Saturday, June 23, 2018

अदाकारी से बनी पहचान, नाम बन गई!


- हेमंत पाल 

   फ़िल्मी दुनिया ज़माने के मुताबिक चलती है। एक पुराना जमाना और एक नया जमाना। इन्हीं दो जमानों में एक समानता है सितारों के नाम की! पहले भी कलाकारों को उनकी अदाकारी के हिसाब से नाम  तमगा मिलता था, आज भी वही होता है! आज यदि सिर्फ टाइगर कहा जाए तो लोग समझ जाएंगे, बात सलमान खान की हो रही है। 'बाबा' बोलते ही दिमाग में संजय दत्त की छवि उभरती है और 'खिलाड़ी' यानी अक्षय कुमार! ये चलन आजकल का नहीं, बल्कि दशकों पुराना है। ये नाम कब और कहां से आए, इसकी जानकारी कम ही मिलती है! लेकिन, दर्शकों या मीडिया जनित यह नाम इतने मशहूर हुए कि इनका जिक्र आते ही उस सितारे की छवि सामने आ जाती है। ‘झकास' कहते ही अनिल कपूर की झकास मुद्रा सामने आ जाती है और 'मिस्टर परफेक्टनिस्ट यानी आमिर खान! 
  फिल्मी सितारों को इस तरह के टाइटल दिए जाने का सिलसिला उतना ही पुराना है, जितना सितारों से जुड़ा उनका स्टारडम! याद कीजिए उस दौर को, जब देव आनंद दिलीप कुमार और राजकपूर की तिकड़ी बॉलीवुड पर राज किया करती थी। इन तीनों सितारों को एक एक नाम मिला था, जो इनके पर्दे वाले नाम से भले ही अलग था लेकिन इनकी छबि पर एकदम फिट बैठता था। दिलीप कुमार ने अपनी अदाकारी से पर्दे पर इतने आंसू उडेंले कि उन्हें 'ट्रेजेडी किंग' कहा जाने लगा। उन्हीं की तरह पर्दे पर हमेशा अपने आसूंओ से सैलाब लाने वाली मीना कुमारी को 'ट्रेजेडी क्वीन' कहा गया! ये बात अलग है कि जब भी दिलीप कुमार और मीना कुमारी साथ आए तो पर्दे पर ट्रेजेडी नहीं काॅमेडी का झरना बहा। कोहिनूर, आजाद और यहूदी में दोनों साथ थे, पर तीनों फिल्मों में एक बूंद आंसू तक नहीं बहा! मुस्कुराते चेहरे वाली मधुबाला को आज भी बाॅलीवुड की 'मोनालिसा' कहा जाता है। 
   देव आनंद ने आजीवन हीरो की भूमिका निभाई तो उनको 'एवरग्रीन' कहा गया! अपनी फिल्मों में भव्यता दिखाने वाले राज कपूर 'ग्रेट शोमैन' कहलाए! बाद में यह तमगा सुभाष घई ने जरूर लगाना चाहा, लेकिन वे 'शौमेन' तक ही सीमित रहे 'ग्रेट' नहीं बन पाए। इनसे पहले अशोक कुमार का जलवा था, उन्हें 'दादा मुनी' कहा जाता रहा। पृथ्वीराज कपूर तो अकबर का किरदार निभाने के बाद भी 'पापाजी' ही कहलाए! साठ के उत्तरार्ध में धर्मेन्द्र, राजेन्द्र कुमार, मनोज कुमार  शम्मीकपूर, जीतेन्द्र आए। धर्मेन्द्र को 'पत्थर के फूल' के बाद 'ही-मैन' की उपाधि मिली! 
   राजेन्द्र कुमार एक के बाद एक हिट फिल्में देकर 'जुबली कुमार' बने। शम्मीकपूर को 'बागी' कहा गया तो जीतेन्द्र 'जम्पिग जैक' कहलाए। इन्हीं के समकालीन मनोज कुमार ने सेल्युलाइड को देशभक्ति की चासनी में इतना डुबोया कि उन्हें 'भारत कुमार' कहा जाने लगा। इसके बाद दौर आया राजेश खन्ना, अमिताभ, मिथुन चक्रवर्ती का। एक के बाद एक 16 गोल्डन जुबली फ़िल्में देने वाले राजेश खन्ना बॉलीवुड के पहले 'सुपर स्टार' बने। अमिताभ बच्चन को सलीम-जावेद की 'जंजीर' ने 'एंग्रीयंग मैन' का तमगा दिला दिया। डिस्को डांस करके 'डिस्को डांसर' की उपाधि पाने वाले मिथुन को दो नाम मिले। उन्हें गरीबों का अमिताभ बच्चन भी कहा जाता था। उनके साथ आए शत्रुघ्न को 'शाॅटगन' का नाम मिला तो विनोद खन्ना को 'डेशिंग' का! आज इमरान हाशमी को 'सीरियल किसर' कहा जाता है तो रणबीर कपूर को 'डेबोनियर।'
   खिताबों का सिलसिला केवल नायकों तक ही सीमित नहीं रहा। नूतन ने 'दिल्ली का ठग' में बिकनी पहनकर पहली 'बिकनी गर्ल' का दर्जा पाया तो अपने दमदार प्रदर्शन के कारण नादिया बनी हंटरवाली।' हेलन 'डांसिंग डाॅल' बनी तो नीलम 'बेबी डाॅल।' हेमा मालिनी आज भी 'ड्रीम गर्ल' ही कहलाती है तो श्रीदेवी को 'हवा हवाई' और विद्या बालन को 'एंटरटेनमेंट गर्ल' कहा जाता है। 'कश्मीर की कली' की नायिका शर्मिला 'डिम्पल गर्ल' कहलाई। परदे के पीछे रहने वालों में मोहम्मद रफी 'आवाज के शहंशाह' कहलाए तो तलत महमूद 'गजलों के बादशाह।' नामों का यह सिलसिला कल भी प्रचलित था, आज भी है और उम्मीद है कि आगे भी कलाकार नए-नए नामों से पुकारे जाते रहेंगे। 
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