Tuesday, December 17, 2019

परदे का दुष्कर्म इतना वीभत्स नहीं!

- हेमंत पाल

 न दिनों समाज में दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ रही है। जिस वीभत्स तरीके से ये घटनाएं हो रही है, उसे देखकर लगता है मानो हर दुष्कर्मी ये साबित करने में तुला है कि इस दरिंदगी में वे सबसे आगे है। एक समय वो भी था जब दुष्कर्म के इक्का-दुक्का मामले होते थे, जिन्हें भाषा संस्कार के तहत 'शील भंग' कहा जाता था। इसके बाद इसे बलात्कार के रूप में परिभाषित किया जाने लगा! क्योंकि, जो कृत्य होता था, वो बलात होता है। लेकिन, अब जिस तरह से नाबालिग और दूध पीती बच्चियों के साथ दरिंदगी के मामले सामने आए हैं, उसने हैवानिययत की पराकाष्ठा लांघ ली। समाज में बरसों से यह चलन है कि हर सामाजिक बुराई के पीछे फिल्मों को दोष दिया जाता है। यह भी कहा जाता रहा है कि दुष्कर्म की घटनाओं में उन फिल्मों की ख़ास भूमिका होती है, जिनमें ऐसे दृश्यों का महिमा मंडन किया जाता है। लेकिन, आज जिस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं, उन्हें देख और सुनकर सिनेमाई दुष्कर्म बौना सा लगने लगा है। क्योेंकि, शायद ही कोई फिल्म ऐसी होगी जिसमें बलात्कार के इतने घिनौने चेहरे को दिखाया गया होगा! हकीकत तो यह है कि आज समाज में व्याप्त इस हिंसक तथा घिनौनी प्रवृत्ति के सामने सिनेमा के परदे पर दिखाए जाने वाले नकली दुष्कर्म वास्तविकता से कोसों दूर हैं।
  हिन्दी फिल्मों की कहानी मेें दुष्कर्म का सिलसिला काफी पुराना है। दिलीप कुमार से लेकर देव आनंद और राज बब्बर से लेकर रणजीत और प्रेम चोपड़ा तक इस घिनौनी सामाजिक बुराई के हिस्सेदार बन चुके हैं। लेकिन, किसी भी फिल्म में ऐसे दृश्यों को इतने विकृत रूप में नहीं बताया गया, जैसा कि आज वास्तविकता में देखा जा रहा है। फिल्म 'अमर' में दिलीप कुमार एक अनपढ़ नौकरानी निम्मी के साथ दुष्कर्म करते हैं। फिल्म की नायिका उनके खिलाफ न्यायालय में कड़ी होकर उसे इंसाफ दिलाती है। देव आनंद की फिल्म 'आंधियाॅं' में भी देव आनंद के कोप का शिकार निम्मी ही होती है। संयोग है या भेड़चाल है कि 50 के दशक की अधिकांश ऐसी फिल्मों में निम्मी को सबसे ज्यादा बार दुष्कर्मियों ने अपना शिकार बनाया। इंदौर मे फिल्माई गई फिल्म 'आन' में भी निम्मी ही प्रेमनाथ की हवस का शिकार बनती है।
  इसके बाद वह दौर भी आया जब नायक की बहन को खलनायक ने अपनी बदनीयत का शिकार बनाता है। इस तरह की पीड़ित बहनों में नाजिमा के हिस्से यह भूमिका सबसे ज्यादा बार आई। कई फिल्मों में नायक की अंधी बहन के साथ दुष्कर्म के दृश्य फिल्माए गए! नौकरानी के साथ नायक के भाई या किसी रिश्तेदार ने परदे पर ज्यादती की। दुष्कर्म के दृश्यों से भरपूर इस तरह की फिल्मों में अंजाना, झील के उस पार जैसी फिल्मों के नाम हैं। ऐसा नहीं है कि केवल सह-नायिकाएं ही पर्दे पर दुष्कर्म का शिकार बनी! कई फिल्मों में नायिकाओं को भी इस पीड़ा से गुजरना पडा है। ऐसी फिल्मों में सबसे सफल फिल्म थी बिमल राय की 'मधुमति' जिसमें नायिका वैजयंती माला को अय्याश जमींदार की भूमिका निभा रहे प्राण की हवस का शिकार बनना पडता है। श्वेत-श्याम दौर की इस फिल्म में बिमल राय ने लाइट एंड शेड के माध्यम से इस दृश्य को इतना वास्तविक बनाया था, कि दर्शकों को केवल प्राण की आंखे और दीवार पर टंगे शेर के मुखौटे को देखकर की दुष्कर्म का वीभत्स चेहरा दिखाई देने लगता है।
  जब रंगीन फिल्मों का दौर आया तो दुष्कर्म के दृश्यों में रंगीनियत जोड़कर इससे दर्शकों को गुदगुदाने का काम किया गया। 'अपराध' जैसी फिल्मों में दुष्कर्म के लम्बे सीन करने के बाद रणजीत को इसका एक्सपर्ट माना जाने लगा। मनमोहन भी इसी श्रेणी में आए थे, जब उन्होंने 'आराधना' में शर्मिला टैगौर के साथ दुष्कर्म का दृश्य जीवंत बनाया। मनोज कुमार ने 'रोटी कपडा मकान' में मौसमी चटर्जी के साथ दुष्कर्म का दृश्य आटे की बोरियों के बीच फिल्माकर एक नया अंदाज दिया था। 'इंसाफ का तराजू' में पदमिनी कोल्हापुरे के अधोवस्त्र पर की रिंग फेंककर राज बब्बर ने दुष्कर्म की वीभत्सता का नया अंदाज दिखाया था। 
  अजय देवगन की फिल्म 'जिगर' में हीरो बहन की इज्जत लूटने का बदला लेता है। फिल्म 'बहार आने तक' में रूपा गांगुली अपने बलात्कार का बदला लेने के लिए बलात्कारी के बड़े भाई से शादी कर लेती है। बाद में देवर को ख़ुदकुशी करना पड़ती है। 'सात खून माफ़' में प्रियंका चौपड़ा भी दुष्कर्म का बदला लेती है तो दुश्मन फिल्म में काजोल अपनी बहन से हुए बलात्कार का बदला लेती है! लेकिन, 'प्रेम ग्रंथ' में माधुरी के साथ हुए दुष्कर्म का पूरा गाँव आरोपी को जिंदा जलाकर बदला लेता है। एक ऐसी भी फिल्म 'जख्मी औरत' बनी थी, जिसमें डिंपल कपाड़िया दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं की गैंग बनाकर बदला लेती है? लेकिन, इन सब फिल्मों का आधार दुष्कर्म और बदले की भावना थी। इस दौर में 'मधुमति' के बाद बलात्कार पर सबसे ज्यादा सटीक तथा प्रभावकारी फिल्म बनी थी रेखा अभिनीत 'घर' जिसमें सामूहिक दुष्कर्म से गुजरी महिला की भावनाओं तथा दर्द को रेखा ने वास्तविकता प्रदान की थी। 'दामिनी' में भी इस समस्या पर कैमरा सार्थक तरीके से चलता दिखाई दिया! वरना अधिकांश फिल्मों में सिनेमाई दुष्कर्म हमेशा ही असलियत से परे ही दिखाई दिए। 
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