Friday, July 7, 2017

परदे पर गाली बको, फिल्म चलेगी!

- हेमंत पाल 

  फ़िल्में हमेशा से आम लोगों का मनोरंजन रहा है। यही समाज का दर्पण।  शायद इसी वजह से फिल्मों की भाषा और कभी-कभी तो उनके शीर्षकों में भी अपशब्दों और गालियों का इस्तेमाल होता है। आक्रोश की अभिव्यक्ति के रूप में अपशब्द या गालियों का इस्तेमाल आज समाज में बहुत सामान्य बात हैं। यही कारण है कि फिल्मों में भी गालियों का इस्तेमाल नई बात नहीं! ब्लैक एंड व्हाइट के ज़माने में आजादी के संघर्ष से जुडी फ़िल्में ज्यादा बनती थी। तब भी कई बार फिल्मों में अपशब्द सुनाई देते थे। फिल्म के किसी किरदार की पहचान यदि नकारात्मक दर्शाना हो तो गालियां और अपशब्द उस कैरेक्टर ज्यादा जल्दी स्थापित कर देते हैं। 
   ताजा प्रसंग सुशांतसिंह राजपूत और कृति सैनन की फिल्म ‘राब्ता’ का है, जिसपर सेंसर ने कैंची चलाई थी। सेंसर बोर्ड ने फिल्म के कई दृश्यों पर आपत्ति जताते हुए कट लगाए थे। बोर्ड ने फिल्म देखने के बाद फैसला किया गया था कि फिल्म के कुछ दृश्य हटा देना चाहिए। क्योंकि, इस फिल्म में गालियों का इस्तेमाल किया गया था। बोर्ड ने कहा था कि लव स्टोरी पर आधारित फिल्मों में गालियों की कोई जरुरत ही नहीं है। 
  फिल्मों में गालियों का इस्तेमाल होने के प्रमाण ढूंढ़ना मुश्किल नहीं है। 'नो वन किल्ड जेसिका' में टेलीविजन पत्रकार की भूमिका निभाने वाली रानी मुखर्जी ने इस फिल्म में जमकर गालियां दी हैं। 'पीपली लाइव' और सलमान खान की सफल फिल्म 'वांटेड' में भी दर्शकों ने अपशब्द सुने थे। 'ओमकारा' फिल्म में अजय देवगन और सैफअली खान दोनों ने जमकर गालियाँ दी! इसके अलावा इश्किया, खट्टा मीठा, तेरे बिन लादेन और उड़ता पंजाब के संवादों में भी अपशब्दों का इस्तेमाल हुआ। संवाद  अब तो फिल्मों के शीर्षक भी गालियों वाले बनाए जाने लगे हैं। 'कमीने' और 'ये साली जिंदगी' इसी का नमूना है। आज का समाज जिस दौर में रहता हैं, उसमें गालियों का इस्तेमाल सामान्य सी बात है। फिल्मों का परिदृश्य बदलने और उनके अधिक वास्तविक होने के साथ फिल्मकार और अभिनेता शब्दों के इस्तेमाल में आजादी बरत रहे हैं। बोलचाल की भाषा में गालियों का इस्तेमाल सामान्य है।
  फिल्मों में इस नये चलन की शुरूआत फिल्म ‘नो वन किल्ड जेसिका’ से अभिनेत्री रानी मुखर्जी ने शुरू की थी। इस फिल्म में रानी एक तेज तर्रार टीवी पत्रकार की भूमिका में थी, जो जमकर सिगरेट पीती है और धड़ल्ले से गालियां देती है। फिल्म के साथ रानी ने अपनी मासूम सी छवि के साथ प्रयोग करते हुए अपनी छवि बदली। फिल्म में उनका सबसे प्रचलित संवाद था ‘आई एम ए बिच।’ 'देल्ही बेली' भी बोल्डनेस और गालियों के प्रयोग के मामले में आगे रही। इस फिल्म में भी जमकर गालियों का और द्विअर्थी गानों का प्रयोग किया गया था!
 लव रंजन ने भी अपनी एडल्ट कॉमेडी फिल्म ‘प्यार का पंचनामा’ में भी अपशब्दों वाली भाषा का प्रयोग किया। था इस तरह की भाषा और विषयों से फिल्म की सफलता सुनिश्चित भले न होती हों, लेकिन रिलीज से पहले दिखाए जाने वाली झलकियों की वजह से फिल्म से विवाद जुड़ जाते हैं और फिल्म को अपेक्षित चर्चा मिल जाती है। फिल्म ‘रा-वन’ में अभिनेत्री करीना कपूर को अपने पति की भूमिका निभा रहे शाहरुख खान को अपशब्द कहते दिखाया गया था। इसी तरह की भाषा का प्रयोग करीना ने फिल्म ‘जब वी मेट’ और ‘गोलमाल थ्री’ में भी किया था। 'मोहल्ला अस्सी' के ट्रेलर तक में गालियां सुनकर लोग हैरान थे। जब फिल्मों को समाज से प्रभावित समझा जाता है तो सीधा सा मतलब कि समाज के अंदर भी इतना ही आक्रोश है जो गालियों की भाषा में बाहर आता है।  
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