Friday, July 14, 2017

बाबा, दीदी, भाभी और भिया पर कितनी दयालु होगी पार्टी

- हेमंत पाल 

  वे बाबा है पर अध्यात्म से कोई रिश्ता नहीं! वे दीदी हैं पर जगत दीदी! भाभी ने स्वच्छता की मिसाल कायम की है तो 'भिया' चमकाने दमकाने में आगे रहे। ये इंदौर शहर के विधायक जिनमें भोजन भंडारे से लेकर सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने की होड़ सी लगी रहती है। विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 5 की सुप्ताअवस्था को छोड़ दिया जाए तो बाकी विधानसभा सीटों को लेकर वर्तमान विधायक जीजान से अपनी छवि चमकाने में लगे है। उधर, मध्यप्रदेश में चौथी बार सरकार बनाने की तैयारी करने वाली भाजपा ने नए सिरे से अपने विधायकों के फिर जीतने की संभावनाओं को तलाशना शुरू कर दिया है। संघ और पार्टी के साथ सरकार ने भी भाजपा के विधायकों की स्थिति का पता लगाना शुरू कर दिया। ऐसे में पूरे प्रदेश में किस भाजपा विधायक को अगली बार भी टिकट मिलेगा और किसका कटेगा! इस बारे में दावे से कुछ भी नहीं कहा जा सकता! 

   इंदौर के पाँचों विधायकों को उनके अभी तक के कामकाज के आधार पर कसौटी पर कसा जाए तो दावा नहीं किया जा सकता कि सभी को टिकट मिल पाएगा! पार्टी के भीतर खबरें हैं कि दो विधायकों के टिकट बदले जा सकते हैं! ये दो कौन हो सकते हैं, अभी इसे लेकर पार्टी चुप है। लेकिन, बीते करीब साढ़े तीन सालों में करीब सभी विधायकों ने जनता की उम्मीदों के मुताबिक खुद को सही जनप्रतिनिधि साबित नहीं किया। विवादों से बचकर रहने की कोशिश तक नहीं की गई! मुद्दे की बात ये है कि एक ही पार्टी के होते हुए भी इन पाँचो विधायकों के बीच आपस में कोई सामंजस्य नहीं है। यहाँ तक कि पार्टी के पार्षद और कार्यकर्ता भी विधायकों की इस खेमेबाजी में बंटकर रह गए हैं।      
   मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और भाजपा संगठन ने अपने विधायकों के कामकाज और पब्लिक इमेज की रिपोर्ट बनवाना शुरू कर दी है। सरकारी स्तर पर इंटेलीजेंस को भाजपा विधायकों की रिपोर्ट बनाने का काम सौंपा गया है। उधर, पार्टी भी एक प्राइवेट एजेंसी के जरिए विधायकों की अगले चुनाव में जीत की संभावनाओं की तहकीकात करवा रही है। जनता के बीच विधायकों की छवि, सामाजिक संगठनों की राय और पार्टी कार्यकतार्ओं के विचार भी इस रिपोर्ट का हिस्सा का अहम् हिस्सा होंगे। इस नजरिए से देखा जाए तो इंदौर शहर के पांचों भाजपा विधायकों में शायद ही कोई पार्टी और सरकार की कसौटी पर खरा उतरेगा! आपसी मनमुटाव, गुटबाजी की राजनीति, अफसरों पर अपने और अपनेवालों के काम करवाने का दबाव और विवादस्पद बयानबाजी इन पाँचों विधायकों की पहचान बन गई है। ये सभी विधायक तभी साथ भी दिखाई देते हैं, जब मुख्यमंत्री या पार्टी का कोई बड़ा नेता मौजूद होता है। शहर के विकास के मसले पर भी ये सभी विधायक कम ही एकमत दिखाई देते हैं। कोई भी इंदौर के लिए नहीं, बल्कि अपने क्षेत्र के बारे में ही ज्यादा सोचता नजर आता है।     सबसे पहले बात शुरू की जाए क्षेत्र क्रमांक-1 के विधायक सुदर्शन गुप्ता की! इनके लिए क्षेत्र के लोगों की दिखावटी चिंता ज्यादा मायने रखती है। अपने कामकाज को लेकर सुदर्शन गुप्ता कई बार विवादों में फँस चुके हैं। एक बार तो उन्होंने दादागिरी करते हुए विद्युत कंपनी के एक इंजीनियर को फोन पर बुरी तरह से धमकाया भी था। गुप्ता ने न केवल इंजीनियर को पीटने की धमकी दी, बल्कि ये भी कहा था कि उनके समर्थक उसे नंगा करके शहर में घुमा देंगे। विधायक का यह आॅडियो जब सामने आ गया तो उन्हें सफाई देने के लिए बाध्य होना पड़ा था। मामला ये था कि विद्युत कंपनी ने बकाया बिलों की वसूली का अभियान चलाया था। इस वसूली अभियान में सुदर्शन गुप्ता के कार्यकर्ता भी चपेट में आ गए। इस पर विधायक का पारा चढ़ गया था। ऐसा ही उनका एक वीडियो और सामने आया था, जिसमें वे एक महिला पार्षद के पति को धमका रहे थे। विधायक ने कहा था कि यदि आपने मेरे पोस्टर नहीं हटवाए तो मैं तो मर्द हूँ, मैं आपकी मिसेज के कार्टून गली-गली में लगवा दूंगा। इससे आपको तकलीफ हो जाएगी। हुआ ये था कि पार्षद अनिता तिवारी के पति सर्वेश ने अपने वार्ड में दो जगह पोस्टर लगाकर विधायक सुदर्शन गुप्ता को साउथ गाडराखेड़ी में लाने वाले व्यक्ति को इनाम देने की घोषणा की थी।
  इंदौर के क्षेत्र क्रमांक-2 के विधायक रमेश मेंदोला हैं, जिनकी लोकप्रियता को चुनौती नहीं दी जा सकती। पिछला चुनाव वे 90 हजार से ज्यादा वोटों से जीते थे। पार्टी के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय के सबसे नजदीक माने जाने वाले मेंदोला के पास कार्यकतार्ओं की बड़ी फौज है, जो उनके इशारे पर 'कुछ भी' कर गुजरने में पीछे नहीं हटती! लेकिन, उनकी शहर के किसी विधायक या भाजपा से नहीं बनती। खासकर क्षेत्र क्रमांक-4 की विधायक और शहर की महापौर मालिनी गौड़ से तो बिल्कुल नहीं! यूं तो इस दो नंबर खेमे से महापौर मालिनी गौड़ की तनातनी लम्बे समय से चली आ रही है। लेकिन, नगर निगम के एक अपर आयुक्त को उनके एक पार्षद समर्थक द्वारा तमाचा मार दिए जाने के बाद ये तनातनी और बढ़ गई! उसके बाद तो आरोपों-प्रत्यारोपों का लम्बा दौर चला। आज भी उनके इशारे पर समर्थक पार्षद नगर निगम की बैठकों में शामिल नहीं होते! रमेश मेंदोला ने महापौर मालिनी गौड़ को एक चिट्ठी लिखकर सड़क की बदहाल सड़कों की तरफ उनका ध्यान क्या आकर्षित किया, मामला और बिगड़ गया! जब महापौर का जवाब आया तो अफसरों को कठघरे में खड़ा करने वाले दो नंबर क्षेत्र ने सोशल मीडिया पर 'जय हो भाभी मां' आरती जारी कर दी। इन सारे विवादों बावजूद उन्हें बहुचर्चित सुगनीदेवी जमीन आवंटन मामले में हाईकोर्ट की डबलबैंच ने फैसला देते हुए उन्हें दोषमुक्त करार दिया है। इस फैसले से उनका कद जरूर बढ़ गया है।  
  शहर के क्षेत्र क्रमांक-3 की विधायक उषा ठाकुर की राजनीति का अपना अलग अंदाज है। उनकी छवि जन प्रतिनिधि की कम हिंदूवादी नेता की ज्यादा है। कभी वे किसी समर्थक का जब्त हाथ ठेला छुड़वाने थाने पहुँच जाती हैं तो दुर्गोत्सव पर गरबा पंडालों से मुस्लिम युवकों का प्रवेश वर्जित करने का फरमान जारी कर देती हैं। उनकी इस सार्वजनिक अपील के बाद काफी विवाद भी खड़ा हुआ था। इस बारे में उषा ठाकुर का कहना था कि जो लोग हिन्दू धर्म को नहीं मानते, उनका गरबा उत्सवों में केवल नाचने-गाने के लिए आना ठीक नहीं है। इसलिए मैंने अनुरोध किया है कि गरबा पंडालों में केवल हिंदू युवकों को उनके मतदाता पहचान पत्र के आधार पर प्रवेश दिया जाए। इस भाजपा विधायक ने बताया कि गरबा आयोजकों से यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि युवतियां गरबा पंडालों में 'शालीन' पोशाकें पहनकर आएं और गोदना (टैटू) तथा छोटे कपड़ों से परहेज करें। उषा ठाकुर को नए साल के मौके पर यौन शोषण के आरोपों से घिरे कथित संत आसाराम बापू के चित्र की आरती उतारने को लेकर भी आलोचना झेलनी पड़ी थी।
  शहर की महापौर और क्षेत्र क्रमांक-4 की विधायक मालिनी गौड़ के राजनीतिक खाते में सबसे बड़ी उपलब्धि सफाई के मामले में इंदौर को देश में नंबर-वन बनाना है। लेकिन, भाई भतीजावाद के आरोप उन पर भी कम नहीं हैं। दो नंबर क्षेत्र के भाजपा नेताओं से उनके विवाद चलते रहे हैं। उन्होंने इस क्षेत्र के हर कार्यक्रमों से दूरी बना रखी है, लेकिन दो नंबर विधानसभा में आने वाले नगर निगम के जोनल आॅफिस का निरीक्षण करने की इच्छा उनकी जरूर रहती है। उनका कहना है कि दो नंबर क्षेत्र के नाराज एमआईसी सदस्य और पार्षद इस दौरान आएं या नहीं, पर वे लोगों की समस्या सुनने जरूर जाती रहेंगी। रेडिसन चौराहे पर अपर आयुक्त रोहन सक्सेना के साथ हुए थप्पड़ कांड के बाद से महापौर और विधायक रमेश मेंदोला के बीच जो दरार पड़ी थी, वो अभी भी भरी नहीं है। इसलिए कि इस विवाद में महापौर ने निगम अफसरों का साथ दिया था। इस घटना के बाद से एमआईसी सदस्य चंदू शिंदे और राजेंद्र राठौर सहित दो नंबर इलाके का कोई भी पार्षद निगम में कदम नहीं रख रहा है।
  इंदौर के क्षेत्र क्रमांक-5 के विधायक महेंद्र हार्डिया को शहर का सबसे शालीन और अंतमुर्खी नेता माना जाता है। सामान्यत: वे सार्वजनिक बयानबाजी और विवादों से बचकर रहते हैं, फिर भी कुछ मामलों में उनपर भी पक्षपात और दबाव बनाने के आरोप लग चुके हैं। मालवा मिल से जंजीरवाला चौराहे वाली सड़क के किनारे से अतिक्रमण हटाने को लेकर वे निगम अधिकारियों से कई बार भीड़ चुके हैं। मूसाखेड़ी में नगर निगम द्वारा बस्तियों को हटाकर बनाई जाने वाली मल्टी को लेकर उठे विवाद से भी वे बच नहीं सके थे। क्षेत्र के लोग उन पर अपने इलाके के पार्षदों पर काबू न कर पाने को लेकर भी नाराज हैं। कई पार्षद मनमानी कार्रवाई कर रहे हैं, पर हार्डिया उनपर सख्ती नहीं कर पा रहे! इस कारण इस इलाके में निगमकर्मी भी बहुत ज्यादा हावी है। एक बार तो विधायक महेंद्र हार्डिया को महापौर मालिनी गौड़ को पत्र लिखकर ये कहने पर मजबूर होना पड़ा कि दरोगा और स्वास्थ्य विभाग के सीएसआई लोगों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
-----------------------------------------------------------

No comments: