Sunday, January 15, 2017

रीमेक की तरह रीमिक्स का भी दौर


- हेमंत पाल 

   फिल्मों के रीमेक की तरह इन दिनों पुराने फ़िल्मी गीतों को रीमिक्स करके नया कलेवर देने का भी दौर चल पड़ा है। जनवरी 2017 में रिलीज हुई फिल्‍म 'ओके जानू' का बॉक्स ऑफिस रिजल्ट भले ही अच्छा नहीं रहा हो, पर इस फिल्म के गीत 'हम्मा - हम्मा' को पसंद करने वालों की बड़ी कतार है। श्रद्धा कपूर और आदित्‍य रॉय कपूर पर फिल्माए इस गाने को खासा पसंद किया गया। ये 'बॉम्‍बे' फिल्म के गाने 'हम्‍मा-हम्‍मा' का रीमेक है। इस गीत के रिलीज होने के शुरुवाती 5 दिनों में ही यूट्यूब पर एक करोड़ 75 लाख से ज्‍यादा बार देखा गया! एक और फिल्‍म 'बार बार देखो' के गाने ' तेनु काला चश्‍मा जंचता है' ने भी तहलका मचाया! ये 2005 में आए 'तेनु काला चश्‍मा जचदा' का नया वर्जन है। फिल्‍म 'वजह तुम हो' में भी 2002 में आई फिल्म 'कांटे' के गाने 'माही वे' का रीमेक किया गया।

   ये तो वो गाने हैं, जिन्हें उनके नए रूप में भी सुनने वालों ने पसंद किया। लेकिन, हर पुराने गीत का नए रूप को इतना पसंद नहीं किया गया। आयुष्मान खुराना ने 'हवाईजादे' में एक गीत गाया था ‘दिले नादां तुझे हुआ क्या है।’ यह गाना 1954 में बनी फिल्म ‘मिर्जा गालिब’ का है जिसे सुरैया और तलत महमूद ने गाया था। ये एक क्लासिक गीत है, जिसे आज भी भुलाया नहीं गया। ये वो जमाना है जहां मौलिकता गायब है। रचनात्मकता और कुछ नया करने के नाम पर एक भौंडे प्रयास किए जाने लगे हैं। आयुष्मान ने इस गाने को एक नया अंदाज तो दिया, पर इसे क्लासिक नहीं कहा जा सकता। उनकी ही एक और फिल्म ‘नौटंकी साला’ में भी दो पुराने गीतों को रीमिक्स बनाकर में पेश किया गया था। ये गीत थे ‘सो गया ये जहां’ और ‘धक-धक करने लगा’। पर, 'तेज़ाब' और 'बेटा' के ये दोनों ही गीत श्रोताओं को लुभा नहीं पाए! हालांकि, इस फिल्म के अन्य मौलिक गीतों ने श्रोताओं के कानों में लंबे समय तक मधुर रस घोला। 
   पुराने गीतों को नए कलेवर में प्रस्तुत करने का दिनों सिलसिला कुछ ज्यादा ही तेज है। लेकिन, आज के संगीतकार क्लासिक गीतों के साथ पूरा न्याय नहीं कर सकते! यही कारण है कि वे आलोचना से बचने के लिए गीतों को रीमिक्स नहीं कहते, ट्रिब्यूट नाम देते हैं। अक्षय कुमार की फिल्म ‘बॉस’ में ‘हर किसी को नहीं मिलता’ को नए अंदाज में पेश किया गया! जब इसकी आलोचना हुई तो कह दिया कि इस गीत के जरिये अक्षय कुमार ने स्व फीरोज खान को अपनी श्रद्धांजलि दी है। ’वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा’ में 'अमर-अकबर-एंथोनी' का लोकप्रिय गाना ‘तैयब अली प्यार का दुश्मन’ नई तरह बनाकर फिल्माया गया! लेकिन, इस रीमिक्स के साथ पूरा न्याय नहीं हुआ! ऋषि कपूर का नीतू सिंह के प्रति जिस दीवानेपन को इस गाने के माध्यम से अभिनीत किया था, वो इमरान खान नहीं कर सके! 
  साजिद खान ने ‘हिम्मतवाला’ के सभी गीत मूल ‘हिम्मतवाला’ से कॉपी किए थे। लेकिन, सुनने में आज भी पुरानी 'हिम्मतवाला' के गीत ही कानों में गूंजते हैं। ‘चालबाज’ के गीत ‘न जाने कहां से आई है’ से प्रेरित होकर ‘आई मी और मैं’ में ‘ना जाने कहां से आया है’ की रचना की गई। धुन वही रखी पर बोल बदल दिए गए। इस तरह तैयार हो गया दो दशक पूर्व के लोकप्रिय गीत से प्रेरित नए जमाने का एक हिप-हॉप गीत। नए कलेवर में ढले इस गीत को युवा श्रोताओं ने कुछ हद तक पसंद भी किया। लेकिन, जिस तरह हिट फिल्मों के रीमेक के साथ गंभीरता नहीं बरती जा रही, वही गीतों के साथ भी हो रहा है! शुरू में तो नए संगीत में रचे पुराने गीतों को तो लोग पसंद करते हैं, पर जल्द ही ऊबने भी लगते हैं। जबकि, पुराने गीतों का अपना माधुर्य है, सिर्फ उनके बोल नहीं संगीत में भी एक कशिश होती थी! पुराने गीतों को कितना भी नए रंग में रंग दिया जाए, असल सुकून तो उनके वास्तविक संगीत में ही है।  
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