- हेमंत पाल
राजगढ़-ब्यावरा की कलेक्टर निधि निवेदिता से भाजपा के नेता बहुत नाराज है। उन्हें ये कलेक्टर खलनायिका नजर आ रही है, जिसने उनके एक कार्यकर्ता को सरेआम थप्पड़ मार दिया। भाजपा इस महिला कलेक्टर के खिलाफ राजगढ़ में हल्ला बोल रही है। भाजपा नेताओं का आरोप है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन में बिना अनुमति के रैली निकालने पर उन्होंने एक भाजपा कार्यकर्ता को पीट दिया। जबकि,कलेक्टर का कहना है कि उसने एसडीएम प्रिया वर्मा से बदतमीजी की, इसलिए उसे थप्पड़ मारा! एक कहानी यह भी है कि धारा-144 लागू होने पर बिना अनुमति रैली निकालने पर कलेक्टर ने आपा खोया। भाजपा का कहना कुछ भी हो, पर इस महिला अधिकारी पर ऊँगली उठाने से पहले उनका दूसरा मानवीय चेहरा भी देखा जाना चाहिए। उनकी सदाशयता के किस्सों के सामने भाजपा का ये गुस्सा बहुत कमजोर नजर आता है।
कलेक्टर की मातहत एक महिला अधिकारी से बदतमीजी को सही नहीं कहा जा सकता! लेकिन, बिना इजाजत रैली निकालने का गुस्सा एक कार्यकर्ता पर निकालने की बात भी गले नहीं उतरती! कारण चाहे जो भी हो, फिलहाल ये महिला कलेक्टर भाजपा के निशाने पर है। उधर, कांग्रेस के नेता इस अधिकारी के पक्ष में ख़म ठोंककर खड़े हैं। भाजपा इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर माहौल बना रही है। सबसे आगे हैं शिवराजसिंह चौहान जो कलेक्टर और एसडीएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर 22 जनवरी को राजगढ़ में जमावड़ा कर रहे हैं।
इस मामले पर कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक ट्विटर जंग भी खूब चली। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि पार्टी कलेक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएगी। उन्होंने कहा कि कलेक्टर भारत माता की जय बोलने पर हाथ में में तिरंगा रखने पर थप्पड़ मार रही है, पार्टी इसे किसी भी हालत में इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि क्या मुख्यमंत्री कमलनाथ के इशारे पर ये सब हो रहा है? नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने चेतावनी दी कि भाजपा कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज करने और कार्यकर्ताओं को थप्पड़ मारने से लगता है कि वे सरकारी सेवक नहीं, बल्कि सरकार के गुलाम बनकर काम कर रही है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सरकार की अंधभक्ति करना छोड़ दें!
कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने दोनों महिला अधिकारियों की तारीफ़ करते हुए ट्वीट किया। उन्होंने भाजपा पर गुंडागर्दी के आरोप भी लगाए। दिग्विजय सिंह ने महिला डिप्टी कलेक्टर को पीटने और बाल खींचने की घटना की दिग्विजय ने निंदा करते हुए महिला अधिकारियों की बहादुरी पर गर्व जताया। सरकार में मंत्री पीसी शर्मा का कहना है राजगढ़ में धारा 144 तोड़कर महिला कलेक्टर और महिला डिप्टी कलेक्टर से मारपीट निंदनीय है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बिना अनुमति, ये सब करना भाजपा की प्रवृत्ति रही है। नेता प्रतिपक्ष की महिला प्रशानिक अधिकारी पर टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है।
निधि निवेदिता सिंह अभी तक जिस भी जिले में पदस्थ रहीं, उन्हें अपनी कार्यशैली की वजह से जनता में खासी लोकप्रियता मिली। वे सख्त हैं, ईमानदार हैं इसलिए कुछ लोगों की आँख में खटकती भी हैं। भाजपा ने उनके थप्पड़ को मुद्दा जरूर बनाया हो, पर एक अधिकारी के रूप में निधि निवेदिता को लीक से हटकर काम करने वाला माना जाता है। वे कलेक्टर के चेंबर तक की अफसरी नहीं करती, बल्कि वास्तविकता जानकर ही फैसले करती हैं। वे गरीबों के प्रति संवेदनशील हैं और जरूरतमंद लोगों की नियम-कायदों से हटकर मदद करने के लिए याद की जाती हैं। वे जहाँ भी रहीं, उन्होंने कई ऐसे काम किए जिसने उन्हें जनता में लोकप्रिय बनाया। वे जिस भी जिले में तैनात रहीं, अपनी सख्ती और कार्यशैली की वजह से चर्चा में रहीं! वे 2012 बैच की आईएएस अफसर हैं। मूलतः झारखंड के सिंदरी इलाके की रहने वाली भूमिहार हैं। उनके कार्यकाल की शुरुआत 2013-2014 में झाबुआ में असिस्टेंट कलेक्टर रहने से हुई!
पहली बार वे चर्चा में तब आई जब वे 2016 में सिंगरौली जिले में जिला पंचायत सीईओ थीं। तब वहां के पंचायत सचिव ने शौचालय निर्माण में घोटाला किया था। बताते हैं कि बिना शौचालय बनाए उसने कलेक्टर को उसकी फोटो दिखाई थी! बाद में पता चला कि वो फोटो वास्तव में फोटोशॉप का कमाल था। इसके बाद उन्होंने सचिव से सार्वजानिक उठक-बैठक करवाई! इस घटना का वीडियो भी वायरल हुआ था। कलेक्टर निधि निवेदिता सिंह को अलग अंदाज में त्वरित निर्णय लेने और अनोखी सजा सुनाने की वजह से भी जाना जाता है! उन्होंने एक बार अधिकारियों को चुस्त बने रहने की भी सजा सुनाई थी। हुआ यूँ कि राजगढ़ में 'सद्भावना दौड़' होना थी, जिसमे सभी अधिकारियों को आमंत्रित किया गया। लेकिन, 26 अधिकारी न तो वहां पहुंचे और न कोई कारण बताया। इसके बाद निधि निवेदिता ने उन्हें अपने अनोखे अंदाज में सजा सुनाई। उन्होंने दौड़ से बचने के बदले दौड़ लगाने की सजा सुनाई। मीटिंग से पहले इन 26 अधिकारियों को 3 किलोमीटर दौड़ाया था। आलम यह रहा कि दौड़ना था 26 अधिकारियों को दौड़ना था, लेकिन दौड़ने 50 पहुंचे। 26 के अलावा पहुंचे अधिकारियों का कहना था कि इसी बहाने वर्जिश हो जाएगी।
सख्ती के साथ उनकी सदाशयता के किस्से भी कम नहीं हैं। राजगढ़ जिले के ब्यावरा के पास खजूरिया गांव की कविता दांगी को बी-पॉजिटिव खून की ज़रूरत थी। लेकिन, वहां इस ग्रुप का ब्लड नहीं था। उसके पिता ने सोशल मीडिया पर इस आशय की पोस्ट डाली, उसे देखकर निधि निवेदिता ने अस्पताल जाकर ब्लड डोनेट किया था। राजगढ़ जिले की इस तेज-तर्रार कलेक्टर को वर्षों पुराना अतिक्रमण हटाने के लिए भी याद किया जाता है। उन्होंने कई बार स्वच्छता की अलख जागते हुए खुद हाथों में झाड़ू उठाकर सफाई भी की। उनको कई अनाथ बच्चों को स्कूलों में दाखिला करवाने और कुपोषित बच्चों का इलाज करवाने के लिए भी याद किया जाता है। उन्होंने पढ़ाई के लिए 'बादल पर पांव योजना' शुरू करके रास्ता खोला। उनकी अच्छाई के किस्सों का ये अंत नहीं है! लेकिन, ये सब भाजपा के गुस्से पर बहुत भारी है।
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