- हेमंत पाल
फिल्मों में समलैंगिक किरदारों को लम्बे समय से दिखाया जाता रहा है। बॉलीवुड में ऐसे कई अभिनेता हैं, जो समाज की इस सच्चाई से आपको रुबरु कराने के लिए फिल्मों में 'गे' (समलैंगिक) की भूमिका निभा चुके हैं। किसी ने गंभीर किरदार बनकर तो किसी ने कॉमेडी के अंदाज में ये भूमिका निभाई। चिराग मल्होत्रा और प्रणय पचौरी की फिल्म 'टाइम आउट', भी एक गे-कैरेक्टर के आसपास घूमती है। हंसल मेहता की फिल्म 'अलीगढ़' में मनोज बाजपेई भी समलैंगिक प्रोफेसर का किरदार निभा चुके हैं। जबकि, 'दोस्ताना' दो ऐसे किरदार की कहानी थी, जो असलियत में तो समलैंगिक नहीं होते! लेकिन, किराए का घर ढूंढने के लिए मजबूरी में उन्हें ये किरदार निभाना पड़ता है। जॉन अब्राहम और अभिषेक बच्चन इसी रोल में नज़र आए थे। 1996 में आई दीपा मेहता की फिल्म 'फायर' होमोसेक्सुअलिटी और फ्रीडम ऑफ स्पीच जैसे मुद्दे पर बनी थी। फिल्म में शबाना आज़मी और नंदिता दास होमोसेक्सुअल किरदार में नज़र आई थीं।
करण जौहर की फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ द इयर' में अभिनेता ऋषि कपूर ने कॉलेज के प्रिंसिपल का किरदार निभाया था, लेकिन इस किरदार के हाव-भाव गे-किरदार जैसे थे। हाल ही में आई फिल्म 'पद्मावत' साल की सबसे बड़ी विवादित फ़िल्मों में से एक रही! इस फिल्म में जिम सौरभ का किरदार होमोसेक्सुअल जैसा था। शॉर्ट फिल्म 'तेरे जैसा यार कहां' में बॉलीवुड के डायरेक्टर सतीश कौशिक ने एक क्यूट रोल निभाया है। वे इस फिल्म में कैंसर पेशेंट के रोल में हैं। वहीं इस फिल्म में उनका किरदार होमोसेक्सुअल जैसे मुद्दे से जुड़ा हुआ है। निर्देशक फ़राज़ आरिफ़ अंसारी की शॉर्ट फ़िल्म 'सिसक' को कई फ़िल्म महोत्सवों में दिखाया गया! 'सिसक' समलैंगिकों पर बनी भारत की पहली साइलेंट फ़िल्म है। इसे 'विकेड क्वीर' (समलैंकिगों पर बोस्टन के सालाना फ़िल्म महोत्सव) में विजेता घोषित किया गया था। यहीं इस फ़िल्म का वर्ल्ड प्रीमियर भी हुआ था। निर्देशक फ़राज़ ने कहा था कि बोस्टन के इतिहास में ये पहला मौका है, जब कोई भारतीय फ़िल्म विजेता बनी!
अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्मों में अलग ही इमेज रही है! लेकिन, 'ढिशूम' में अक्षय ने समलैंगिक का किरदार निभाया। अक्षय का कहना है कि उन्हें गर्व है कि उन्होंने ये किरदार निभाया! शायद अपनी जेनरेशन का मैं पहला कलाकार हूं, जिसने ऑनस्क्रीन समलैंगिक बनने की चुनौती स्वीकार की! बॉलीवुड के चार डायरेक्टरों ने ने एक फिल्म बनाई थी। इसमें करन जौहर की शार्ट फिल्म में रणदीप हुड्डा और साकिब सलीम ने समलैंगिक का रोल किया था। फिल्म में इन दोनों के बीच एक किसिंग सीन था, जो काफी चर्चा में रहा! अनुपम खेर ने सलमान खान की फिल्म 'दुल्हन हम ले जाएंगे' में करिश्मा कपूर के मामा के रोल निभाया था, जो कि एक समलैंगिक रोल था। फिल्म 'माई ब्रदर निखिल' भी इसी विषय की फिल्म थी। इसमें संजय सूरी और पूरब कोहली ने समलैंगिक का किरदार किया था।
दीपा मेहता की फिल्म 'फायर' में दिखाए गए दो महिला किरदारों के आपसी रिश्तों पर काफी बवाल मचा था। फिल्म इश्मत चुगताई के उपन्यास 'लिहाफ' पर आधारित थी। इन किरदारों को शबाना आजमी और नंदिता दास ने निभाया था। फिल्म में दोनों का रिश्ता सास-बहू का दिखाया गया है। सेंसर ने फिल्म के कई हिस्सों पर कैंची चलाई तब जाकर फिल्म रिलीज हो पाई थी। बाद में फिल्म की दूसरे भाग की घोषणा करने पर मामला गर्मा गया और फिल्म बनी ही नहीं! महिला समलैंगिकता को लेकर बनी फिल्म 'गर्लफ्रेंड' की भी काफी चर्चा हुई। फिल्म में दो लड़कियों की कहानी है। जो एक दूसरे को पसंद करने लगती हैं। सेंसर ने हर फिल्म को तवज्जोह नहीं दी। सेंसर की कैंची कई फिल्मों पर चली, जिनमें खास तौर पर डू नो वाई-न जानें क्यों, अनफ्रीडम शामिल है। ये एक ऐसा विषय है, जिसे लेकर सेंसर भी थोड़ा चौकन्ना रहता है! 2014 में बनीं अनफ्रीडम को भारत में बैन कर दिया गया था। इनके अलावा कपूर एंड संस, डीयर डैड, माय सन इज गे, जस्ट अनदर लव स्टोरी, संचारम, लेडीज एंड जेंटल वीमन भी इसी जोनर की फिल्में रहीं जिन्हें सेंसर की कैंची से क़तर दिया गया।
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