- हेमंत पाल
यदि सरकार टोल बंद कर दें तो देश के विकास की गति बढ़ेगी, ईंधन की खपत कम होगी, विदेशी मुद्रा बचेगी, समय बचेगा, आधुनिक राजमार्गों का सही उपयोग होगा और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी! नोटबंदी के बाद देश के ट्रांसपोर्टरों का 500 करोड़ रुपए रोज का नुकसान हो रहा है! 40% हेवी व्हीकल्स खड़े हैं! 24 दिन तक टोल नाके बंद होने से ट्रको का एवरेज 3.5 से बढ़कर 5 हो गया ही! लेकिन, केंद्र को टोल नाकों का अड़ंगा समझ ही नहीं आ रहा! ट्रक वालों से इंट्री के नाम पर वसूली में देश में मध्यप्रदेश अव्वल है! उसके बाद झारखंड का नंबर है। यदि टोल नाके बंद कर दिए जाएं तो जीडीपी ग्रोथ 2% बढ़ सकती है!ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की कोआर्डिनेशन कमिटी के चेयरमैन अमृतलाल मदान ने बताया कि देश के विकास की गति धीमी होने का एक बड़ा कारण टोल नाके हैं। उन्होंने कहा कि टोल वसूलने की प्रक्रिया को बदला जाए, उसे आसान बनाया जाए! क्योंकि, हर साल टोल नाकों पर करीब एक लाख करोड़ के डीज़ल का नुकसान होता है। सरकार टोल लेने की प्रक्रिया में बदलाव करें, ताकि टोल नाकों पर होने वाला डीज़ल और पेट्रोल का अपव्यय रोका जा सकें। नोट बंदी के कारण 24 दिन टोल बंद रहने से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में तेजी आई, पर बड़े नोटों के कारण 40% से ज्यादा वाहन बंद पड़े है। उन्होंने कहा कि टोल बंद रहने से ट्रकों का एवरेज भी डेढ़ किमी बढ़ गया!
मदान ने कहा कि बड़े नोटों की कमी से कई ट्रक मालिकों का व्यापार पूरी तरह से ठप पड़ गया! क्योंकि, हम लोग हमारे ही पैसे बैंको से नहीं निकाल पा रहें है। खासकर जो सिंगल मोटर मालिक है उन्हें ज्यादा परेशानी है। नोट बंदी के दौरान ट्रक मालिकों को बैंको से एक हफ्ते में मात्र पचास हजार रूपए निकालने की सुविधा मिलती है। इतने में ट्रकों को हफ्तेभर चलाना असंभव है। अत्यधिक भीड़ होने के कारण कई बार तो इतने पैसे भी बैंकों से नहीं मिल पाते है। नोटबंदी का सबसे ज्यादा प्रभाव उन लोगों पर पड़ा है जिनका अधिकतर काम नकदी में होता है।
देश के राजमार्गों पर पिछले साल तक 373 टोल थे, जो अब बढ़कर 423 हो गए हैं! केंद्र चाहे तो नेशनल परमिट की फीस बढाकर एक बार में टोल की वसूली कर सकती है, जिससे टोल पर ट्रकों की अनावश्यक रुकावट बंद होगी और ईंधन का नुकसान भी नहीं होगा! सरकार लाइट व्हीकल्स को टोल फ्री कर सकती है। साल 2014-15 में सरकार को टोल नाकों से 14157 करोड़ रुपए हुई थी, जो 2015-16 में बढ़कर करीब 17000 करोड़ रुपए हुई! ये वसूली और किसी भी तरह से सरकार कर सकती है, पर न जाने क्यों सरकार समझ ही नहीं रही!
चैयरमेन मदान ने बताया कि आरटीओ एवं टैक्स बैरियर की संख्या भी कम की जाना चाहिए! मध्यप्रदेश के आगरा-मुंबई मार्ग के पलासनेर बैरियर के बाद हर ट्रक को तीन से चार बार रोका जाता है। ट्रकों के कागजात चेक करने के बाद टेक्स वाले रोकते हैं, फिर पुलिस वाले! हमारी मांग है कि जो ट्रांसपोर्टर टैक्स की चोरी करते हैं, उनको फाँसी पर टांग दो, पर ईमानदारों को तो बक्श दो! इंदौर से मुंबई या दिल्ली जाने वाले हर ट्रक पर कम से कम हज़ार रुपए की रिश्वत देना पड़ती है। उन्होंने ये भी बताया कि केंद्र मंत्री टोल नाकों के बारे में भाषणों में कुछ भी कहते हों, पर वे नाके बंद करने को लेकर सीरियस नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के देशभर में 93 लाख ट्रांसपोर्टर सदस्य हैं।
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