़ने की कोशिश की। सरकार की मंशा समझकर प्रशासन ने जीतू सोनी की अवैध सल्तनत को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया गया। पुलिस ने उनके खिलाफ दर्जनों मुकदमे दर्ज कर लिए। हालांकि, जीतू सोनी फरार है और उस पर एक लाख का इनाम घोषित है। बेटे और उसके दोनों भाइयों को उसके अवैध कारोबार में साझा-आरोपी बनाया गया है। इसके साथ ही इंदौर में बरसों से सक्रिय रहे भूमाफियाओं पर भी गाज गिरना शुरू हो गई! लेकिन, सीधा सवाल है कि ये सल्तनत एक साल, एक महीने या एक दिन में तो खड़ी नहीं हुई! इसे आकार लेने में सालों लगे हैं! तब ये नौकरशाही कहाँ थी, जो आज इस माफिया के खिलाफ कार्रवाई में लगी है! पिछली सरकार के समय भी यही अधिकारी तैनात थे, पर इनके मुँह बंद थे और हाथ बंधे क्यों थे। जवाब साफ़ है कि नौकरशाही सरकार के इशारे को अच्छी तरह से समझ रही थी, जिसने उन्हें चुप रहने का इशारा किया होगा! भाजपा लाख सफाई दे, पर इस सच को झुठलाया नहीं जा सकता कि भाजपा के डेढ़ दशक के शासन में हर धंधे माफिया पनपे हैं! 
     सरकार की मंशा कानून के दायरे से बाहर रहकर काम करने वाले माफिया को कानून के दायरे में लाने की है ताकि उनकी कारगुजारियों पर लगाम लगाई जा सके! उन पर कार्रवाई भी ऐसी की जाए, जिसका संदेश जनता तक जाए और फिर कोई माफिया अपराध करने का साहस न जुटा सके। सरकार ने पुलिस मुख्यालय में 'संगठित अपराध' के लिए एक अलग से ब्रांच बनाने तथा स्पेशल कोर्ट की भी बात की है। 'संगठित अपराध' के खिलाफ कानून बनाए जाने की भी तैयारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कपड़ों पर राजनीतिक बिल्ला देखकर कार्रवाई न की जाए। कोई किसी की कितनी भी पैरवी क्यों न करे, माफिया को हर हाल में सलाखों के पीछे डाला जाए। सरकार ने पहली बार ऐसे कारोबार में अवैध काम करने वाले वालों की पहचान की है, जिन्होंने ईमानदारी का मुखौटा लगाकर काला कारोबार किया। गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों पर भी कब्जे करने वालों, सरकारी जमीनों को हथियाने और पात्र लोगों को बेदखल करके उनके प्लॉटों पर कब्जे करने वालों को निशाने पर लिया गया है। सिर्फ जमीन के घोटालेबाज ही निशाने पर नहीं हैं! परिवहन, रेत, शराब, वन, मिलावटी, ड्रग, जुए-सट्टे, चिटफंड और अन्य तरह के संगठित अपराध करने वाले भी सरकार की सूची में हैं। 
  माफिया के खिलाफ शिकायत के लिए पहली बार अधिकारियों ने अपने फोन नंबर जनता को देकर अपने इरादे भी स्पष्ट किए थे। इंदौर में ही इसका असर ये हुआ कि पहले दिन इन नंबरों पर ढाई सौ से ज्यादा फोन आए और 95 शिकायतें संदेश पर मिली। दुबई से भी एक व्यक्ति ने इंदौर के नगर निगम आयुक्त को उसकी जमीन पर किए गए कब्जे की जानकारी दी। सरकार से फ्री-हैंड मिलने के बाद अब सभी छोटे-बड़े शहरों में माफियाओं पर कार्रवाई शुरू हो गई! भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में अवैध निर्माणों की तोड़फोड़ की गई! रसूखदार और भू-माफियाओं द्वारा गलत तरीके से बनाए गए रेस्टोंरेट, हुक्का बार और पब पर भी प्रशासन कार्रवाई कर रहा है। राज्य सरकार द्वारा माफियाओं के खिलाफ शुरू हुई कार्रवाई से अवैध कारोबार से जुड़े लोगों में दहशत है। यही कारण है कि कई माफिया अपने क्षेत्रों को छोड़कर भाग गए हैं। इन माफियाओं पर इनाम भी घोषित किए गए है। 
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