Tuesday, October 15, 2019

कीर्तिमान बनना था पौधरोपण का, बन गया घोटाले का!

- हेमंत पाल

 मध्यप्रदेश की पिछली भाजपा सरकार ने नर्मदा नदी के किनारों पर पौधारोपण करके रिकॉर्ड बनाने का दावा किया गया था। 2 जुलाई 2017 को एक दिन में 7 करोड़ 10 लाख से ज्यादा पौधे लगाकर 'गिनीस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में दर्ज करवाने की कोशिश भी की गई! इस पौधरोपण पर 455 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। व्यवहारिक रूप से एक दिन में इतनी बड़ी संख्या में पौधे लगाना संभव नहीं है! लेकिन, ये कारनामा किया गया! कमलनाथ सरकार ने इस मामले की जाँच इकोनॉमिक अफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) को सौंपने की घोषणा कर दी! इसमें प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, तत्कालीन वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार और कुछ अधिकारियों के नाम हैं! इस पूरी योजना में पेड़ों की कीमत से लेकर गड्डे खोदने और रोपे गए पौधों की संख्या तक में गड़बड़ी की आशंका है!   
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   मध्यप्रदेश की सौ से ज्यादा विधानसभा सीटें नर्मदा नदी के किनारों को छूती हैं। यही कारण है कि प्रदेश के लोगों का नर्मदा नदी से आत्मीय लगाव है! इस इलाके के लोगों ने भी पौधरोपण में गड़बड़ी मामले को नजदीक से देखा था। जब कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह नर्मदा यात्रा पर थे, तब उन्होंने भी इसे समझा और सुना था! पिछले कुछ सालों से नर्मदा संरक्षण बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिससे किनारे बसे लोग पूर्ववर्ती भाजपा सरकार से खासे नाराज हैं। दिग्विजय सिंह ने अपनी नर्मदा यात्रा के दौरान नदी किनारे पौधरोपण पर भी कई बार टिप्पणी की! ये बातें सुनी-सुनाई होती तो शायद उनपर भरोसा नहीं किया जाता! पर, दिग्विजय सिंह ने ये सब छह महीने तक रात-दिन महसूस किया। उनकी कई रातें इन्ही लोगों के बीच गुजरी! उन्होंने यात्रा के दौरान खुद कोई राजनीतिक वार्तालाप भले न किया हो, पर उनके कान खुले थे! उनके साथी परिक्रमावासी शायद ये सब दर्ज भी कर रहे थे। इसलिए उन्होंने भी शिवराज-सरकार की खामियों को समझा था। ये दिग्विजय सिंह की 'नर्मदा परिक्रमा' के असल निहितार्थ थे जो अब सामने आए हैं।
  प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंगार के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जिद के चलते इतनी बड़ी तादाद में पौधे रोपे गए! शुरू में बनी योजना में 5 करोड़ पौधे लगाने का आदेश था! लेकिन, करीब 7 करोड़ पौधे खरीद लिए गए! पौधरोपण के दौरान 455 करोड़ की योजना में घोटाले के आरोप लगाते हुए वन मंत्री का कहना है कि एक दिन में ही भाजपा सरकार ने करोड़ों रुपए भष्टाचार की भेंट चढ़ा दिए। कीर्तिमान बनाने के नाम पर दूसरे राज्यों से पौधे खरीदे गए और अनाप-शनाप भुगतान किया गया। 20 रुपए का पौधा 200 रुपए से ज्यादा दाम में खरीदा गया! पौधों की खरीद के बाद इस घोटाले को छुपाने की हरसंभव कोशिश की गई! फाइल गायब कर दी गईं। वन विभाग ने अपनी जानकारी में एक जगह 15,625 पौधे दर्शाए हैं, मगर मौके पर सिर्फ 11,140 पौधे मिले। पौधारोपण के लिए किए गड्ढों की भी यही स्थिति है। तत्कालीन सरकार ने पौधे लगाने के लिए 9,985 गड्ढे करने का दावा किया, लेकिन जब इसकी जांच की गई तो मौके पर 2343 गड्ढों में लगे पौधे पाए गए। इन आंकड़ों से साफ है कि इस मामले में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है।
    घोषणा के मुताबिक तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और वन मंत्री गौरीशंकर शैजवार के अलावा आधा दर्जन से ज्यादा वन अधिकारियों के खिलाफ भी जांच होगी। आरोप लगाया गया है कि पौधरोपण का विश्व रिकॉर्ड बनाने की कोशिश के चलते जनता के पैसों का दूसरे लोगों को लाभ पहुंचाने के इरादे से इस्तेमाल किया गया। 7 करोड़ पौधे नहीं लगाए गए, क्योंकि खोदे गए गड्ढों की संख्या दावा किए गए आंकड़ों से काफी कम थी! वन विभाग के जरिए की गई आंतरिक जांच में भी पाया गया कि मुख्यमंत्री कार्यालय के जरिए पौधारोपण का फैसला इतनी जल्दबाजी में लिया गया था कि वन और बागवानी विभागों सहित सरकारी एजेंसियों के पास इस तरह से बड़ी संख्या में पौधारोपण का समय नहीं था! प्राथमिक जांच में यह भी पता चला कि गुजरात समेत कई निजी एजेंसियों से ज्यादा कीमत में पौधे मंगवाए गए थे!
  मुद्दे की बात ये कि पौधरोपण के बाद तत्कालीन शिवराज सरकार भी यह तय नहीं कर पाई थी कि नर्मदा कछार में वास्तव में कितनी संख्या में पौधे रोपे गए! तब भी सरकार ने पौधरोपण के चार बार अलग-अलग आंकड़े दिए थे। जिनमें काफी अंतर सामने आया था! पहले 5 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य था फिर उसे बढाकर 6 करोड़ किया गया और सरकार ने सात करोड़ 10 लाख पौधे रोप दिए! लेकिन, गिनीज बुक को 5 करोड़ का रिकॉर्ड भेजा गया! इसमें से साढ़े तीन करोड़ पौधों के रोपण को मान्य करने का दावा किया गया। एक ही दिन और एक ही समय में करोड़ों पौधे लगाने का रिकॉर्ड बनाना तत्कालीन भाजपा  सरकार को भारी पड़ गया। एक दिन में पौधे तो लगा दिए, लेकिन उसका रिकॉर्ड तक व्यवस्थित नहीं हो पाया! जबकि, यह काम चार महीने में पूरा होने का दावा किया गया था। इसके लिए तब विकास शाखा के तत्कालीन एपीसीसीएफ और अब रिटायर वन अफसर वाय. सत्यम को सरकार ने संविदा नियुक्ति दी थी। वे प्रदेश के सरकारी हलके में गिनीज बुक रिकॉर्ड दर्ज कराने के एक मात्र एक्सपर्ट माने जाते हैं।
  सरकार ने 2 जुलाई 2017 को नर्मदा कछार में रोपे गए पौधों की संख्या 6 करोड़ 63 लाख बताई। जबकि, विभाग की वेबसाइट पर 7 करोड़ 10 लाख 39 हजार पौधे लगाने का दावा किया गया। 15 मार्च 2018 को विधानसभा में एक सवाल के जवाब में वन विभाग ने बताया कि प्रदेश में सहयोगी विभागों से मिलकर 7 करोड़ आठ लाख 63 हजार पौधे लगाए गए। फिर क्या कारण था कि 'गिनीज बुक' को 5 करोड़ पौधे रोपे जाने का रिकॉर्ड भेजा गया। बाद में वन विभाग ने दावा किया कि 'गिनीज बुक' ने पौधरोपण के वीडियो और प्रमाण के आधार पर साढ़े 3 करोड़ पौधों के रोपण मान्य किया! योजना के तहत प्रदेशभर में एक लाख 21 हजार 275 स्थानों पर ये पौधरोपण किया गया। सभी की वीडियोग्राफी कराने का मतलब था, इतने वीडियोग्राफर का इंतजाम करना, जो संभव नहीं है। इसी को लेकर दिक्कत आई। कहा गया था कि हमने सभी स्थानों के वीडियो दिए हैं! लेकिन, गिनीज बुक की टीम डेढ़-दो मिनट के वीडियो नहीं मान रही! उसे चार घंटे का वीडियो चाहिए, जो हमारे पास नहीं है। कई जगह के फोटो दिए हैं, जिन्हें मान्य नहीं किया गया।
 वन विभाग ने नर्मदा कछार में डेढ़ करोड़ रूटशूट (विशेष प्रजाति के पौधों की कलम) लगाए थे। वह ग्रोथ नहीं कर पाए हैं। इनमें से ज्यादातर पौधे नर्मदा का जलस्तर बढ़ने पर बह गए, तो कुछ पनप ही नहीं पाए। विभाग इसका हिसाब नहीं दे पा रहा है। इस कारण रिकॉर्ड दर्ज होने में देरी हुई! जबकि, विभाग के अफसरों का कहना था कि 92% पौधे जिंदा हैं। इसे लेकर विभाग ने एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में हलफनामा भी दिया था। तत्कालीन अपर मुख्य सचिव दीपक खांडेकर ने कहा था कि दो जुलाई-17 को पौधरोपण की ताजा स्थिति जानने के लिए पोर्टल की व्यवस्था की गई थी। जिस पर हर मिनट आंकड़े अपडेट हुए। उसी कारण हर बार पौधों का आंकड़ा बदला है। छह करोड़ से नीचे आंकड़ा जाने का कारण चार घंटे का वीडियो नहीं देना है। एक लाख 21 हजार स्थानों पर वीडियोग्राफी कराई भी नहीं जा सकती थी। इस संबंध में गिनीज बुक के अफसरों से बात चल रही है।
 वन विभाग द्वारा अक्टूबर 2017 में एक सर्वे रिपोर्ट भी तैयार की गई थी, जिससे विभाग द्वारा रोपे गए 333.72 लाख पौधे में से लगभग 91 प्रतिशत पौधे जीवित स्थिति में होना दर्शाया था। जबकि, जो करोड़ों पौधे दूसरे विभागों द्वारा रोपा जाना दर्शाया है, उनमें से जीवित पौधों की स्थिति का कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं है। इस पूरे अभियान में करोड़ों रुपए खर्च किए गए! नर्मदा संरक्षण को लेकर 'कैम्पा फंड' से भी कृषि वानिकी से समृद्धि योजना के अंतर्गत पौधरोपण कराया गया था। कृषकों को भूमि पर पौधे लगाने के लिए सितंबर 2017 में 1 करोड़ 8 लाख पौधे वितरित किए गए थे। इसके बाद जुलाई से अगस्त 2018 के दौरान भी 90 लाख पौधों का वितरण नर्मदा संरक्षण के तहत किसानों को किया गया। वनदूतों के माध्यम से 39 लाख 36 हजार रुपए का अनुदान भी बांटा गया था। इन पौधों की गिनती भी नर्मदा सेवा यात्रा के पौधरोपण में कर ली गई। अभी जाँच होना बाकी है, हो सकता है जो दिख रहा है उससे भी बड़ा मामला सामने आए!
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