Sunday, September 18, 2016

दो गज के नेता, चार गज की जुबान

- हेमंत पाल 

  राजनीति को उच्श्रृंखलता का पर्याय माना जाता है! कोई भी नेता, कहीं भी, कभी भी और कुछ भी बोलने के लिए स्वतंत्र होता है! न तो कोई नकेल होती है न अनुशासन की चाबुक चलती है! विरोधियों के खिलाफ बयानबाजी तो ठीक, कई बार अपनी पार्टी को भी नहीं छोड़ा जाता! लेकिन, भारतीय जनता पार्टी में अभी तक ऐसा नहीं था!  इस कैडर बेस पार्टी में हर नेता अनुशासित था! सबकी जुबान मुँह के अंदर थी! लेकिन, अब वो दिन हवा हो गए, जब मियांजी फाख्ता उड़ाया करते थे! अब तो दो गज के नेता भी अपने मुँह में चार गज की जुबान लिए फिरते हैं। पूरी पार्टी में अनुशासन की धज्जियाँ ही उड़ गईं! सबकी जुबान मुँह के बाहर आ गई! जिसे देखो वो बाहें चढ़ाकर खड़ा है! कम से कम मध्यप्रदेश में तो इन दिनों यही हालात हैं! जिस पार्टी के अध्यक्ष ही अपनी अनर्गल बयानबाजी के लिए कुख्यात हों, उस पार्टी में अनुशासन का नगाड़ा तो बजेगा ही!
अभी कुछ दिन पहले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने प्रदेश की अफसरशाही पर तंज किया था! बात सरकार और उसके अफसरों की थी! लेकिन, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान बीच में कूद पड़े! विजयवर्गीय को राजधर्म का पाढ़ पढ़ाने लगे! इसके बाद तो बात बढ़ती गई! दोनों तरफ से जुबानी हमले होने लगे! पार्टी का अनुशासन तार-तार हो गया! विवादों की खाई बढती गई! कबड्ड़ी की टीमों की तरह पार्टी में भी दो गुट बन गए! मीडिया ने रैफरी की भूमिका निभाई! कभी इधर ताली पिटती सुनाई देती, कभी उधर! अचानक पार्टी का राष्ट्रीय कोर ग्रुप मैदान में कूद पड़ा। राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री वी सतीश ने सीटी बजाकर दोनों टीमों को शांत कर दिया! कह दिया की दोनों नेता सार्वजनिक बयानबाजी बंद करें! इससे पार्टी का अनुशासन बिगड़ता है। मुद्दे की बात ये कि कोर ग्रुप ने भी विजयवर्गीय और चौहान का झगड़ा शांत नहीं करवाया! दोनों को बंद कमरे में भिड़ने की सलाह दी! जो जंग जुबान तक सीमित थी, वो बंद कमरे में कहाँ तक पहुँच सकती है, अनुमान लगाया जा सकती है! 
 मध्यप्रदेश में 13 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा के हालात सामान्य नहीं लग रहे! कई मोर्चों पर जंग छिड़ी नजर आ रही है। सांसद, विधायक और पार्षद सभी बाहें चढ़ाकर, दंड पेलकर खड़े हैं! लेकिन, नेताओं के बड़बोले पर संगठन कोई कार्रवाई नहीं कर सकता! न तो नोटिस दे सकता है न कार्रवाई कर सकता है। संगठन सिर्फ नसीहत दे सकेगा! ये बात समझ से पर है कि जब पार्टी के नेता सीमा लांघ रहे हैं, उस नाजुक वक़्त में संगठन ने अपनी पकड़ ढीली कर दी! जबकि, प्रदेश भाजपा के पूर्व प्रवक्ता प्रकाश मीरचंदानी को पार्टी से निलंबित करने में देर नहीं की गई! मीरचंदानी ने फेसबुक पोस्ट में पार्टी के खिलाफ टिप्पणी भर की थी। उन्होंने लिखा था कि भाजपा में पराक्रम की जगह परिक्रमा करने वालों का बोलबाला है। हालांकि, बाद में वो अपने बयान से पलट गए थे और अपनी पोस्ट भी डिलिट कर दी थी। लेकिन, पार्टी ने अनुशासन की चाबुक बरसाने में देर नहीं की!
 अभी कुछ दिन पहले भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सुदर्शन गुप्ता, रामेश्वर शर्मा, सांसद चिंतामणि मालवीय, विधायक शंकरलाल तिवारी, सुदर्शन गुप्ता, कालूसिंह ठाकुर और वेलसिंह भूरिया के अफसरों को धमकाते हुए ऑडियो सामने आए! ये सबूत पार्टी की नेकनीयती और सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हैं! संगठन पदाधिकारियों की वाचालता ध्यान देने वाली बात है! क्योंकि संघ की समन्वय बैठक में इन नेताओं ने ही भ्रष्टाचार को लेकर अफसरों पर हमला बोला था! हाल ही में सत्ता मद में चूर इन नेताओं के कई विवादास्पद बोल भी सामने आए जो न तो संघ को पंसद हैं और न भाजपा संगठन! लेकिन, अफ़सोस कि भाजपा के पास इन बड़बोलों का कोई इलाज नहीं है!  
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