Saturday, July 7, 2018

सुलगे मंदसौर से उठी आँच कहीं भाजपा को झुलसा न दे!


- हेमंत पाल

  मंदसौर मध्यप्रदेश के पश्चिमी हिस्से का राजस्थान की सीमा से लगने वाला जिला है। राजनीतिक रूप से बेहद जागरूक इस इलाके में कांग्रेस और भाजपा दोनों की जड़ें काफी मजबूत रही हैं। भाजपा को इस इलाके ने दो मुख्यमंत्री और कांग्रेस को कई मंत्री दिए! 2013 के विधानसभा चुनाव में भी यहाँ भाजपा का दबदबा रहा था। लेकिन, पिछले साल किसान आंदोलन के दौरान हुए गोलीकांड ने भाजपा को परेशानी में डाल दिया। इस साल कांग्रेस ने उसी आंदोलन को नए सिरे से हवा देकर सरकार को शह देने में कोई कसर नहीं छोड़ी! अभी किसान आंदोलन की बरसी की गरमाहट ठंडी भी नहीं पड़ी थी, कि एक मासूम बच्ची के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म ने राजनीति को फिर हवा दे दी। कांग्रेस ने शिवराज सरकार को बिगड़ी कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा के बहाने कटघरे में खड़ा कर दिया! आशय ये कि प्रदेश के किनारे पर बसा शांतिपूर्ण इलाका सरकार पर भारी पड़ गया। लोगों में भी इस घटना को लेकर जरबदस्त रोष है। यही कारण है कि इस नए मामले ने सियासत को गरमा दिया। आश्चर्य नहीं कि मंदसौर की वजह से पश्चिमी मध्यप्रदेश की 66 सीटों पर भाजपा की फिजां बिगड़ जाए!
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   श्चिमी मध्यप्रदेश में दो संभाग लगते हैं इंदौर और उज्जैन। इन दोनों संभागों की 66 विधानसभा सीटों में से 56 सीटें भाजपा के पास हैं। उज्जैन संभाग की 29 सीटों में से 28 सीटें पिछले चुनाव में भाजपा ने जीती थीं। सिर्फ मंदसौर जिले की एक सीट कांग्रेस के पास गई थी। किसान आंदोलन वाले रतलाम, मंदसौर और नीमच जिले उज्जैन संभाग में ही हैं। इंदौर संभाग की भी 37 सीटों में से 28 सीटें भाजपा के खाते में हैं। यहाँ की 9 सीटों पर कांग्रेस और एक पर निर्दलीय उम्मीदवार ने चुनाव जीता था। भाजपा प्रदेश में विकास के कितने भी दावे करे, पर इस बार एंटी-इंकम्बेंसी और मंदसौर कांड से उभरे खतरों से इन दोनों संभागों की जीती हुई 56 सीटों को बचाने में भाजपा को पसीना आना तय है। किसान आंदोलन के बाद अब मंदसौर दुष्कर्म कांड भी पश्चिम मध्यप्रदेश में असर डाल रहा है।  
  मंदसौर में आठ साल की एक मासूम बच्‍ची के साथ दुष्‍कर्म की वारदात के बाद यहाँ आग सुलग गई! कॉंग्रेस ने मंदसौर दुष्कर्म मामले को राष्ट्रीय स्तर पर हवा दे दी। घटना की निंदा करते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा शासित प्रदेशों में यह राज्य महिला विरोधी अपराधों का गढ़ बन गया है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मंदसौर की घटना की हैवानियत व बर्बरता दिल दहला देने वाली है। मध्यप्रदेश महिलाओं के खिलाफ हो रहे जघन्य अपराधों का गढ़ बन गया है। ऐसे में लोगों का गुस्सा जायज़ है। पीड़ित परिवार के प्रति भाजपा के एक विधायक नेता द्वारा कथित तौर पर संवेदनहीनता दिखाने से जुड़ी खबरों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार के लोगों को सांत्वना देने की बजाए भाजपा सांसद उनसे 'धन्यवाद' मांग रहें है। यह बेहद शर्मनाक है।
  इस घटना ने दिल्ली में हुए निर्भया कांड की यादें ताजें कर दी, जिससें छह लोगों ने एक छात्रा का रेप करके उसे सड़क किनारे फेंक दिया था। मंदसौर में ये घटना भी उससे अलग नहीं है। इसे लेकर राजनीति भी तेज हो गई! विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के नेता इंदौर में भर्ती बच्ची के प्रति सहानुभूति प्रकट करने के लिए अस्पताल के दौरे कर रहे हैं। कैंडल मार्च निकालकर विरोध व्यक्त किया जा रहा है। राजनीतिक मौका देखकर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री की अपने निशाने पर ले लिया। महिला सुरक्षा के नाम पर सरकार को कटघरे में खड़ा करने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। इसलिए भी कि प्रदेश सरकार महिलाओं और बच्चियों के लिए कई योजनाएं चला रही है, पर वो सारे प्रयास लोगों तक नहीं पहुँच रहे! दुष्कर्म और महिला सुरक्षा के मामले में भी सरकार कोई प्रभावी काम नहीं कर सकी!  
  कांग्रेस के बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का आरोप है कि शिवराजसिंह चौहान मुख्यमंत्री बने रहने का अधिकार खो चुके हैं। प्रदेश में महिलाएं और बच्चे सुरक्षित नहीं है। प्रदेश में मासूम बच्चियों से दुष्कर्म की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा के राज में मध्यप्रदेश 'बलात्कार की राष्ट्रीय राजधानी' बन गया! यहाँ हर साल 5 हज़ार महिलाओं से दुष्कर्म हो रहा है। दरअसल, इस एक घटना ने विपक्ष को हमले करने, जनता को उकसाने और नाराज होने का बहाना दे दिया। प्रदेशभर में मंदसौर की इस घटना को लेकर लोगों में रोष है। खतरा है कि कहीं ये नाराजी भाजपा सरकार पर नजला बनकर न फूटे?
  कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस मासूम बच्ची के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना पर दुख जताते हुए ट्वीट किया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा 'मध्य प्रदेश के मंदसौर में आठ साल की एक लड़की के साथ गैंगरेप हुआ है, जो जिंदगी और मौत से जूझ रही है। इस बर्बर घटना ने मुझे व्यथित कर दिया। अपने बच्चों की सुरक्षा और गुनाहगारों को त्वरित न्याय की जद में लाने के लिए हमें एक राष्ट्र के तौर पर एकसाथ आना होगा।' कांग्रेस महासचिव और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी घटना की निंदा करते हुए कहा कि ऐसा जघन्य अपराध मानवता के लिए शर्म की बात है। हम सभी पीड़िता और उसके परिवार के साथ हैं। 
  पहले किसान आंदोलन और फिर ये दुष्कर्म कांड से उभरी लोगों की नाराजी से भाजपा भी अनभिज्ञ नहीं है। भाजपा हाईकमान और संघ की जमीनी सर्वे रिपोर्ट में भी स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आया है कि पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ में भाजपा को परेशानी आएगी! शायद इसी संकट को दूर करने के लिए संघ के प्रचारक मालवा-निमाड़ के जिलों में निकलेंगे और भाजपा की जड़ों को मजबूत करने का काम करेंगे। बताते है कि इसे लेकर पार्टी हाईकमान और संघ के बीच लम्बी मंत्रणा भी हुई! चुनाव के मद्देनजर संघ इन क्षेत्रों में कई कार्यक्रम शुरू करेगा। संघ के अनुषांगिक संघठन भारतीय किसान संघ और भारतीय मजदूर संघ भी इसमें साथ देंगे। भाजपा ने ये तैयारी भी की है कि मंदसौर में जहां राहुल गांधी की सभा हुई थी, वहीं नरेंद्र मोदी की भी सभा करवाई जाए। लेकिन, इस तरह की सोच भाजपा की घबराहट दर्शाती है।
   पिछले दिनों भेड़ाघाट में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ हुई पार्टी के नीति नियंताओं की बैठक में प्रदेश के राजनीतिक हालात और चुनाव में विपक्ष द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों पर बातचीत हुई की गई। पार्टी अध्यक्ष ने विधानसभा चुनाव में उन मुद्दों पर मंत्रणा की, जो भाजपा पर विपरीत असर डाल सकते हैं!  उन्होंने कहा भी कि मतदाताओं में विश्वास बनाने के लिए सभी को एकजुट हो जाना चाहिए। उन्होंने जीत का जो फॉर्मूला बताया उसमें किसानों, व्यापारियों और आदिवासियों को खुश करना ख़ास है। इसी बैठक में तय किया गया था कि मंदसौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा कराई जाए। ये बात अमित शाह की समझ से भी परे थी कि किसानों के लिए प्रदेश सरकार के इतना करने के बाद भी किसान नाराज क्यों हैं? कांग्रेस किसान आंदोलन के मुद्दे को भुना रही है, इसका सीधा सा मतलब है कि भाजपा जमीनी स्तर पर इस बात को समझने में नाकाम रही। प्रदेश में किसानों के मुद्दों पर भाजपा को कहाँ, क्या और कितना नुकसान हो सकता है, इसे भाजपा भी ठीक से समझ रही है। व्यापारियों को खुश करने और आदिवासी वोटों को सेंध लगने से बचाने के लिए क्या किया जा सकता है, इस पर भी चर्चा हुई! 
   सरकार ने किसान आंदोलनों को दबाने की कोशिश तो पूरी की, पर उसे इसमें कामयाबी नहीं मिली! क्योंकि, गोलीकांड में सात किसानों की मौत ने मामले को अलग ही रंग दे दिया था। यही कारण था कि हमेशा सरकार की झोली में रहने वाला किसान अचानक उसकी झोली से खिसक गया! सरकार ने गरीबों, किसानों और मजदूरों पर अपनी योजनाओं को फोकस करना शुरू किया! लेकिन, पहले मंदसौर गोलीकांड और अब दुष्कर्म कांड के बाद से किसानों के साथ आम लोग भी बिगड़ती कानून-व्यवस्था के खिलाफ आक्रोशित हो रहे हैं। यदि सियासत की नब्ज को टटोला जाए तो विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान मालवा-निमाड़ में ही होने की आशंका है। अब भाजपा को देखना है कि इस आँच को ठंडा करने के लिए क्या उपाय किए जाएं!
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