- हेमंत पाल
'हनीट्रैप' यानी शहद की तरह ऐसे मीठा जाल जिसमें फंसने वाले को कुछ अंदाजा नहीं होता! वो जानता है कि जो कर रहा है, वो गलत है फिर भी फंसता चला जाता है! ऐसे में वो नहीं जानता कि कहां फंस गया है और किस मकसद से किसका शिकार बनने वाला है। मध्यप्रदेश में इन दिनों ऐसे ही एक मीठे जाल ने अच्छा खासा हंगामा मचा रखा है! जब ये राज खुला, तब इसे महज पैसे की लालच में गरम गोश्त का धंधा समझा गया था! लेकिन, जब परतें खुली तो नेपथ्य में अच्छी खासी साजिश नजर आई। सरकार बनाने और गिराने तक के दावे किए जाने लगे! लेकिन, ये तय है कि जिन पाँच महिलाओं को पकड़ा गया है, उनमें से किसी का मकसद सरकार गिराने या बचाने का नहीं होगा! क्योंकि, उनका तो उस चारे की तरह इस्तेमाल किया गया, जो मछली पकड़ने के लिए मछुआरे करते हैं! उनका दोष तो सिर्फ जिस्म की सौदेबाजी था, जिसकी आड़ में शायद किसी का कोई और मकसद था!
इस पूरे घटनाक्रम का मूल मकसद तो नेताओं और अफसरों की चारित्रिक कमजोरी का फ़ायदा उठाकर उनसे अपना काम निकलवाना और ब्लैकमेल करके वसूली करना रहा होगा! किसी महिला की राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी होगी तो उसकी भी सीमा होगी! लेकिन, उनके इस 'खुलेपन' और बिंदास अंदाज के पीछे एक राजनीतिक साजिश रच ली गई! ये साजिश क्या थी और इससे किसका फ़ायदा और नुकसान होना था, फिलहाल ये स्पष्ट नहीं है! क्योंकि, दोनों ही राजनीतिक पाले में खड़े लोग एक-दूसरे पर संदेह के हथियारों से हमले कर रहे हैं! किंतु, इस शहद के छत्ते को लेकर नौकरशाह जिस तरह जीभ लपलपाते दिखाई दिए, वो समाज के उच्च वर्ग के चारित्रिक पतन का सबसे घृणित पक्ष है! इससे एक सवाल ये भी उठता है कि क्या इस एक लालच की पूर्ति करके सबकुछ हांसिल किया जा सकता है? कम से कम अभी तक जो सच सामने आया है, उससे तो यही लगता है!
यह कहना अभी मुश्किल है कि इस सारे घटनाक्रम का मकसद महज ब्लैकमेलिंग था या इसकी आड़ में कोई दूसरी पटकथा लिखी जा रही थी! लेकिन, इंदौर में दर्ज शिकायत के बाद पुलिस जिस तरह सक्रिय हुई और चंद घंटों में पूरे मामले को खोलकर रख दिया, उससे लगता है कि एफआईआर तो एक बहाना था! इसके पीछे की पूरी पटकथा को पहले ही पढ़ लिया गया था! मीडिया के मुताबिक इंटेलीजेंस के पास पहले से इस बात की सूचना थी की एक पूर्व मंत्री ने इन मधुमक्खियों का इस्तेमाल करके कांग्रेस के साथ विधायकों को फंसाने की तैयारी कर रखी थी! दो मंत्रियों को शहद के मीठे जाल फांस भी लिया गया था। पूरी साजिश सफल हो पाती, उसके पहले ही एटीएस ने इस कांड के परखच्चे उड़ा दिए! इंदौर में दर्ज हुई नगर निगम के अफसर हरभजन सिंह की शिकायत से पहले पुलिस को सबकुछ पता तो था! लेकिन, शिकायत के बगैर पुलिस के भी हाथ बंधे थे! यही कारण है कि शिकायत दर्ज होते ही पुलिस के हाथ मधुमक्खियों के गिरेबान तक पहुँच गए और कलई खुलने में भी देर नहीं लगी!
सबसे कमाल की बात तो ये है कि इस ब्लैकमेलिंग गैंग की महिलाओं ने एनजीओ को हथियार की तरह इस्तेमाल किया! वे अफसरों को अपने तरीके से फंसाती थीं और उनसे अपने एनजीओ के लिए सरकारी प्रोजेक्ट लेती थीं! इस बहाने हाईप्रोफाइल सोसायटी तक उनकी पहुँच बन जाती और उनका मकसद आसानी से पूरा हो जाता! ऐसे ही उनका ब्लैकमेलिंग का खेल भी चलता रहता! नौकरशाहों और नेताओं के बीच जिस्म की ये सौदेबाजी कब से चल रही थी, कहा नहीं जा सकता! लेकिन, कुछ महीने पहले मंत्रालय में पदस्थ एक सीनियर नौकरशाह का आपत्तिजनक वीडियो सामने आने के बाद उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया था। उनसे सारे कामकाज भी वापस ले लिए गए थे! सामने आए वीडियो में ये अधिकारी युवती के साथ शराब पीते हुए अश्लीलता कर रहे थे। जब इस वीडियो से मंत्रालय में हड़कंप मचा तो सरकार के कान खड़े हुए! जिस अफसर का वीडियो बाहर आया उसकी सरकार में नंबर-दो की भूमिका थी! शायद ये घटना उस साजिश की शुरुआत रही होगी, जो अब खुलकर सामने आई है!
बताते हैं कि शिकार को फंसाने में श्वेता जैन की भूमिका अहम थी! श्वेता की 2012 से भाजपा नेताओं से नजदीकी थी। छतरपुर से सागर आकर उसने 2013 में विधानसभा का टिकट भी मांगा था! लेकिन, एक अश्लील वीडियो ने उसकी दावेदारी खत्म कर दी! कमलनाथ सरकार गिराने का बार-बार दावा करने वाले भाजपा के तीन पूर्व मंत्रियों को श्वेता जैन का नजदीकी माना जा रहा है! पुलिस का मानना है कि इस गिरोह के निशाने पर सौ से ज्यादा लोग थे! ये सिर्फ नेता या नौकरशाह ही नहीं, बड़े बिजनेसमैन भी हैं। इनमें से करीब आधे को तो ब्लैकमेल किया जा चुका है। यदि इशारों को समझा जाए तो इनका शिकार होने वालों में दो पूर्व मुख्यमंत्री, तीन पूर्व मंत्री, एक पूर्व सांसद, करीब 20 नौकरशाहों के साथ कुछ बड़े बिजनेसमैन भी हैं! इसके अलावा वर्तमान सरकार के दो मंत्री और कुछ विधायक भी शहद के छत्ते में फंस चुके हैं! 19 लड़कियों के सहारे इनके अश्लील वीडियो बनाकर इनसे वसूली की गई!
इतिहास बताता है कि इस शहद विधा का दुनिया में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल रूस की ख़ुफ़िया एजेंसी केजीबी ने किया! इस विधा को कला बनाने का श्रेय भी केजीबी को ही जाता है। शीत युद्ध के समय उन्होंने मास्को के आसपास स्कूल भी बनाए थे, ताकि लोग यह सीख सकें कि किसी दूसरे देश में जाकर कैसे रहा जाए और देशहित में क्या किया जाए! केजीबी इस प्रथा में बहुत माहिर थी। भारतीय खुफ़िया एजेंसियां भी विदेशों से जानकारी जुटाने के लिए 'हनीट्रैप' का इस्तेमाल करती रही हैं? जासूसी का ये बहुत महत्वपूर्ण हथियार है। पहले ज्यादातर गुप्त सूचनाएं जासूसों से इसी तरह मिला करती थीं, लेकिन अब इसका इस्तेमाल कम हो गया। अब तकनीकी का इस्तेमाल ज़्यादा किया जाने लगा है! लेकिन, यदि किसी से कोई जानकारी हांसिल करना है, तो उसे बदले में कुछ देना पड़ता है! किसी को पैसा चाहिए तो किसी को इस तरह का सुख! पर, ये ऐसा खतरनाक लालच है, जो कभी न कभी सामने आ ही जाता है! अब सारी नजरें उत्सुकता से उस तरफ लगी है कि मध्यप्रदेश में उठा ये तूफ़ान कहाँ जाकर थमेगा! कोई बेनकाब होगा भी या सारे कांड को जाँच की आड़ में दबा दिया जाएगा! क्योंकि, जिस हम्माम में सबको पकड़ा गया है, वहाँ नेता भी हैं, नौकरशाह भी और बड़े उद्योगपति भी!
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जीवन की जो बुराइयां गिनी जा सकती है, उनमें एक है लालच! लेकिन, इनमें सबसे घृणित लालच है, चरित्र की राह पर भटक जाना! आजकल मध्यप्रदेश की राजनीति और नौकरशाही इसी लालच की पीड़ा भोग रही है! दरअसल, ये वो दर्द है जो ज्यादा मीठा खाने की चाह से उभरता है! ये जानते हुए कि ये घृणित लालच वक़्त आने पर ब्याज समेत वसूली करता है, फिर भी लोग इसके मोहपाश से मुक्त नहीं होते! होना संभव भी नहीं है! क्योंकि, ये ऐसी मानवीय कमजोरी है, जो आदिकाल से आजतक अलग-अलग प्रसंगों में अपना असर दिखाती रही है! कभी एक देश अपने दुश्मन देश की ख़ुफ़िया जानकारियां जुटाने के लिए मोहनी जाल फैलाते हैं! कभी सेना के अफसरों को फंसाकर उनसे काम निकाला जाता है! ये वो अचूक निशाना है, जिसका वार कभी खाली नहीं जाता! ऋषि विश्वामित्र की तपस्या भंग करने के लिए इसका प्रयोग मेनका के जरिए इंद्र ने भी किया था! जब देवता भी इस बुराई से नहीं बच सके, तो राजनीति और नौकरशाही की जीभ इस शहद के छत्ते को देखकर लपलपाने लगी तो इसमें बुराई क्या है!
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'हनीट्रैप' यानी शहद की तरह ऐसे मीठा जाल जिसमें फंसने वाले को कुछ अंदाजा नहीं होता! वो जानता है कि जो कर रहा है, वो गलत है फिर भी फंसता चला जाता है! ऐसे में वो नहीं जानता कि कहां फंस गया है और किस मकसद से किसका शिकार बनने वाला है। मध्यप्रदेश में इन दिनों ऐसे ही एक मीठे जाल ने अच्छा खासा हंगामा मचा रखा है! जब ये राज खुला, तब इसे महज पैसे की लालच में गरम गोश्त का धंधा समझा गया था! लेकिन, जब परतें खुली तो नेपथ्य में अच्छी खासी साजिश नजर आई। सरकार बनाने और गिराने तक के दावे किए जाने लगे! लेकिन, ये तय है कि जिन पाँच महिलाओं को पकड़ा गया है, उनमें से किसी का मकसद सरकार गिराने या बचाने का नहीं होगा! क्योंकि, उनका तो उस चारे की तरह इस्तेमाल किया गया, जो मछली पकड़ने के लिए मछुआरे करते हैं! उनका दोष तो सिर्फ जिस्म की सौदेबाजी था, जिसकी आड़ में शायद किसी का कोई और मकसद था!
इस पूरे घटनाक्रम का मूल मकसद तो नेताओं और अफसरों की चारित्रिक कमजोरी का फ़ायदा उठाकर उनसे अपना काम निकलवाना और ब्लैकमेल करके वसूली करना रहा होगा! किसी महिला की राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी होगी तो उसकी भी सीमा होगी! लेकिन, उनके इस 'खुलेपन' और बिंदास अंदाज के पीछे एक राजनीतिक साजिश रच ली गई! ये साजिश क्या थी और इससे किसका फ़ायदा और नुकसान होना था, फिलहाल ये स्पष्ट नहीं है! क्योंकि, दोनों ही राजनीतिक पाले में खड़े लोग एक-दूसरे पर संदेह के हथियारों से हमले कर रहे हैं! किंतु, इस शहद के छत्ते को लेकर नौकरशाह जिस तरह जीभ लपलपाते दिखाई दिए, वो समाज के उच्च वर्ग के चारित्रिक पतन का सबसे घृणित पक्ष है! इससे एक सवाल ये भी उठता है कि क्या इस एक लालच की पूर्ति करके सबकुछ हांसिल किया जा सकता है? कम से कम अभी तक जो सच सामने आया है, उससे तो यही लगता है!
यह कहना अभी मुश्किल है कि इस सारे घटनाक्रम का मकसद महज ब्लैकमेलिंग था या इसकी आड़ में कोई दूसरी पटकथा लिखी जा रही थी! लेकिन, इंदौर में दर्ज शिकायत के बाद पुलिस जिस तरह सक्रिय हुई और चंद घंटों में पूरे मामले को खोलकर रख दिया, उससे लगता है कि एफआईआर तो एक बहाना था! इसके पीछे की पूरी पटकथा को पहले ही पढ़ लिया गया था! मीडिया के मुताबिक इंटेलीजेंस के पास पहले से इस बात की सूचना थी की एक पूर्व मंत्री ने इन मधुमक्खियों का इस्तेमाल करके कांग्रेस के साथ विधायकों को फंसाने की तैयारी कर रखी थी! दो मंत्रियों को शहद के मीठे जाल फांस भी लिया गया था। पूरी साजिश सफल हो पाती, उसके पहले ही एटीएस ने इस कांड के परखच्चे उड़ा दिए! इंदौर में दर्ज हुई नगर निगम के अफसर हरभजन सिंह की शिकायत से पहले पुलिस को सबकुछ पता तो था! लेकिन, शिकायत के बगैर पुलिस के भी हाथ बंधे थे! यही कारण है कि शिकायत दर्ज होते ही पुलिस के हाथ मधुमक्खियों के गिरेबान तक पहुँच गए और कलई खुलने में भी देर नहीं लगी!
सबसे कमाल की बात तो ये है कि इस ब्लैकमेलिंग गैंग की महिलाओं ने एनजीओ को हथियार की तरह इस्तेमाल किया! वे अफसरों को अपने तरीके से फंसाती थीं और उनसे अपने एनजीओ के लिए सरकारी प्रोजेक्ट लेती थीं! इस बहाने हाईप्रोफाइल सोसायटी तक उनकी पहुँच बन जाती और उनका मकसद आसानी से पूरा हो जाता! ऐसे ही उनका ब्लैकमेलिंग का खेल भी चलता रहता! नौकरशाहों और नेताओं के बीच जिस्म की ये सौदेबाजी कब से चल रही थी, कहा नहीं जा सकता! लेकिन, कुछ महीने पहले मंत्रालय में पदस्थ एक सीनियर नौकरशाह का आपत्तिजनक वीडियो सामने आने के बाद उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया था। उनसे सारे कामकाज भी वापस ले लिए गए थे! सामने आए वीडियो में ये अधिकारी युवती के साथ शराब पीते हुए अश्लीलता कर रहे थे। जब इस वीडियो से मंत्रालय में हड़कंप मचा तो सरकार के कान खड़े हुए! जिस अफसर का वीडियो बाहर आया उसकी सरकार में नंबर-दो की भूमिका थी! शायद ये घटना उस साजिश की शुरुआत रही होगी, जो अब खुलकर सामने आई है!
बताते हैं कि शिकार को फंसाने में श्वेता जैन की भूमिका अहम थी! श्वेता की 2012 से भाजपा नेताओं से नजदीकी थी। छतरपुर से सागर आकर उसने 2013 में विधानसभा का टिकट भी मांगा था! लेकिन, एक अश्लील वीडियो ने उसकी दावेदारी खत्म कर दी! कमलनाथ सरकार गिराने का बार-बार दावा करने वाले भाजपा के तीन पूर्व मंत्रियों को श्वेता जैन का नजदीकी माना जा रहा है! पुलिस का मानना है कि इस गिरोह के निशाने पर सौ से ज्यादा लोग थे! ये सिर्फ नेता या नौकरशाह ही नहीं, बड़े बिजनेसमैन भी हैं। इनमें से करीब आधे को तो ब्लैकमेल किया जा चुका है। यदि इशारों को समझा जाए तो इनका शिकार होने वालों में दो पूर्व मुख्यमंत्री, तीन पूर्व मंत्री, एक पूर्व सांसद, करीब 20 नौकरशाहों के साथ कुछ बड़े बिजनेसमैन भी हैं! इसके अलावा वर्तमान सरकार के दो मंत्री और कुछ विधायक भी शहद के छत्ते में फंस चुके हैं! 19 लड़कियों के सहारे इनके अश्लील वीडियो बनाकर इनसे वसूली की गई!
इतिहास बताता है कि इस शहद विधा का दुनिया में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल रूस की ख़ुफ़िया एजेंसी केजीबी ने किया! इस विधा को कला बनाने का श्रेय भी केजीबी को ही जाता है। शीत युद्ध के समय उन्होंने मास्को के आसपास स्कूल भी बनाए थे, ताकि लोग यह सीख सकें कि किसी दूसरे देश में जाकर कैसे रहा जाए और देशहित में क्या किया जाए! केजीबी इस प्रथा में बहुत माहिर थी। भारतीय खुफ़िया एजेंसियां भी विदेशों से जानकारी जुटाने के लिए 'हनीट्रैप' का इस्तेमाल करती रही हैं? जासूसी का ये बहुत महत्वपूर्ण हथियार है। पहले ज्यादातर गुप्त सूचनाएं जासूसों से इसी तरह मिला करती थीं, लेकिन अब इसका इस्तेमाल कम हो गया। अब तकनीकी का इस्तेमाल ज़्यादा किया जाने लगा है! लेकिन, यदि किसी से कोई जानकारी हांसिल करना है, तो उसे बदले में कुछ देना पड़ता है! किसी को पैसा चाहिए तो किसी को इस तरह का सुख! पर, ये ऐसा खतरनाक लालच है, जो कभी न कभी सामने आ ही जाता है! अब सारी नजरें उत्सुकता से उस तरफ लगी है कि मध्यप्रदेश में उठा ये तूफ़ान कहाँ जाकर थमेगा! कोई बेनकाब होगा भी या सारे कांड को जाँच की आड़ में दबा दिया जाएगा! क्योंकि, जिस हम्माम में सबको पकड़ा गया है, वहाँ नेता भी हैं, नौकरशाह भी और बड़े उद्योगपति भी!
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