Friday, September 9, 2016

जनहित में महापौर से सवाल करने पर बवाल क्यों?


   जब किसी पार्टी को चुनाव में उम्मीद से ज्यादा सीटें मिलें और विपक्ष कमजोर हो जाए, तो बहुमत पाने वाली पार्टी में से ही विपक्ष का जन्म होता है! ये बात किसने किस संदर्भ में कही, ये तो नहीं पता पर भाजपा में यही सब होता रहता है। सर्वानुमति का दावा करने वाली पार्टी के अंदर असहमति के बीज पेड़ बनने लगे हैं! इंदौर में तो भाजपा से जूझने के लिए कभी विपक्ष की जरूरत ही नहीं पड़ी! यहाँ वर्षों से भाजपाई आपस में ही गुत्थम-गुत्था होते रहते हैं। विधानसभा की 8 में से 7 सीटें भाजपा के पास है, पर कोई भी विधायक एक-दूसरे के साथ नहीं! जब भी किसी विधायक को मौका मिलता है, वो दूसरे की टांग खींचने में देर नहीं करता! ताजा मामला क्षेत्र क्रमांक 2 के विधायक रमेश मेंदोला द्वारा महापौर को लिखी गई चिट्ठी है। इस चिट्ठी से भाजपा में बवाल मच गया! इस चिट्ठी में शहर की जर्जर हो चुकी सडक़ों का जिक्र है। चिट्ठी की आग की लपटें भोपाल तक पहुंच गई! प्रदेश अध्यक्ष से लेकर पार्टी के कई बड़े नेता इंदौर की राजनीति को लेकर सकते में है। लेकिन, जनहित में महापौर तक अपनी बात पहुंचाना गुनाह कैसे हो गया, ये लोगों की समझ से बाहर है! 
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हेमंत पाल 
  इंदौर में भाजपा की राजनीति जब तक विपक्ष की भूमिका में थी, सब कुछ अच्छा था! फिलहाल यहाँ कि 8 में से 7 सीटों पर भाजपा के विधायक हैं, पर सब अकेले ही हैं! कोई किसी के साथ नहीं! दिखाने को सब एक झंडे के नीचे खड़े हैं, पर सभी के दिल में बैर है। ये स्थिति पिछले एक दशक से ज्यादा समय से बनी हुई है।इंदौर के विधायक साफ़-साफ़ दो गुटों में बंटें लगते हैं! एक वो जो मुख्यमंत्री के नजदीक हैं, दूसरे वो जो नजदीक से थोड़ा दूर हैं! जिनको ज्यादा नजदीक नहीं माना जाता, उनमें एक हैं रमेश मेंदोला! नजदीक वाले विधायकों में महापौर मालिनी गौड़, सुदर्शन गुप्ता और मनोज पटेल जैसे लोग हैं। यही कारण है कि महापौर को लिखी मेंदोला की चिट्ठी से राजनीतिक बवाल हो गया! क्षेत्र क्रमांक-2 के विधायक मेंदोला ने महापौर को लिखा कि शहर की सड़कों की हालत बदतर है। अनंत चतुर्दशी आने वाली है, इसलिए इन सड़कों को सुधारा जाना जरूरी है। बात बहुत छोटी और कहीं से भी राजनीतिक रंग लिए नहीं है! लेकिन, इसे इस नजरिये से समझा गया कि मेंदोला का इशारा है कि महापौर मालिनी गौड़ काम नहीं कर रही! इंदौर के लोग भी मेंदोला की चिट्ठी को जनहित में उठाया गया सही कदम मान हैं! लोगों को भी कई दिनों से लग रहा है कि इंदौर में गंभीरता से कोई काम नहीं हो रहा! सड़कों की बदहाली के अलावा शहर में गंदगी बढ़ रही है! साफ़-सफाई की सारी व्यवस्था ध्वस्त हो गई! आवारा मवेशियों लेकर कई दिनों से जो सक्रियता दिखाई जा रही है, वो भी गति नहीं पकड़ रही! सड़कों से हटाए गए मवेशी कॉलोनियों में घुस आए! नगर निगम की सारी कार्रवाई फौरी लग रही है! जनता ने जिन प्रतिनिधियों को चुना है, वो अफसरों के आगे के याचक की मुद्रा में नजर आ रहे हैं!  
   इन दिनों इंदौर नगर निगम में पूरी तरह अफसरशाही हावी है! एक पार्षद और उपायुक्त के बीच हुए विवाद और थप्पड़ कांड के बाद जनप्रतिनिधियों और अफसरों के बीच तलवारें खिंची हुई है। यही कारण है कि पार्षदों के अलावा विधायक भी किसी न किसी मामले में नगर निगम की कार्यपद्धति से नाराज है। सभी को नगर निगम कमिश्नर मनीष सिंह को लेकर सबसे ज्यादा नाराजी है। क्योंकि, कमिश्नर किसी भाजपा नेता को तवज्जो नहीं देते! क्षेत्र क्रमांक-2 के पार्षद उनसे सबसे ज्यादा नाराज है। थप्पड़ कांड के बाद से तो कोई पार्षद निगम कार्यालय भी नहीं आ रहा! घटना को लेकर एमआईसी मेम्बर चंदू शिंदे और राजेन्द्र राठौर ने तो एक तरह से वाकआउट कर रखा है। लेकिन, ख़राब सड़कों को लेकर मेंदोला की चिट्ठी के बाद नई राजनीति ने जोर पकड़ लिया! सांसद और विधायक अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। इसमें भी कोई दो राय नहीं कि सड़कों की हालात बद से बदतर हो गई है। समझा जा रहा है कि इंदौर की जर्जर और खस्ताहाल सड़कों से दुखी विधायक रमेश मेंदोला ने महापौर मालिनी गौड़ को चिट्ठी लिखकर नगर निगम कमिश्नर मनीष सिंह पर निशाना साधा है। पत्र में मेंदोला ने यह भी लिखा था कि त्यौहार सामने हैं, पर नगर निगम सड़कों की दशा सुधारने को लेकर कतई गंभीर नहीं है। शहर की कोई ऐसी सड़क नहीं है जो गड्ढों में तब्दील नहीं हो। ऐसे में इंदौर की जनता हमें कोस रही है!
  महापौर गौड़ को लिखे पत्र में विधायक मेंदोला ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का सबसे अधिक फोकस अधोसंरचना विकास और सड़कों पर रहता है। लेकिन, उनके सपनों के शहर इंदौर की सड़कें तार-तार हो रही हैं। मानसून पहली बार नहीं आया और न पहली बार ऐसी बारिश हुई! हर साल ऐसा होता है, पर इस बारिश ने सड़कों को धो दिया! सीमेंटेड सड़कों पर सीवर के मेनहोल और बड़े गड्ढों ने चलना दूभर कर रखा है। वाटर स्टार्म लाइन का खूब प्रचार किया, पर उसका कोई फायदा नहीं हुआ! कहां सड़क है, कहां गड्ढा है? गड्ढे में सड़क है या सड़क में गड्ढा है। इसका पता ही नहीं चलता है। ये चिट्ठी सिर्फ महापौर तक सीमित होती तो शायद हंगामा नहीं होता! मेंदोला ने चिट्ठी की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री, नगरीय विकास मंत्री, भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, मुख्य सचिव, संभागीय संगठन मंत्री, नगर अध्यक्ष को भी भेजी! 
   चिट्ठी मिलने के बाद महापौर मालिनी गौड़ भी खामोश नहीं रही! उन्होंने भी चिट्ठी को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त की! लेकिन, उनका पलटवार किसी को रास नहीं आ रहा! क्योंकि, मेंदोला ने अपनी चिट्ठी में वही लिखा, जो आँखों से दिखाई दे रहा है! महापौर ने कहा कि पहले भी सडक़ें उखड़ती रही हैं। उन्होंने मेंदोला के राजनीतिक आका कैलाश विजयवर्गीय के कार्यकाल का उल्लेख किया! कहा कि अनंत चतुर्दशी के पहले उन्होंने भी सडक़ों का डामरीकरण करवाया था! इस बार सडक़ें खराब हुईं तो कोई नई बात नहीं हैं। बारिश में अकसर ऐसा होता ही है। महापौर ने अन्य विधायकों के बारे में कहा कि किसी अन्य विधायक ने मुझसे शिकायत इस बारे में कोई शिकायत नहीं की! मालिनी गौड़ ने इस बहाने ये साबित करने की भी कोशिश की, कि बाकी सभी विधायक उनके और नगर निगम के काम से खुश है! जबकि, वास्तव में गणेश विसर्जन की झांकियों का अधिकांश क्षेत्र रमेश मेंदोला का ही इलाका है! यदि उन्होंने सड़कों की हालत को लेकर आपत्ति ली है तो महापौर को ये चिट्ठी सकारात्मक नजरिये से लेना थी, न कि इसके पीछे राजनीति ढूँढना थी! अब शहर के लोगों का ध्यान इस बात पर लगा है कि इस राजनीतिक लड़ाई के चलते शहर के विकास को नई गति मिलती है या मुद्दा हवा हो जाता है। लेकिन, रमेश मेंदोला की चिट्ठी को शहर के लोग सही मौके पर सही कदम बता रहे हैं! उन्हें लग रहा है कि किसी ने तो उनकी पीड़ा को आवाज दी! 
 इधर, इंदौर में कांग्रेस की भूमिका भाजपा नेताओं के आपसी विवाद में कूदने की रही है। इससे ज्यादा कांग्रेस से कुछ हो भी नहीं रहा! महापौर और मेंदोला बीच के ताजा विवाद में भी प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कूदने का मौका नहीं छोड़ा! उन्होंने कहा कि बेहतर होता मेंदोला चिट्ठी लिखने के बजाए जनता को लेकर सड़क पर आते! सलूजा ने कहा कि भाजपा पार्षद व पूरी निगम परिषद् कहती रही है कि उसने इन दो वर्षों में शहर में विकास की गंगा बहा दी है। उसको इस चिट्ठी से आपने जो आईना दिखाया है, उसके लिए आप बधाई के पात्र हैं। लेकिन, कांग्रेस से पूछा जाना चाहिए कि क्या इस तरह की पहल कांग्रेस के किसी नेता ने क्यों नहीं की? भाजपा के नेताओं के आपसी विवाद में प्रतिक्रिया देकर कांग्रेस क्या हांसिल करेगी, ये समझ से बाहर की बात है! कांग्रेस प्रवक्ता यदि ये करके ही खुश हैं तो ये उनकी खुशफहमी से ज्यादा कुछ नहीं है, पर भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने जरूर मेंदोला की चिट्ठी पर मोहर लगाई! उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुछ अधिकारियों के कारण ही गुड़ गवर्नेंस नहीं है। कहा कि मेंदोला ने पत्र लिखा है तो कुछ गड़बड़ तो जरूर है! बात सही भी है कुछ नहीं, बहुत ज्यादा गड़बड़ है!
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